
पहलगाम आतंकी हमले के बाद से भारत ने कई कड़े कदम उठाए हैं. इनमें अटारी सीमा के जरिए होने वाले व्यापार को रोकना भी शामिल है. इस सीमा से नागरिकों की होने वाली आवाजाही भी रोक दी गई है. सरकार के इस कदम से हजारों करोड़ का व्यापार ठप हो गया है. लैंड पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की 2022-2023 की रिपोर्ट के अनुसार अटारी सीमा से 2022-2023 में दो हजार दो सौ 57 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था. इस सीमा से 67 हजार 747 लोगों ने आवाजाही की थी. इससे पहले भारत ने 2019 में पुलवामा हमले के बाद से पाकिस्तान से होने वाले व्यापार पर 200 फीसदी का टैरिफ लगा दिया था. इस कदम से भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार और भी कम हो गया था.
कहां है अटारी वाघा सीमा
विभाजन के बाद भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय रेखा अटारी-वाघा से होकर गुजरी.पंजाब में अटारी भारत की सीमा में स्थित एक गांव है, जबकि वाघा पाकिस्तान में स्थित गांव. ये दोनों गांव एक-दूसरे से तीन किमी की दूरी पर हैं. इसी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बने चेकपोस्ट को अटारी-वाघा चेक पोस्ट कहा जाता है. अटारी-बाघा से व्यापार की शुरूआत 2005 में शुरू हुआ था. इस रास्ते से ट्रकों की आवाजाही 2007 में शुरू हुई थी. इस सीमा पर इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट (आईसीपी) का शुभारंभ 13 अप्रैल 2012 को हुआ था. अफगानिस्तान से सड़क मार्ग के जरिए होने वाला व्यापार भी इसी रास्ते से होता है.

भारत ने अटारी सीमा से होकर लोगों की आवाजाही और व्यापार को भारत ने रोकने की घोषणा की है.
अटारी सीमा के जरिए भारत सोयाबीन, मुर्गियों के दाने, सब्जियां, लाल मिर्च, प्लास्टिक ग्रेनुएल्स और धागों का निर्यात करता है. वहीं पाकिस्तान के रास्ते से होकर सूखे मेवे, खजूर, जिप्सम, सिमेंट, ग्लास, सेंधा नमक और जड़ी-बूटियों जैसी चीजों का आयात होता है. अटारी सीमा पर बना पोर्ट 120 एकड़ में फैला हुआ है. इसके नेशनल हाइवे नंबर-एक से जुड़ा हुआ होने की वजह से यहां से व्यापार आसान है. भारत और पाकिस्तान के बीच सड़क मार्ग के जरिए केवल इसी सीमा से व्यापार होता है.
कितने करोड़ का होता है अटारी सीमा से व्यापार
आतंकी घटनाओं का असर भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले व्यापार पर भी पड़ता है. फरवरी 2019 में जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों को निशाना बनाकर हमला किया गया था. इसके बाद भी भारत ने कई तरह के कदम उठाए थे. इसका असर भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले व्यापार पर पड़ा था. साल 2018-2019 के बीच दोनों देशों के बीच चार हजार 370 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ था. लेकिन भारत की ओर से उठाए गए कदमों से यह व्यापार 2022-2023 के बीच घटकर दो हजार 257 करोड़ रह गया.

अटारी सीमा से होकर होने वाली लोगों की आवाजाही.
सरकार की ओर से उठाए गए कदमों से इस सीमा के जरिए होने वाली लोगों की आवाजाही भी प्रभावित हुई थी. साल 2018-2019 में 78 हजार 471 लोग आए-गए थे. वहीं 2022-2023 में यह संख्या घटकर 67 हजार 747 लोगों की रह गई थी. इन दोनों सालों के दौरान कंसाइनमेंट की संख्या में भी गिरावट आई थी. 2018-2019 में 49 हजार 102 कंसाइनमेंट की आवाजाही हुई थी. वहीं 2022-2023 में यह घटकर तीन हजार 827 रह गई.

अटारी सीमा से होकर 2020-21 और 2022-2023 में हुआ कारोबार.
कैसी है पाकिस्तान की आर्थिक हालत
पहलगाम आतंकी हमले के बाद उठाए गए भारत के इन कदमों का असर तो आने वाले दिनों में दिखाई देगा. लेकिन पाकिस्तान आर्थिक मोर्चे पर पहले से ही जूझ रहा है. बढ़ती महंगाई से परेशान पाकिस्तान की आवाम अक्सर सड़क पर उतर कर प्रदर्शन करती रहती है. सबसे अधिक समस्या तो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में है. वहां इस तरह के प्रदर्शनों से सरकार कड़ाई से निपटती है. पिछले साल महंगाई के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. पाकिस्तान की आर्थव्यवस्था भी डंवाडोल की हालत में है. इसे इस तरह समझ सकते हैं कि जिस दिन पहलगाम हमला हुआ उसी दिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान विकास दर को संशोधित कर दिया. आईएमएफ ने पाकिस्तान की विकास दर 2.6 फीसदी रहने की संभावना जताई है. अब भारत की ओर से उठाए जाने वाले कदमों से पाकिस्तान का हजारों करोड़ का व्यापार प्रभावित होगा.
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