'इंडिया' गठबंधन में सीट शेयरिंग पर फंसा पेंच!
नई दिल्ली: 'इंडिया' गठबंधन में कॉर्डिनेशन कमिटी की बैठक के बाद सीटों के बंटवारे पर बातचीत शुरू हो गई है. हर एक राज्य की अपनी अलग परिस्थिति है. बिहार, तमिलनाडु और झारखंड में INDIA गठबंधन की सरकार है, तो महाराष्ट्र में आघाड़ी है. लेकिन इन राज्यों में भी सीटों का बंटवारा आसान नहीं है. कहीं सीटों की संख्या पर बात बनती है, तो किस सीट पर कौन सी पार्टी लड़ेगी, उस पर बात अटक जाती है. वहीं, बंगाल के राजनैतिक हालात अलग हैं. ऐसे में सीटों का बंटवारा INDIA गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं है.
सीट शेयरिंग पर चर्चा उन राज्यों में शुरू होगी, जहां क्षेत्रीय दल प्रमुख भागीदार हैं, जैसे बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु. इसमें शामिल पक्षों की ताकत को देखते हुए समझौता कठिन होने की संभावना है. हालांकि, महाराष्ट्र में यह तय करना मुश्किल हो सकता है कि कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी और एनसीपी कौन सी सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.
बिहार की 40 सीटों का बंटवारा कांग्रेस, जनता दल (JDU) और राष्ट्रीय जनता दल के बीच होना है. 2019 में जेडीयू ने बीजेपी के साथ 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से 16 पर जीत हासिल की और यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मजबूत स्थिति में रखता है. 2019 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी को बिहार में एक भी शीट नहीं मिली थी. लेकिन विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण इसकी संभावना कम ही है, JDU उनके समर्थन के बिना शासन नहीं कर सकता.
NDTV को सूत्रों ने कहा है कि जेडीयू और आरजेडी, जिनके नेता तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री हैं, बराबर संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं और बाकी को कांग्रेस (जिसने सिर्फ एक सीट जीती) और छोटे दलों के बीच बांटना चाहते हैं. जाहिर है, यहां कोई समझौता में 'इंडिया' गठबंधन को समय लगेगा. दरअसल, कांग्रेस के बिहार प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा है कि बातचीत आधिकारिक तौर पर शुरू नहीं हुई है.
महाराष्ट्र, जहां लोकसभा के 48 सीट है. यहां सीटों का बंटवारे पर समझौता करना आसान हो सकता है. यहां इंडिया के तीन सहयोगी दल हैं- कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का शिवसेना गुट. सूत्रों ने कहा है कि महा विकास अघाड़ी के सहयोगियों के बीच 16-16 सीटें बराबर-बराबर बांटने पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है. इस बात पर भी सहमति है कि तीनों अपने-अपने कोटे से छोटे सहयोगियों को सीटें देंगे.
हालांकि महाराष्ट्र में भी कठिनाई सहयोगियों को सीटें आवंटित करने में है. मुंबई (दक्षिण मध्य) सीट पर शिवसेना नेता राहुल शेवाले का कब्जा है, जो अब एकनाथ शिंदे के खेमे में हैं. ठाकरे गुट इस सीट पर फिर से चुनाव लड़ना चाहता है. लेकिन कांग्रेस भी ऐसा चाहती है. कांग्रेस की नजर अरविंद सावंत की मुंबई (दक्षिण) सीट पर भी है, जो अभी भी ठाकरे सेना खेमे के पास है.
तमिलनाडु में कोई समस्या होने की संभावना नहीं है, जहां द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और कांग्रेस के बीच लगभग समझौता हो गया है. दोनों ने 2019 का चुनाव भी एक साथ लड़ा और, जैसा कि तब था, DMK को 20 सीटें मिलेंगी और कांग्रेस को 9, शेष अन्य गठबंधन सहयोगियों को वितरित की जाएंगी.
बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी, कांग्रेस और सीपीआईएम के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के बीच ठंडे रिश्ते हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्पेन में हैं और उनके लौटने पर राज्य की 42 सीटों पर चर्चा शुरू होगी. सूत्रों ने कहा कि वह कांग्रेस के साथ अच्छा खेल सकती हैं. लेकिन सीपीआईएम के साथ समझौता करना कठिन होगा.
'इंडिया' द्वारा जाति जनगणना पर जोर देने की योजना की घोषणा के बाद यह कार्य कठिन हो सकता है. जिसका बनर्जी ने विरोध किया था. समिति ने बुधवार को घोषणा की. बीते दिनों में आयोजित 'इंडिया' की बैठक में तृणमूल के अभिषेक बनर्जी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा समन के कारण भाग लेने में असमर्थ थे.
सूत्रों ने यह भी संकेत दिया है कि जम्मू-कश्मीर की पांच सीटों के लिए कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच समझौता होने वाला है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को दिल्ली की सात और पंजाब की 13 सीटों के लिए समझौते पर काम करना होगा और दोनों के बीच गुजरात की 26 सीटों को भी विभाजित करने की उम्मीद है.
देश भर में 100 अन्य सीटें भी हैं जिनमें कांग्रेस का बीजेपी से मुकाबला होने की उम्मीद है. इसलिए, इनके लिए सीटों का बंटवारा नहीं होगा, सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया