सरकार ने निर्णय लिया है कि स्टेज 5 को अपनाने की बजाय भारत सीधे स्टेज-6 को अपनाएगा
नई दिल्ली:
देश में लोगों की सांसों के लिए खतरा बनते जा रहे वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार एक कठोर कदम उठाने जा रही है। भारत में अभी कारें बीएस-4 उत्सर्जन मानकों पर चलती हैं, लेकिन अब सरकार ने बीएस-5 की बजाए अप्रैल 2020 तक बीएस-6 उत्सर्जन मानकों को लागू करने का निर्णय लिया है। बता दें कि इसके लिए पिछले ही महीने अंतिम तारीख 2021 की तय की गई थी और अब सरकार इसे एक साल पहले ही लागू करने जा रही है।
फिलहाल पूरे उत्तर भारत में बीएस-4 इंधन की आपूर्ति होती है, जबकि देश के अन्य हिस्सों में अब भी भारत स्टेज-3 ग्रेड का ही इस्तेमाल हो रहा है। अब सरकार ने निर्णय लिया है कि स्टेज 5 को अपनाने की बजाय भारत सीधे स्टेज-6 को अपनाएगा।
परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है, 'भारत में कार बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां यूरो-6 के अनुरूप इंजन बना रही हैं और उनका निर्यात भी कर रही हैं। उनके पास तकनीक है और 2020 तक का समय भी है।' भारत स्टेज-6 भी यूरो-6 उत्सर्जन मानकों के बराबर ही है।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने भरोसा दिलाया है कि वे बीएस-6 उत्सर्जन मानकों पर ईंधन की सप्लाई करने को तैयार हैं। इसके लिए देश की दो-तिहाई सरकारी रिफायनरियों को अपग्रेड करने की जरूरत होगी और इस पर करीब 60 हजार करोड़ का खर्च आएगा।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के अनुसार बीएस-6 में जाने पर डीजल कारों से 68 फीसदी और पेट्रोल कारों से 25 फीसदी तक नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम हो जाएगा। यही नहीं डीजल कारों से कैंसर पैदा करने वाले कणों (PM) का उत्सर्जन भी अभूतपुर्व तरीके से 80 फीसदी कम होगा।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की अनुमिता रॉय चौधरी कहती हैं, 'सरकार का यह फैसला पूरी बाजी ही पलट देगा। यह पहल बहुत जरूरी थी, क्योंकि हम यूरोप से 10 साल पीछे हैं। इससे न सिर्फ भारत में मोटरीकरण के द्वारा लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे असर को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह जलवायु पर भी सकारात्मक असर डालेगा।'
2020 ही वो साल भी है जब पेरिस जलवायु समझौता प्रभाव में आएगा। हाल ही में पिछले साल दिसंबर में भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और उस साल पहली पंच वर्षीय अनुपालन रिपोर्ट दायर की जाएगी। इस खबर के बाद कार कंपनियों की तरफ से मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है।
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वाइस चेयरमैन विक्रम किर्लोस्कर ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, 'सोसाइटी चाहती है कि हम भारत स्टेज-6 में जाएं। एक कंपनी के तौर पर हम इन नए मानदंड़ों को पूरा करने की हर संभव कोशिश करेंगे। हमारा सिर्फ एक ही मुद्दा है कि सरकार अपने निर्णय पर कायम रहे, बदले नहीं।'
मर्सिडीज बेंज ने एनडीटीवी से कहा, 'हम सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं। हमें इसे और जल्दी लागू करने की तरफ ध्यान देना चाहिए। हमारे पास तो यूरो-6 वाहन पहले से ही तैयार हैं।'
दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है और यहां की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी चाहती है कि बीएस-6 को 2017 तक लागू कर दिया जाए। केंद्र सरकार दिल्ली सरकार की मांग को तो नजरअंदाज कर सकती है, लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट में तो जवाब देना ही पड़ेगा, जिसने मंगलवार को ही पूछा है कि बीएस-6 को 2019 तक क्यों नहीं लागू किया जा सकता।
फिलहाल पूरे उत्तर भारत में बीएस-4 इंधन की आपूर्ति होती है, जबकि देश के अन्य हिस्सों में अब भी भारत स्टेज-3 ग्रेड का ही इस्तेमाल हो रहा है। अब सरकार ने निर्णय लिया है कि स्टेज 5 को अपनाने की बजाय भारत सीधे स्टेज-6 को अपनाएगा।
परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है, 'भारत में कार बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां यूरो-6 के अनुरूप इंजन बना रही हैं और उनका निर्यात भी कर रही हैं। उनके पास तकनीक है और 2020 तक का समय भी है।' भारत स्टेज-6 भी यूरो-6 उत्सर्जन मानकों के बराबर ही है।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने भरोसा दिलाया है कि वे बीएस-6 उत्सर्जन मानकों पर ईंधन की सप्लाई करने को तैयार हैं। इसके लिए देश की दो-तिहाई सरकारी रिफायनरियों को अपग्रेड करने की जरूरत होगी और इस पर करीब 60 हजार करोड़ का खर्च आएगा।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के अनुसार बीएस-6 में जाने पर डीजल कारों से 68 फीसदी और पेट्रोल कारों से 25 फीसदी तक नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम हो जाएगा। यही नहीं डीजल कारों से कैंसर पैदा करने वाले कणों (PM) का उत्सर्जन भी अभूतपुर्व तरीके से 80 फीसदी कम होगा।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की अनुमिता रॉय चौधरी कहती हैं, 'सरकार का यह फैसला पूरी बाजी ही पलट देगा। यह पहल बहुत जरूरी थी, क्योंकि हम यूरोप से 10 साल पीछे हैं। इससे न सिर्फ भारत में मोटरीकरण के द्वारा लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे असर को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि यह जलवायु पर भी सकारात्मक असर डालेगा।'
2020 ही वो साल भी है जब पेरिस जलवायु समझौता प्रभाव में आएगा। हाल ही में पिछले साल दिसंबर में भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और उस साल पहली पंच वर्षीय अनुपालन रिपोर्ट दायर की जाएगी। इस खबर के बाद कार कंपनियों की तरफ से मिलीजुली प्रतिक्रिया मिल रही है।
टोयोटा किर्लोस्कर मोटर के वाइस चेयरमैन विक्रम किर्लोस्कर ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, 'सोसाइटी चाहती है कि हम भारत स्टेज-6 में जाएं। एक कंपनी के तौर पर हम इन नए मानदंड़ों को पूरा करने की हर संभव कोशिश करेंगे। हमारा सिर्फ एक ही मुद्दा है कि सरकार अपने निर्णय पर कायम रहे, बदले नहीं।'
मर्सिडीज बेंज ने एनडीटीवी से कहा, 'हम सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं। हमें इसे और जल्दी लागू करने की तरफ ध्यान देना चाहिए। हमारे पास तो यूरो-6 वाहन पहले से ही तैयार हैं।'
दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है और यहां की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी चाहती है कि बीएस-6 को 2017 तक लागू कर दिया जाए। केंद्र सरकार दिल्ली सरकार की मांग को तो नजरअंदाज कर सकती है, लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट में तो जवाब देना ही पड़ेगा, जिसने मंगलवार को ही पूछा है कि बीएस-6 को 2019 तक क्यों नहीं लागू किया जा सकता।
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