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This Article is From Jul 07, 2017

भारत, अमेरिका और जापान के सबसे बड़े नौसैन्य अभ्यास पर चीन ने यह कहा...

हिंद महासागर में चीनी गतिविधियों के बढ़ने के बीच यह अभ्यास होगा.

भारत, अमेरिका और जापान के सबसे बड़े नौसैन्य अभ्यास पर चीन ने यह कहा...
'मालाबार' युद्धाभ्यास में भारत का विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य शामिल होगा....
नई दिल्ली: सोमवार को शुरू हो रहे नौसेना के 'मालाबार' युद्धाभ्यास में भारत का विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य, जापान का सबसे बड़ा जंगी जहाज जेएस इजुमो और अमेरिका का सुपर कैरियर निमित्ज हिस्सा लेगा. हिंद महासागर में चीनी गतिविधियों के बढ़ने के बीच यह अभ्यास होगा. बंगाल की खाड़ी में एक सप्ताह से अधिक समय तक चलने वाले अभ्यास में इन तीन देशों के कई अन्य प्रमुख जहाजों, पनडुब्बियां और लड़ाकू विमान हिस्सा लेंगे. यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब सिक्किम में भारत और चीन की सेनाओं के बीच तानातानी का माहौल है.

चीन ने मालाबार अभ्यास पर नजर रखने के लिए एक निगरानी जहाज तैनात किया है जबकि भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी युद्ध पोतों की तैनाती की बढ़ती संख्या का पता लगाया. चीन ने कहा कि उसे उम्मीद है कि ये युद्धाभ्यास किसी 'तीसरे देश' को लक्ष्य करके नहीं किया जाएगा. यह क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए होगी.  

भारत और अमेरिका साल 1992 के बाद से नियमित रूप से वार्षिक अभ्यास कर रहे हैं लेकिन जापान को 2014 के बाद से शामिल किया गया है. ऑस्ट्रेलिया को चीन की नाराजगी मोल न लेने के चलते अभ्यास में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई. इसे अब तक का सबसे बड़ा सैन्‍य अभ्‍यास बताया जा रहा है. यह अभ्यास हिंद महासागर के साथ-साथ विवादित दक्षिण चीन सागर में होगा जिस पर चीन अपना दावा जता रहा है.  

अब तक के सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास में दर्जनों  युद्धपोत, पनडुब्बी और विमान हिस्सा लेंगे. भारत को घेरने के लिए चीन लगातार प्रयास करता रहा है. चीन द्वारा 2013 में हिंद महासागर, पाकिस्तान और श्रीलंका में  चीनी पनडुब्बियों की तैनाती भारत की सबसे बड़ी चिंता में शामिल हैं. 

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच पिछले महीने से सिक्किम बॉर्डर पर तनाव जारी है. चीन डोकलाम को अपना क्षेत्र बता रहा है. भारतीय सेना भी इस क्षेत्र में डटी हुई है और सड़क निर्माण का कार्य बंद करा दिया है. भारत और भूटान का कहना है कि जिस स्थान पर चीन सड़क निर्माण करना चाहता है, वह भूटान का क्षेत्र है. भारत की सेनाओं की मौजूदगी से चीन की बौखलाहट कई बार सामने आ चुकी है. हालांकि विवाद के हल होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं.
  

हालांकि, आज भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में हो रहे दो-दिवसीय जी-20 सम्मेलन से इतर ब्रिक्स देशों - ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका - के प्रमुखों की अनौपचारिक बैठक के दौरान एक दूसरे की तारीफ की. बैठक के लिए कमरे में दाखिल होने पर भी दोनों नेताओं ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और अभिवादन किया.  

विदेश मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि शी चिनफिंग ने अपने समापन भाषण के दौरान "आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत संकल्प, तथा भारत की अध्यक्षता में व वर्ष 2016 में हुए गोवा शिखर सम्मेलन के फलस्वरूप ब्रिक्स में आई तेज़ गति की प्रशंसा की... उन्होंने आर्थिक तथा सामाजिक विकास में भारत की सफलता की भी सराहना की, तथा इससे भी ज़्यादा कामयाबी की शुभकामनाएं दीं..." मंत्रालय के अनुसार, शी चिनफिंग से ठीक पहले बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अध्यक्षता में ब्रिक्स में आई गति की सराहना की, और संपूर्ण सहयोग का वादा करते हुए ब्रिक्स के ज़ियामेन शिखर सम्मेलन के लिए शुभकामनाएं दीं..."

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