
10 मई 2025, ये तारीख पाकिस्तान कभी नहीं भुला पाएगा. ऑपरेशन सिंदूर का जब-जब जिक्र होगा, तो इस दिन को लेकर याद किया जाएगा. ये वही दिन है, जब घबराए पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी ने भारत को फोन किया और गिड़गिड़ए कि अब बस बहुत हुआ... हम सीजफायर के लिए तैयार हैं. दरअसल, यही वो दिन था जब भारतीय सेना के सब्र का बांध टूटने को था. भारतीय सेना ने एक के बाद एक पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को जवाबी कार्रवाई में निशाना बनाया और तबाह कर दिया. इस्लामाबाद के नजदीक तक भारतीय मिसाइलें पहुंच गई थीं. भारतीय सेना का ये तांडव देख पूरा पाकिस्तान थर-थर कांप गया. ऐसे में घबराए पाकिस्तान ने घुटने टेक दिये और सीजफायर करने के लिए तैयार हो गया.
पाकिस्तान की सरजमीं पर मौजूद 11 एयरबेस को महज 90 मिनट में तबाह-ओ-बर्बाद कर दिया गया. भारत की ये दहाड़ पाकिस्तान के साथ-साथ दुनियाभर ने सुनी. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने प्रमुख पाकिस्तानी एयरबेस पर 90 मिनट तक टारगेट अटैक किया. इन हमलों ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया. आइए आपको बताते हैं, पाकिस्तान के कौन-कौन से सैन्य ठिकानों को भारत ने तबाह कर दिया...
नूर खान/चकलाला एयरबेस (रावलपिंडी)- नूर खान पर भारत के हमले ने पाकिस्तान के हवाई रसद और उच्च-स्तरीय सैन्य समन्वय के केंद्र को बाधित कर दिया. ये इस्लामाबाद का सबसे नजदीकी बेस था, जिसका उपयोग अक्सर वीआईपी मूवमेंट और सैन्य रसद के लिए किया जाता है, इसके निष्प्रभावी होने से संघर्ष के दौरान पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) और इसकी ऑपरेशनल यूनिट्स के बीच महत्वपूर्ण संबंध टूट गए.

पीएएफ बेस रफीकी (शोरकोट)- रफीकी, प्रमुख लड़ाकू विमानों का बेस है, जो फ्रंटलाइन लड़ाकू स्क्वाड्रनों को होस्ट करता था, इसे भी हमारी सेना ने निष्क्रिय कर दिया. इसका असर ये पड़ा कि अपने विमान आश्रयों और रनवे के बुनियादी ढांचे के विनाश ने पाकिस्तान की जवाबी हवाई कार्रवाई शुरू करने की क्षमता को काफी कमजोर कर दिया, खासकर मध्य पंजाब में उसके हमलों को कुंद कर दिया. इस कदम ने प्रभावी रूप से पीएएफ के सबसे तेज आक्रामक उपकरणों में से एक को मिटा दिया.
मुरीद एयरबेस (पंजाब)- मुरीद को निशाना बनाकर, भारत ने एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण और संभावित मिसाइल भंडारण केंद्र को नुकसान पहुंचाया. इस हमले ने पाकिस्तान के वायु सेना की तत्परता को कम कर दिया. इसका नुकसान आने वाले कई साल तक झेलेगा. भारत ने पायलट प्रशिक्षण पाइपलाइन को ही काट दिया.
सुक्कुर एयरबेस (सिंध)- सुक्कुर एयरबेस को नष्ट करने से पाकिस्तान का दक्षिणी हवाई गलियारा कट गया. सुक्कुर सिंध और बलूचिस्तान में सेना और उपकरणों की आवाजाही के लिए आवश्यक था. इसके नुकसान ने प्रमुख रसद धमनियों को काट दिया और दक्षिण में पाकिस्तान की परिचालन सीमा को कम कर दिया.

सियालकोट एयरबेस (पूर्वी पंजाब)- भारतीय सीमा के करीब स्थित सियालकोट को संघर्ष के आरंभ में ही बेअसर कर दिया गया था. यह बेस जम्मू और पंजाब की ओर उड़ान भरने के लिए एक फॉरवर्ड ऑपरेटिंग प्लेटफॉर्म (अग्रिम परिचालन मंच) के रूप में काम करता था. इसके नष्ट होने से पूर्वी सीमा पर एक महत्वपूर्ण ब्लाइंड स्पॉट बन गया, जिससे पाकिस्तानी जमीनी सेना को भारतीय हवाई प्रभुत्व के लिए चुनौती नहीं मिल सकी.
पसरूर एयरस्ट्रिप (पंजाब)- ये छोटा ही है लेकिन पसरूर फैसिलिटी आपातकालीन विमान संचालन में अहम भूमिका निभाता है. इसे नष्ट करके, भारत ने पाकिस्तान की सामरिक स्थिति को कमजोर कर दिया और विमानों को अधिक संवेदनशील स्थानों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर किया.

चुनियन (रडार/सहायता स्थापना)- चुनियन पर हमलों ने मध्य पंजाब के हवाई क्षेत्र की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण रडार कवरेज और संचार बुनियादी ढांचे को बाधित कर दिया. इससे पाकिस्तान की प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में एक अंतर पैदा हो गया, जिससे भारतीय विमानों को कम जोखिम के साथ प्रवेश करने में मदद मिली.

सरगोधा एयरबेस (मुशफ बेस)- सरगोधा का विनाश एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक था. पाकिस्तान में सबसे महत्वपूर्ण बेस के रूप में - कॉम्बैट कमांडर्स स्कूल, परमाणु वितरण प्लेटफ़ॉर्म और कुलीन स्क्वाड्रनों का घर - इसके विनाश ने पाकिस्तान के कमांड-एंड-कंट्रोल ढांचे को पंगु बना दिया. यह झटका परिचालन और प्रतीकात्मक दोनों था, जिसने एक अजेय 'पीएएफ' के मिथक को चकनाचूर कर दिया.

स्कार्दू एयरबेस (गिलगित-बाल्टिस्तान)- स्कार्दू को बेअसर करने से वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान की उत्तरी निगरानी और हवाई संचालन में कमी आई. इसने उन रसद लिंक को भी बाधित किया जो चीनी-पाकिस्तानी समन्वय को बढ़ा सकती थीं. अब उत्तरी क्षेत्र में रणनीतिक लाभ पूरी तरह से भारत का है.
भोलारी एयरबेस (कराची के पास)- दोहरी-उपयोग वाली नौसेना और हवाई भूमिकाओं वाले पाकिस्तान के सबसे नए एयरबेस में से एक के रूप में, भोलारी- दक्षिणी बल प्रक्षेपण की महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक था. इसकी बर्बादी ने उन आकांक्षाओं पर प्रहार किया जो तटीय रक्षा समन्वय की कोशिशों पर केंद्रित था और इस तरह कराची को भविष्य के हमलों के लिए असुरक्षित बना दिया.

जैकोबाबाद एयरबेस (सिंध-बलूचिस्तान)- जैकोबाबाद के नष्ट होने से पश्चिमी पाकिस्तान अलग-थलग पड़ गया. इसका इस्तेमाल सैन्य तैनाती के लिए किया जाता था. आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के दौरान अमेरिकी सेना ने भी इसका प्रयोग किया. हमने इसे नष्ट कर आंतरिक गतिशीलता, आपूर्ति श्रृंखला और पाकिस्तान की पश्चिमी हवाई निगरानी को ठेस पहुंचा दी.

डरे पाकिस्तान ने अपने अमेरिका से किया संपर्क
इन हमलों के बाद, पाकिस्तान ने मदद के लिए अपने अमेरिकी 'हितैषियों' से संपर्क किया. विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने 10 मई को पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर से बात करने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात की और उन्हें बताया कि पाकिस्तान हमले रोकने के लिए तैयार है. एक सूत्र ने कहा, 'उन्हें बताया गया कि कोई राजनीतिक बातचीत नहीं होगी और उन्हें भारतीय डीजीएमओ से संपर्क करना चाहिए. जबकि भारत ने हिंसा को रोकने के लिए किसी देश से संपर्क करने की बात को दृढ़ता से नकार दिया. डीजीएमओ ने दोपहर 3.35 बजे बात की. भारतीय अधिकारियों के अनुसार, गोलीबारी में रुकावट इस बातचीत का नतीजा थी न कि किसी बाहरी हस्तक्षेप का. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार तड़के भारत ने पाकिस्तान के कई प्रमुख वायुसेना ठिकानों पर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, SCALP और HAMMER जैसे आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया.
...और फिर पाकिस्तान गिड़गिड़ाया
भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने रविवार को बताया कि पाकिस्तान के उनके समकक्ष ने उन्हें फोन करके संघर्ष रोकने का रास्ता निकालने का अनुरोध किया था. शनिवार दोपहर दोनों डीजीएमओ ने भारतीय समयानुसार शाम पांच बजे से जमीन, हवा और समुद्र में सभी प्रकार की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति व्यक्त की थी. भारतीय सेना ने कहा कि पाकिस्तान के डीजीएमओ का यह फोन भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा शनिवार सुबह रफीकी, मुरीद, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनियन समेत कई पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर भीषण जवाबी हमला करने के बाद आया था. ये हमले नौ और 10 मई की रात को पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रमुख भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के प्रयास के बाद किए गए थे. उन्होंने बताया कि सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद नौ आतंकवादी ठिकानों की पहचान की गई और उन पर सटीक हथियारों से हमला किया गया.
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