प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
रूस द्वारा आयोजित बैठक में शुक्रवार को भारत पहली बार 'गैर आधिकारिक' रूप से शामिल होगा और तालिबान से बात करेगा. अफगानिस्तान पर रूस द्वारा आयोजित बैठक में तालिबान के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे. रूसी विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह कहा था कि अफगानिस्तान पर मॉस्को- प्रारूप बैठक 9 नवंबर को होगी. इसमें अफगान तालिबान के प्रतिनिधि भाग लेंगे. बैठक में भारत की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि हम अवगत हैं कि रूस 9 नवंबर को मॉस्को में अफगानिस्तान पर एक बैठक की मेजबानी कर रहा है.
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उन्होंने कहा, 'बैठक में हमारी भागीदारी गैर-आधिकारिक स्तर पर होगी.' उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह के सभी प्रयासों का समर्थन करता है, जो एकता और बहुलता को बनाए रखेगा तथा देश में स्थिरता और समृद्धि लाएगा. रवीश कुमार ने जोर दिया कि भारत की सतत नीति यह रही है कि इस तरह के प्रयास अफगान-नेतृत्व में, अफगान-स्वामित्व वाले और अफगान-नियंत्रित तथा अफगानिस्तान सरकार की भागीदारी के साथ होने चाहिए.
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रूसी समाचार एजेंसी 'तास' के मुताबिक यह दूसरा मौका है, जब रूस युद्ध से प्रभावित अफगानिस्तान में शांति लाने करने के तरीकों की तलाश करते समय क्षेत्रीय शक्तियों को एक साथ लाने का प्रयास कर रहा है. इस प्रकार की पहली बैठक इसी साल चार सितंबर को प्रस्तावित थी, लेकिन आखिरी समय में इसे रद्द कर दिया गया था. उस समय अफगान सरकार बैठक से हट गई थी.
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रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अफगानिस्तान, भारत, ईरान, चीन, पाकिस्तान, अमेरिका और कुछ अन्य देशों को निमंत्रण भेजा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की थी. उसके बाद यह बैठक आयोजित की जा रही है.
(इनपुट: भाषा)
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उन्होंने कहा, 'बैठक में हमारी भागीदारी गैर-आधिकारिक स्तर पर होगी.' उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान में शांति और सुलह के सभी प्रयासों का समर्थन करता है, जो एकता और बहुलता को बनाए रखेगा तथा देश में स्थिरता और समृद्धि लाएगा. रवीश कुमार ने जोर दिया कि भारत की सतत नीति यह रही है कि इस तरह के प्रयास अफगान-नेतृत्व में, अफगान-स्वामित्व वाले और अफगान-नियंत्रित तथा अफगानिस्तान सरकार की भागीदारी के साथ होने चाहिए.
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रूसी समाचार एजेंसी 'तास' के मुताबिक यह दूसरा मौका है, जब रूस युद्ध से प्रभावित अफगानिस्तान में शांति लाने करने के तरीकों की तलाश करते समय क्षेत्रीय शक्तियों को एक साथ लाने का प्रयास कर रहा है. इस प्रकार की पहली बैठक इसी साल चार सितंबर को प्रस्तावित थी, लेकिन आखिरी समय में इसे रद्द कर दिया गया था. उस समय अफगान सरकार बैठक से हट गई थी.
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रूसी विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अफगानिस्तान, भारत, ईरान, चीन, पाकिस्तान, अमेरिका और कुछ अन्य देशों को निमंत्रण भेजा गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कई वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की थी. उसके बाद यह बैठक आयोजित की जा रही है.
(इनपुट: भाषा)
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