
राज्यसभा के उपसभापति पीजे कुरियन ने सदन के सदस्यों को पत्र लिखकर कहा है कि उनके खिलाफ बलात्कार के आरोप झूठे हैं।
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पीड़िता ने हाल ही में मांग की थी कि कुरियन को इस मामले में आरोपी बनाया जाए। उसके बाद से हमले झेल रहे कुरियन ने अपने पत्र में घटनाक्रम के संबंध में विस्तृत नोट संलग्न करते हुए अपील की है कि ‘‘कृपया पूरी सामग्री पढ़ें और अपने विवेक का इस्तेमाल करें।’’
केरल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता का राज्यसभा सदस्यों तक पहुंचने का यह प्रयास काफी महत्व रखता है क्योंकि उन्होंने यह कदम बजट सत्र शुरू होने के एक दिन पहले उठाया है। ऐसी संभावना है कि विपक्ष इस मुद्दे को उठा सकता है और उनके इस्तीफे की मांग कर सकता है।
पत्र के साथ संलग्न नोट का शीर्षक ‘‘प्रो. पीजे कुरियन के बारे में सच्चाई’’ है। इसमें कहा गया है कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा गलत आरोपों की तीन बार जांच की गई। दो जांच वाम मोर्चा सरकार के कार्यकाल में हुई। केरल उच्च न्यायालय ने उन्हें आरोपमुक्त कर दिया और 2007 में उच्चतम न्यायालय ने इसकी पुष्टि की।
उन्होंने अपने पत्र में कहा कि प्रो. कुरियन अपने को निर्दोष साबित करने के लिए और क्या कर सकते हैं? पत्र में माकपा पर आरोप लगाया गया है कि वह उच्चतम न्यायालय के एक हालिया फैसले को केरल उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें आरोपमुक्त बनाए जाने के फैसले से जोड़ने का प्रयास करते हुए दुष्प्रचार कर रही है।
कुरियन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमें मुख्य सूर्यानेल्ली मामले में 35 आरोपियों को बरी कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि यह गौर किया जाना चाहिए कि प्रो कुरियन इस मामले में आरोपी नहीं थे।
(इनपुट भाषा से भी)
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