भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंगलवार को कहा कि देश में इस साल सितंबर और अक्टूबर के दौरान अत्यंत भारी वर्षा की 125 घटनाएं दर्ज की गईं, जो पांच वर्षों में सबसे अधिक है. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की देर से वापसी और सामान्य से अधिक निम्न दबाव प्रणाली इसके प्रमुख कारण है. आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक देश में सितंबर में अत्यधिक भारी बारिश की 89 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल इसी महीने में 61, वर्ष 2019 में 59, वर्ष 2018 में 44 और 2017 में 29 घटनाएं हुईं. इस साल अक्टूबर में 36 ऐसी घटनाएं हुईं, जबकि 2020 में इसी अवधि में 10 की तुलना में 2019 में 16, वर्ष 2018 में 17 और 2017 में 12 घटनाएं हुईं.
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मौसम विभाग ने कहा कि प्रचंड मौसम की घटनाओं के कारणों में मॉनसून की देर से वापसी, इस अवधि के दौरान सामान्य से ज्यादा कम दबाव प्रणाली और अक्टूबर में कम दबाव प्रणाली के साथ सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ की स्थिति शामिल है. इस अवधि के दौरान देश में दो चक्रवात, एक गहरे दबाव और छह निम्न दबाव सहित नौ कम दबाव वाली प्रणालियों ने प्रभावित किया. उत्तराखंड में 18 और 19 अक्टूबर को हुई अत्यंत भारी बारिश के दौरान अलग-अलग घटनाओं में 79 लोगों की मौत हो गई. उत्तराखंड में अक्टूबर में सामान्य तौर पर 35.3 मिमी के मुकाबले 203.2 मिमी बारिश हुई.
कम दबाव वाले क्षेत्र बनने और एक तीव्र पश्चिमी विक्षोभ के साथ 17-19 अक्टूबर के दौरान भारी से अत्यधिक भारी बारिश के कारण उत्तराखंड में अचानक बाढ़ आ गई और भूस्खलन हुआ तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नदी में बाढ़ आ गई. आंकडों में 15 मिलीमीटर से नीचे दर्ज की गई वर्षा को हल्की, 15 से 64.5 मिमी मध्यम, 64.5 मिमी से 115.5 मिमी भारी और 115.6 और 204.4 के बीच बहुत भारी माना जाता है. वहीं 204.4 मिमी से ज्यादा बारिश को अत्यधिक भारी वर्षा माना जाता है.
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दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की 15 अक्टूबर की सामान्य तारीख के मुकाबले 25 अक्टूबर को पूरे देश से वापसी हुई, जिससे यह 1975 के बाद से सातवां सबसे लंबी अवधि की वापसी वाला मॉनसून बन गया. जून से सितंबर तक चार महीने के दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के मौसम के दौरान देश में ‘‘सामान्य'' वर्षा हुई. यह लगातार तीसरा वर्ष है जब देश में सामान्य या सामान्य से ऊपर की श्रेणी में बारिश दर्ज की गई. वर्ष 2019 और 2020 में सामान्य से अधिक हुई बारिश हुई थी.
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