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This Article is From Mar 05, 2024

हृदय रोग से ग्रस्‍त कश्‍मीर के 9 साल के बच्‍चे के लिए आगे आई भारतीय सेना, दिल्‍ली में हुआ सफल इलाज

इस चुनौतीपूर्ण जटिल प्रक्रिया को पेट और जांघ के बीच के हिस्से में एक छोटा सा छेद करके किया गया. इसमें एक स्टेंट लगाया गया. यह काफी खतरनाक और जटिल प्रक्रिया थी, लेकिन सब कुछ ठीक रहा.

हृदय रोग से ग्रस्‍त कश्‍मीर के 9 साल के बच्‍चे के लिए आगे आई भारतीय सेना, दिल्‍ली में हुआ सफल इलाज
सब कुछ ठीक रहा और तीन दिनों में बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. 
श्रीनगर:

भारतीय सेना (Indian Army) देश की रक्षा के लिए हर वक्‍त मुस्‍तैद रहती है तो आम लोगों की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहती है. इस बार भारतीय सेना ने एक 9 साल के बच्‍चे की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है, जिसके बाद बच्‍चे को नई दिल्‍ली के सेना अस्‍पताल में चुनौतीपूर्ण जीवन रक्षक हृदय प्रक्रिया से गुजरने के बाद नया जीवन मिला है. यह छात्र जम्‍मू कश्‍मीर के बारामूला स्थित डैगर परिवार स्‍कूल का छात्र है, जिसका प्रबंध कश्‍मीर में भारतीय सेना की डैगर डिविजन करती है. 

सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (Armed Forces Medical Services) की पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी टीम ने असाधारण चिकित्सा उपलब्धि में दिल्ली छावनी स्थित सैन्‍य अस्पताल (अनुसंधान और रेफरल) में एक हाई रिस्‍क वाली ट्रांसकैथेटर (नॉन-सर्जिकल) जीवनरक्षक हृदय प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया.

बच्‍चे की महाधमनी (शरीर के सभी हिस्सों में शुद्ध रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्त नलिका) में गंभीर संकुचन हो गया था, जिसके कारण शरीर के कुछ हिस्‍सों में रक्त की आपूर्ति बाधित हो गई थी. शरीर के महत्वपूर्ण अंगों के साथ हृदय की कार्यक्षमता भी कम हो गई थी.

बच्‍चे को अस्‍पताल से मिली छुट्टी 

इस जटिल प्रक्रिया के लिए पेट और जांघ के बीच छोटा सा छेद किया गया. इसमें स्टेंट लगाया गया. यह काफी खतरनाक और जटिल प्रक्रिया थी. हालांकि सब कुछ ठीक रहा और तीन दिनों में बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. 

इलाज कराने में असमर्थ का बुरहान 

31 अगस्त 2015 को जन्मा बुरहान सीमित वित्तीय साधनों के कारण बेहतर इलाज कराने में असमर्थ था, जिसके बाद डैगर डिवीजन ने मदद के लिए हाथ बढ़ाने बढ़ाया था. डैगर डिवीजन के सहयोग से बुरहान की 22 दिसंबर 2023 को बारामूला के सरकारी मेडिकल कॉलेज में शुरुआती जांच की गई और फिर दिल्‍ली में बुरहान के इलाज के लिए भारतीय सेना और पुणे के इंद्राणी बालन फाउंडेशन पुणे के चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम किया, जिससे चिकित्सा प्रक्रियाओं और संबंधित खर्चों की जटिलताओं को प्रभावी ढंग से कम किया जा सके. 

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