बृज भूषण सिंह (बाएं से तीसरे) अखिल भारतीय कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष हैं
पणजी:
गोवा में बीजेपी की सरकार बनाने वाली टीम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ एक ऐसा राजनीतिक चेहरा दिखाई दे रहा था जिसके वहां होने की वजह समझ के बाहर थी. यह नाम था - बृज भूषण शरण सिंह का जो कि यूपी से बीजेपी सांसद है और रविवार की उस टीम का हिस्सा हैं जिन्होंने मीडिया को यह सूचना दी थी कि बीजेपी के पास गोवा में सरकार बनाने के लिए 22 वोट हैं.
इस घोषणा के बाद सिंह ने पार्टी के आलाकमान से अनुमति ली और गोवा की दो अहम क्षेत्रीय पार्टियों में से एक को बीजेपी के पक्ष में मनाने के काम पर निकल पड़े. बीजेपी के पास खुद की 13 सीटें थीं. महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के पास तीन थी और वह चुनाव से पहले ही बीजेपी की सहयोगी पार्टी थी. निर्दलियों को भी मना ही लिया गया था. अब बात अटकी थी गोवा फॉर्वर्ड की वजह से जिसके पास तीन सीटें थी और जिसके विजय सरदेसाई जिसके प्रमुख थे. यही नहीं, सरदेसाई ने चुनावी अभियान के दौरान बेहद ही आक्रमक लहज़े में बीजेपी को निशाना बनाया था.
तो हुआ यूं कि सिंह जिनका नाम यूपी के कई आपराधिक मामलों में दर्ज है, वह सरदेसाई के साथ गठबंधन को सील बंद करने के लिए गोवा पहुंचे. एक चीज़ जो इन दोनों शख्स को एक करती है वो है - कुश्ती. जहां बृज भूषण शरण सिंह अखिल भारतीय कुश्ती फेडरेशन के प्रमुख हैं, वहीं सरदेसाई गोवा चैप्टर के अध्यक्ष हैं.
सिंह ने NDTV से सरदेसाई के साथ अपनी दोस्ती का जिक्र किया और पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने के कुछ ही घंटे बाद वह गोवा पहुंच गए. सिंह को सरदेसाई का समर्थन हासिल करने का काम सौंपा गया. रविवार दोपहर तक बात बन चुकी थी, गोवा फॉर्वर्ड ने लिखित में पर्रिकर के साथ की बात कही.
नितिन गडकरी जिन्हें हाथ में बीजेपी के गोवा मिशन की कमान थी बताते हैं 'सिंह एक पारिवारिक ट्रिप पर गोवा आए हुए थे और उनकी उपस्थिति की वजह से गोवा फॉर्वर्ड तक पहुंचना आसान हो गया.' केंद्रीय मंत्री ने कहा 'उनका इस मामले कोई सीधा रोल नहीं था. वह और विजय सरदेसाई कुश्ती फेडरेशन की वजह से दोस्त हैं और उन्होंने ही हमें सरदेसाई से मिलवाया.'
सरदेसाई ने भी इस बात की पुष्टि की है कि बीजेपी के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने में सिंह का अह रोल था लेकिन साथ ही राजनीतिक शुचिता कायम रखते हुए यहभी कहा की बीजेपी के साथ हाथ गोवा के विकास के लिए मिलाया गया है. वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने सरदेसाई जैसी छोटी पार्टियों को खरीदा है, जिसे क्षेत्रीय पार्टियों ने जाहिर तौर पर नकारा है.
इस घोषणा के बाद सिंह ने पार्टी के आलाकमान से अनुमति ली और गोवा की दो अहम क्षेत्रीय पार्टियों में से एक को बीजेपी के पक्ष में मनाने के काम पर निकल पड़े. बीजेपी के पास खुद की 13 सीटें थीं. महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के पास तीन थी और वह चुनाव से पहले ही बीजेपी की सहयोगी पार्टी थी. निर्दलियों को भी मना ही लिया गया था. अब बात अटकी थी गोवा फॉर्वर्ड की वजह से जिसके पास तीन सीटें थी और जिसके विजय सरदेसाई जिसके प्रमुख थे. यही नहीं, सरदेसाई ने चुनावी अभियान के दौरान बेहद ही आक्रमक लहज़े में बीजेपी को निशाना बनाया था.
तो हुआ यूं कि सिंह जिनका नाम यूपी के कई आपराधिक मामलों में दर्ज है, वह सरदेसाई के साथ गठबंधन को सील बंद करने के लिए गोवा पहुंचे. एक चीज़ जो इन दोनों शख्स को एक करती है वो है - कुश्ती. जहां बृज भूषण शरण सिंह अखिल भारतीय कुश्ती फेडरेशन के प्रमुख हैं, वहीं सरदेसाई गोवा चैप्टर के अध्यक्ष हैं.
सिंह ने NDTV से सरदेसाई के साथ अपनी दोस्ती का जिक्र किया और पांच राज्यों के चुनावी नतीजे आने के कुछ ही घंटे बाद वह गोवा पहुंच गए. सिंह को सरदेसाई का समर्थन हासिल करने का काम सौंपा गया. रविवार दोपहर तक बात बन चुकी थी, गोवा फॉर्वर्ड ने लिखित में पर्रिकर के साथ की बात कही.
नितिन गडकरी जिन्हें हाथ में बीजेपी के गोवा मिशन की कमान थी बताते हैं 'सिंह एक पारिवारिक ट्रिप पर गोवा आए हुए थे और उनकी उपस्थिति की वजह से गोवा फॉर्वर्ड तक पहुंचना आसान हो गया.' केंद्रीय मंत्री ने कहा 'उनका इस मामले कोई सीधा रोल नहीं था. वह और विजय सरदेसाई कुश्ती फेडरेशन की वजह से दोस्त हैं और उन्होंने ही हमें सरदेसाई से मिलवाया.'
सरदेसाई ने भी इस बात की पुष्टि की है कि बीजेपी के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने में सिंह का अह रोल था लेकिन साथ ही राजनीतिक शुचिता कायम रखते हुए यहभी कहा की बीजेपी के साथ हाथ गोवा के विकास के लिए मिलाया गया है. वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने सरदेसाई जैसी छोटी पार्टियों को खरीदा है, जिसे क्षेत्रीय पार्टियों ने जाहिर तौर पर नकारा है.
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