नई दिल्ली:
योग गुरु बाबा रामदेव ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा कि वह विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने के लिए कदम उठाएं और अपनी 'राजनीतिक ईमानदारी तथा इच्छाशक्ति' का परिचय दें। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने एक बयान जारी कर कालेधन का पता लगाने और इस पर रोक के लिए की गई पहलों का ब्योरा पेश कर दिया।
कालेधन तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ रामलीला मैदान में अनशन शुरू करने वाले बाबा रामदेव ने अपने हजारों समर्थकों से कहा, "प्रधानमंत्री काले धन को वापस लेने के लिए कदम क्यों नहीं उठा रहे हैं? सरकार को उन नामों का खुलासा करना चाहिए, जिनका काला धन विदेशों में जमा है.. बहाने बनाना बंद करें।" उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री को काले धन पर अपनी राजनीतिक ईमानदारी तथा इच्छाशक्ति का परिचय देना चाहिए।" उन्होंने कहा कि सरकार को जनता को कम से कम यह बताना चाहिए कि वह काला धन कब वापस लाएगी।
रामदेव ने कहा, "यदि काला धन वापस लाया जाता है तो महंगाई की समस्या का समाधान हो जाएगा और लोगों को कर के रूप में जिस बड़ी राशि का भुगतान करना पड़ता है, उससे राहत मिल जाएगी.. नक्सल समस्या का समाधान भी निकल आएगा।" उन्होंने कहा कि हर भारतीय व्यक्ति किसी भी वस्तु को खरीदने के लिए उसकी वास्तविक कीमत का 30 प्रतिशत अधिक विभिन्न करों के रूप में अदा करता है।
अपने गुरुवार के बयान को दोहराते हुए योग गुरु ने कहा, "हम शनिवार तक इंतजार करेंगे और उसके बाद अगले कदम की घोषणा करेंगे।"
बाबा रामदेव ने इससे पहले कहा कि यदि ओलिंपिक भ्रष्टाचार के लिए पदक देता तो इसमें भारत को स्वर्ण पदक मिलता। उन्होंने विदेशों से काला धन वापस लाने के साथ-साथ प्रभावी लोकपाल, स्वतंत्र केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तथा सिटीजन चार्टर की मांग की। इस मुद्दे पर अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों से सहमति जताते हुए उन्होंने कहा, "यदि सीबीआई को स्वतंत्र बनाया जाता है तो साफ राजनीति होगी, क्योंकि सीबीआई का इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं को ब्लैकमेल करने के लिए किया जाता है।"
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने कालेधन का पता लगाने और इस पर रोक के लिए शुक्रवार को अपनी पहलों का ब्योरा जारी किया।
केंद्र सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकार ने अपने नेटवर्क में व्यापक संशोधन किए हैं। भारत सरकार ने 84 देशों के साथ 'दोहरा कराधान परिहार समझौता' तथा कर चोरी की दृष्टि से स्वर्ग माने जाने वाले नौ देशों के साथ कर 'सूचना विनिमय समझौता' किया है।
बताया गया है कि सरकार को कई देशों में भारतीय नागरिकों द्वारा सम्पत्ति रखे जाने और भुगतान प्राप्त करने सम्बंधी जानकारियां अब तक 12,500 से अधिक टुकड़ों में मिली हैं। इन जानकारियों के आधार पर जांच की प्रक्रिया अभी विभिन्न चरणों में हैं।
अधिकारियों को वित्तीय खुफिया इकाई द्वारा संदिग्ध लेनदेन के बारे में भी घरेलू जानकारियां 30,765 टुकड़ों में मिली हैं।
बयान में कहा गया है कि स्थानांतरण मूल्य निर्धारण निदेशालय को पिछले वित्त वर्ष में 67,768 करोड़ रुपये और मौजूदा वित्त वर्ष (2011-12) में 43,531 करोड़ रुपये का गलत मूल्य निर्धारण होने का पता चला है। यह निदेशालय समतुल्य लाभ को देश से बाहर जाने से रोकता है।
अंतरराष्ट्रीय कराधान निदेशालय ने पिछले दो वित्तवर्षो में सीमापार से लेनदेन करने वालों से 48,951 करोड़ रुपये के कर की वसूली की है।
बयान के मुताबिक सरकार की ओर से एक पहल यह भी की गई है कि एक विदेशी बैंकों में जमा धन और बैंक खातों की जानकारी के लिए 'रिपोर्टिग मैकेनिज्म' की शुरुआत की गई है।
कालेधन तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ रामलीला मैदान में अनशन शुरू करने वाले बाबा रामदेव ने अपने हजारों समर्थकों से कहा, "प्रधानमंत्री काले धन को वापस लेने के लिए कदम क्यों नहीं उठा रहे हैं? सरकार को उन नामों का खुलासा करना चाहिए, जिनका काला धन विदेशों में जमा है.. बहाने बनाना बंद करें।" उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री को काले धन पर अपनी राजनीतिक ईमानदारी तथा इच्छाशक्ति का परिचय देना चाहिए।" उन्होंने कहा कि सरकार को जनता को कम से कम यह बताना चाहिए कि वह काला धन कब वापस लाएगी।
रामदेव ने कहा, "यदि काला धन वापस लाया जाता है तो महंगाई की समस्या का समाधान हो जाएगा और लोगों को कर के रूप में जिस बड़ी राशि का भुगतान करना पड़ता है, उससे राहत मिल जाएगी.. नक्सल समस्या का समाधान भी निकल आएगा।" उन्होंने कहा कि हर भारतीय व्यक्ति किसी भी वस्तु को खरीदने के लिए उसकी वास्तविक कीमत का 30 प्रतिशत अधिक विभिन्न करों के रूप में अदा करता है।
अपने गुरुवार के बयान को दोहराते हुए योग गुरु ने कहा, "हम शनिवार तक इंतजार करेंगे और उसके बाद अगले कदम की घोषणा करेंगे।"
बाबा रामदेव ने इससे पहले कहा कि यदि ओलिंपिक भ्रष्टाचार के लिए पदक देता तो इसमें भारत को स्वर्ण पदक मिलता। उन्होंने विदेशों से काला धन वापस लाने के साथ-साथ प्रभावी लोकपाल, स्वतंत्र केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) तथा सिटीजन चार्टर की मांग की। इस मुद्दे पर अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों से सहमति जताते हुए उन्होंने कहा, "यदि सीबीआई को स्वतंत्र बनाया जाता है तो साफ राजनीति होगी, क्योंकि सीबीआई का इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं को ब्लैकमेल करने के लिए किया जाता है।"
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने कालेधन का पता लगाने और इस पर रोक के लिए शुक्रवार को अपनी पहलों का ब्योरा जारी किया।
केंद्र सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सरकार ने अपने नेटवर्क में व्यापक संशोधन किए हैं। भारत सरकार ने 84 देशों के साथ 'दोहरा कराधान परिहार समझौता' तथा कर चोरी की दृष्टि से स्वर्ग माने जाने वाले नौ देशों के साथ कर 'सूचना विनिमय समझौता' किया है।
बताया गया है कि सरकार को कई देशों में भारतीय नागरिकों द्वारा सम्पत्ति रखे जाने और भुगतान प्राप्त करने सम्बंधी जानकारियां अब तक 12,500 से अधिक टुकड़ों में मिली हैं। इन जानकारियों के आधार पर जांच की प्रक्रिया अभी विभिन्न चरणों में हैं।
अधिकारियों को वित्तीय खुफिया इकाई द्वारा संदिग्ध लेनदेन के बारे में भी घरेलू जानकारियां 30,765 टुकड़ों में मिली हैं।
बयान में कहा गया है कि स्थानांतरण मूल्य निर्धारण निदेशालय को पिछले वित्त वर्ष में 67,768 करोड़ रुपये और मौजूदा वित्त वर्ष (2011-12) में 43,531 करोड़ रुपये का गलत मूल्य निर्धारण होने का पता चला है। यह निदेशालय समतुल्य लाभ को देश से बाहर जाने से रोकता है।
अंतरराष्ट्रीय कराधान निदेशालय ने पिछले दो वित्तवर्षो में सीमापार से लेनदेन करने वालों से 48,951 करोड़ रुपये के कर की वसूली की है।
बयान के मुताबिक सरकार की ओर से एक पहल यह भी की गई है कि एक विदेशी बैंकों में जमा धन और बैंक खातों की जानकारी के लिए 'रिपोर्टिग मैकेनिज्म' की शुरुआत की गई है।
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