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चिनफिंग से मुलाकात के बाद PM मोदी के इन चार शब्दों पर गौर किया आपने?

चीन अगर पांच साल बाद भारत से बातचीत करने के लिए तत्पर दिखा तो इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह भारत का वो कूटनीतिक दाव था,

चिनफिंग से मुलाकात के बाद PM  मोदी के इन चार शब्दों पर गौर किया आपने?
नई दिल्ली:

तारीख 23 अक्टूबर 2024 जगह कजान 5 साल बाद भारत और चीन के नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई. वार्ता के बाद दोनों ही पक्षों की तरफ से संतोष जताया गया है. इस बातचीत से पहले ही इसके लिए जमीन तैयार की गयी थी. दोनों देशों की सेनाओं के बीच समझौते हुए और विश्वास बहाली पर जोर दिया था. अब बारी नेताओं की थी. पीएम मोदी ने इस बातचीत के बाद सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा कि रूस के कज़ान में ब्रिक्स समिट से अलग राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाक़ात हुई. दोनों देशों के लोगों के अलावा क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के साथ स्थिरता के लिए भारत-चीन संबंध अहम हैं. आपसी भरोसा, आदर और संवेदनशीलता ही दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को राह दिखाएंगे.

प्रधानमंत्री ने इस बातचीत के माध्यम से चीन को कई तरह के संकेत दे दिए. अगर आप उनके शब्दों पर गौर करें तो पाएंगे कि ये वही शब्द हैं जिन्हें भारत की तरफ से लगातार कई मंचों पर चीन को लेकर उठाए जाते रहे हैं. 

सीमा पर शांति रहनी चाहिए : पीएम मोदी ने इस स्टेटमेंट के साथ ही चीन को इशारों ही इशारों में बता दिया कि संबंध तभी गहरे और टिकाऊ रहेंगे जब चीन सीमा पर अपनी हरकतों से बाज आएगा.  सीमा पर शांति बहाली का मुद्दा दोनों देशों की सेनाओं से जुड़ा है और वो तब ही जमीन पर उतर पाएगा जब चीन एलएसी के समझौतों को मानने के लिए तैयार रहे. 

एक-दूसरे की संवेदनशीलता का सम्मान किया जाना चाहिए: पीएम मोदी ने इस लाइन के सहारे भारत को लेकर चीन की नीतियों पर हमला किया. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन जब तब टांग अड़ाता रहता है. UNSC में ग्लोबल टेररिस्ट लिस्ट में शामिल होने से पाकिस्तान के आतंकियों को भी चीन ने कई बार बचाया है.

आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देना : चीन के लिए भारत लंबे समय तक एक बाजार के तौर पर रहा था.  पिछले कुछ सालों में चीन के व्यापार में गिरावट आयी है. क्योंकि भारत चीन से इसके बदले बेहतर सहयोग की उम्मीद करता रहा है. पीएम मोदी ने चीन के साथ बातचीत में इस तरफ ध्यान दिलाया. 

आपसी भरोसा: जो सबसे मजबूत पॉइन्ट भारत की तरफ से लगातार उठाए जा रहे हैं वो है आपसी भरोसा. चीन ने कई बार भारत के विश्वास को तोड़ा है. पीएम मोदी सहित हर तरह की बातचीत में इस बिंदु को भारत की तरफ से प्रमुखता के साथ उठाया जाता रहा है. 

शी चिनफिंग ने मोदी के सुझावों पर ‘सैद्धांतिक रूप से' सहमति जताई

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बुधवार को यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बैठक के दौरान भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने के लिए दिए गए सुझावों पर “सैद्धांतिक रूप से” सहमति व्यक्त की. सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने अपनी खबर में यह जानकारी दी. खबर के मुताबिक, रूसी शहर कजान में 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के इतर प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी बैठक में चिनफिंग ने कहा कि चीन-भारत संबंध मूलतः इस बात को लेकर हैं कि 1.4 अरब की आबादी वाले दो बड़े विकासशील और पड़ोसी देश एक-दूसरे के साथ कैसा व्यवहार करते हैं.

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शी ने कहा कि चीन और भारत को एक-दूसरे के प्रति ठोस रणनीतिक धारणा बनाए रखनी चाहिए तथा दोनों बड़े पड़ोसी देशों को सद्भावनापूर्ण तरीके से रहने और साथ-साथ विकास करने के लिए “सही और उज्ज्वल मार्ग” खोजने के वास्ते मिलकर काम करना चाहिए.

दोनों नेताओं ने सीमा क्षेत्रों में मुद्दों के समाधान के लिए गहन संवाद के माध्यम से दोनों पक्षों द्वारा हाल ही में की गई महत्वपूर्ण प्रगति की सराहना की. समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बताया, “मोदी ने संबंधों को सुधारने और विकसित करने के लिए सुझाव दिए, जिन पर शी ने सैद्धांतिक रूप से सहमति जताई.”

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पीएम मोदी का क्या है 3M?
चीन के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री ने 3  M पर जोर दिया. आइए जानते हैं क्या है ये 3 M.

  • Mutual Trust (आपसी विश्वास)
  • Mutual Respect (आपसी सम्मान)
  • Mutual Sensitivity (आपसी संवेदनशीलता)

ब्रिक्स सम्मेलन में किन बातों पर हुई प्रमुख चर्चा

  • डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा दिया जाएगा. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रभावशाली वैश्विक गवर्नेस को बढ़ावा देने और इसमें संयुक्त राष्ट्र की अहम भूमिका का समर्थन करने का निर्णय लिया गया है. 
  • कासशील देशों के लिए आगामी जलवायु सम्मेलन में अधिक धन की अपेक्षा जताई गयी है. 
  • ब्रिक्स देशों के मौजूदा न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) को एक नए विकास बैंक के तौर पर विकसित किया जाएगा. स्थानीय मुद्रा में ज्यादा कर्ज एनडीबी देगा. 
  • पश्चिमी प्रतिबंधों को अवैध और एकतरफा बताया गया है जिसके वैश्विक अर्थव्यवस्था व अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर पड़े रहे असर पर भी चिंता जताई गयी.
  • वैश्विक महामारी की रोकथाम के लिए ब्रिक्स वैक्सीन सेंटर का किया समर्थन. इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस बनाने की भारत की पहल पर लिया संज्ञान.
  • वैश्विक कर्ज के बढ़ते स्तर पर चिंता. इसे एक वैश्विक समस्या के तौर पर चिह्नित करते हुए इसका समग्र तौर पर समाधान निकालने के लिए जी-20 फ्रेमवर्क को लागू करने की मांग.
  • अंतरराष्ट्रीय कारोवार में मौजूदा बाधाओं को दूर करने और उन्हें हर देश के लिए समान तौर पर लागू करने का समर्थन .
  • सदस्य देशों के वित मंत्रियों व केंद्रीय बैंकों को स्थानीय मुद्रा में कारोवार, भुगतान की नई व्यवस्था पर अध्ययन कर अगली बैठक में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश.

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