भारत और चीन के कमांडरों के बीच 14 जून को 15 घंटे की बातचीत चुशुल में हुई. इस बैठक में पहले चरण में तनाव कम करने के लिए एलएसी से सैनिकों के पीछे हटने पर चर्चा हुई. साथ ही पूरी तरह एलएसी पर तनाव कैसे खत्म हो और जवानों को कैसे पीछे हटाया जाए इस पर भी चर्चा हुई. दोनों पक्षों ने मंगलवार को हुई बैठक में कम्पलीट डिसइंगेजमेंट को लेकर अपनी बात दोहराई. हालांकि ये बहुत जटिल है जिसके लिए लगातार वेरिफिकेशन की जरूरत पड़ेगी.
हालांकि सूत्रों से ये भी पता चल रहा है कि लद्दाख के फिंगर एरिया से चीन पूरी तरह हटने को तैयार नहीं है. लेकिन लेफ्टिनेंट जनरल अधिकारियों की बैठक में भारत ने चीन से स्पष्ट कह दिया है अप्रैल 2020 की यथास्थिति से कम उसे कुछ भी मंजूर नहीं है.
चीन फिंगर 4 से पीछे हटा है जहां वह डटा हुआ था, बल्कि फिंगर 5 के पीछे हटा है. लेकिन वो फिंगर एरिया में बना रहना चाहता है. खास तौर से फिंगर 8 एरिया में. जबकि भारत पहले फिंगर 8 तक हमेशा से पेट्रोलिंग किया करता था.
15-16 जून को जिस गलवन घाटी में हुए हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए और चीन के 43 जवान मारे गए थे वहां चीनी सेना 2 किलोमीटर पीछे हट चुकी है. गलवन वैली के साथ ही हॉट स्प्रिंग और गोगरा से भी 2 किलोमीटर पीछे हटी चीनी सेना. चीनी सेना के गाड़ियां पीछे हट चुकी है. चीन के पीएलए ने अपने टेंट और अस्थायी निर्माण भी हटाया है.
30 जून को भारत और चीन के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच जो बैठक हुई उसमें गलवन वैली, हॉट स्प्रिंग, पैंगोंग त्सो और गोगरा जहां एलएसी पर भारत चीन की सेना आमने सामने हैं वहां तनाव कम करने के लिए इस फॉर्मूले पर समझौता हुआ था.
गलवन वैली पैट्रॉल पॉइंट 14, हॉट स्प्रिंग, गोगरा में एलएसी पर 3 किलोमीटर का बफरजोन बनाया गया है. दोनों देशों की तरफ 1.5 किलोमीटर का. फिलहाल के लिए दोनों ही देश बफर जोन में पेट्रोलिंग नहीं करेंगे. तीन चरणों मे disengagment प्रोसेस के पूरे होने के बाद ही दोनों देशों की सेनाएं बफर जोन में पेट्रोलिंग कर जाएंगी. जिसमें महीने से ज्यादा का समय लग सकता है. बफर जोन में पैट्रोलिंग नहीं करने का अर्थ हुआ कि भारत पैट्रॉल पॉइंट 14, जहां 15 जून को झड़प हुई थी जिसमे 20 जवान शहीद हुए थे, वहां भी पैट्रोलिंग नहीं कर सकेगा.
गलवन घाटी और हॉट स्प्रिंग के बाद गोगरा से चीनी सैनिक पीछे हट चुके हैं. जिसकी पुष्टि सेटेलाइट इमेज से भी हुई है. लेकिन अभी भी पैंगोंग लेक इलाके में गतिरोध बना हुआ है. सैटेलाइट तस्वीरों से ये बात सामने आ रही है कि पैंगोंग त्सो झील से चीन से अपनी सेना को हटाया है. सैटेलाइट तस्वीरों से जून की और ताजा तस्वीरों में फर्क नजर आ रहा है. देखना यह होगा कि क्या चीनी सेना अपनी पुरानी जगह फिंगर 8 के पीछे जाती है या नहीं?
भारत और चीन के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच चौथे दौर की बातचीत में सीमा पर तैनात हजारों की संख्या में तैनात जवान, गन, टैंक, हथियार राकेट लांचर, मिसाइल , फाइटर जेट को हटाने की टाइम लाइन तय करने पर बात हुई है. एलएसी के दोनों ओर 45000 जवानों तैनात हैं. सूत्रों से पता चला था कि पैंगोंग त्सो में चीन अपनी सेना की संख्या में कमी कर रहा है. सेना की इस पर पैनी नजर है कि चीन कब तक और किस प्रकार पीछे हटता है. हालांकि भारत इसको वेरीफाई भी करेगा.
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