
- भारतीय नौसेना और ग्रीस की नौसेना के बीच पहला द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास भूमध्य सागर में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ
- अभ्यास में भारतीय मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस त्रिकंद और ग्रीस की फ्रिगेट एचएस थेमिस्टोक्लेस ने भाग लिया
- बंदरगाह चरण में जहाजों का परस्पर दौरा, पेशेवर बातचीत और सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम आयोजित किए गए
भारतीय नौसेना और ग्रीस की नौसेना के बीच पहला द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास भूमध्य सागर में सम्पन्न हुआ. यह अभ्यास भारत और ग्रीस के बीच रक्षा सहयोग के नए अध्याय का प्रतीक बन गया है. खासकर इस अभ्यास का महत्व तब और बढ़ जाता है जब भारत ने तुर्की के दुश्मन कहे जाने वाले ग्रीस के साथ पहली बार अभ्यास किया. इससे तुर्की की नींद उड़ना तय है.
यह अभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया. 13 से 17 सितंबर तक सलामिस नौसैनिक अड्डे पर ‘बंदरगाह चरण' हुआ. इसके बाद 17 और 18 सितंबर को ‘समुद्री चरण' आयोजित किया गया. इसमें भारतीय नौसेना की ओर से मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस त्रिकंद ने भाग लिया.

बंदरगाह चरण में दोनों नौसेनाओं के बीच आपसी समझ और सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर रहा. इस दौरान जहाजों का परस्पर दौरा, चालक दल के बीच पेशेवर बातचीत, और ग्रीस नौसेना के फ्रिगेट एचएस थेमिस्टोक्लेस पर आयोजित प्री-सेल कॉन्फ्रेंस जैसे कार्यक्रम हुए.
आईएनएस त्रिकंद पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम भी आयोजित हुआ, जिसमें ग्रीस में भारत के राजदूत रुद्रेंद्र टंडन, सलामिस नौसैनिक अड्डे के कमांडर कमोडोर स्पायरिडॉन मैंटिस और वरिष्ठ नौसेना अधिकारी अपने परिवारों सहित उपस्थित रहे. इस अवसर पर भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन किया गया. इसके अलावा आईएनएस त्रिकंद के दल ने एथेंस स्थित एक्रोपोलिस का भी भ्रमण किया.
समुद्री चरण में दोनों नौसेनाओं ने जटिल और उच्च-स्तरीय अभ्यासों में भाग लिया. इसमें रात के वीबीएसएस ऑपरेशन (विज़िट, बोर्ड, सर्च और सीज), समुद्र में ईंधन भराई, संयुक्त पनडुब्बी-रोधी युद्धाभ्यास, समन्वित तोपों से फायरिंग, और क्रॉस-डेक हेलीकॉप्टर संचालन शामिल थे. इन अभ्यासों ने दोनों नौसेनाओं की इंटरऑपरेबिलिटी और पेशेवर दक्षता को नई ऊंचाई दी.
इस पहले द्विपक्षीय अभ्यास ने भारत और ग्रीस के बीच बढ़ते सामरिक तालमेल और समुद्री सुरक्षा में साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित किया. दोनों देश वैश्विक समुद्री क्षेत्र में स्थिरता, सुरक्षा और स्वतंत्र नौवहन सुनिश्चित करने के लिए समान दृष्टिकोण रखते हैं.
वैसे भी भारत के खिलाफ तुर्की पाकिस्तान की लगातार मदद कर रहा है. ऑपेरशन सिंदूर के दौरान भी तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन भेजे लेकिन फिर भी वह भारत का कुछ बिगाड़ नही पाया. ग्रीस के साथ तुर्की का पुराना विवाद हैं. समुद्री सीमा और द्वीप को लेकर दोनो देशों के बीच आये दिन तनाव होता ही रहता है. गौरतलब है कि दोनों नाटो के सदस्य है पर ऐसा लगता है कि कभी भी दोनो के बीच जंग हो सकती है. ऐसे में भारत का ग्रीस के साथ रणनीतिक संबंध को और मजबूत करना तुर्की को कतई रास नहीं आने वाला है.
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