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This Article is From Jan 13, 2020

इनकम टैक्स गाइड : HRA में बचत के लिए अगर करते हैं ये काम तो सावधान हो जाइए...

माता पिता को दिया जाने वाला किराया अगर आप बैंक के माध्यम से दे रहे हैं और वो अगर इस रकम का इनकम टैक्स जमा कर रहे हैं तो आप परेशानी से बच सकते हैं.

इनकम टैक्स गाइड : HRA में बचत के लिए अगर करते हैं ये काम तो सावधान हो जाइए...
ITR में HRA की छूट पाने के लिए जरुरी है घर किराया देने वाले की संपत्ति न हो
नई दिल्ली:

वित्त वर्ष के खत्म होने के साथ ही लोग ITR फाइल करने की जुगत में लग जाते हैं. इनकम टैक्स बचाने के लिए मकान किराया भत्ता, यानी हाउस रेंट एलाउंस (एचआरए) एक ऐसा मद है, जो आपको सबसे ज़्यादा मदद दे सकता है, और बहुत-से नौकरीपेशा लोग इसका इस्तेमाल भी करते हैं. आयकर बचाने के लिए बहुत-से नौकरीपेशा लोग अपने माता-पिता को किराया देकर उस रकम पर इनकम टैक्स में छूट हासिल कर लेते हैं, लेकिन उन्हें कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है...
दरअसल, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10 (13 ए) के तहत किसी भी वेतनभोगी को एचआरए में उसके मूल वेतन का 50 फीसदी, एचआरए के मद में मिलने वाली रकम या चुकाए गए वास्तविक किराये में से मूल वेतन का 10 फीसदी घटाने पर बची रकम में से सबसे कम रकम पर आयकर से छूट मिलती है, सो, बहुत-से नौकरीपेशा अपनी मां या पिता के नाम किराये की रसीदें देकर छूट हासिल कर लेते हैं... उनके लिए ध्यान रखने वाली सबसे ज़रूरी बात यह है कि मां या पिता को भी इस किराये को अपनी आय में दिखाकर इस पर टैक्स देना ज़रूरी है...

...और उससे भी ज़रूरी बात यह है कि जिस मकान का किराया नौकरीपेशा व्यक्ति अदा करने का दावा कर रहा है, वह उसी के नाम नहीं होनी चाहिए. उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति को 50,000 रुपये मूल वेतन के रूप में प्राप्त होते हैं, और 25,000 रुपये एचआरए के मद में, और वह 25,000 रुपये ही वास्तव में किराया देता है, तो उसे 20,000 रुपये पर ही छूट मिल पाएगी, क्योंकि चुकाए गए किराये की रकम में से मूल वेतन का 10 फीसदी घटाने पर यही रकम बचती है... लेकिन अब याद रखने वाली बात यह है कि किराया वसूल करने वाले मां या पिता की आय 20,000 रुपये मासिक बढ़ जाएगी (यदि उनकी आय शून्य है, तो भी अब उनकी आय 20,000 रुपये मासिक मानी जाएगी), और इस रकम पर उन्हें इनकम टैक्स देना ही होगा...

सो, ज़रूरी है कि घर किराया देने वाले की संपत्ति न हो, और मां या पिता को दिया जाने वाला किराया बैंक के ज़रिये दिया जाए, और किराया वसूल करने वाला (मां या पिता) किराये के रूप में हासिल होने वाली उस रकम पर इनकम टैक्स अदा करें.
 

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