
केरल के न्यायाधीश की काफी आलोचना हुई थी जब उन्होंने यौन उत्पीड़न के एक मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक सिविक चंद्रन को अग्रिम जमानत देते हुए कहा था कि शिकायतकर्ता ने "यौन उत्तेजक पोशाक" पहन रखी थी. अब वो फिर एक बार विवादों में हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने एक महिला के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी की थी. उस महिला ने भी सिविक चंद्रन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
उस मामले में, कोझीकोड सत्र अदालत के न्यायाधीश एस कृष्णकुमार ने 2 अगस्त को सिविक चंद्रन को जमानत दे दी थी. उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा था कि सिविक चंद्रन जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ रहे हैं और यह बेहद अविश्वसनीय है कि वह यह जानते हुए कि महिला अनुसूचित जाति की है उसके शरीर को छू लेंगे.
आदेश में कहा गया कि "आरोपी की SSLC ( Secondary School Leaving Certificate) से पता चलता है कि उसने इसमें जाति का नाम उल्लेख करने से इनकार कर दिया था. आरोपी एक सुधारवादी है और जाति व्यवस्था के खिलाफ लड़ने में लगा हुआ है, एक जातिविहीन समाज के लिए लिख रहा है. यह बेहद अविश्वसनीय है कि यह जानते हुए कि वह अनुसूचित जाति की है वह पीड़िता के शरीर को स्पर्श करें. "
चंद्रन को दो यौन उत्पीड़न मामलों में आरोपी बनाया गया है. पहले मामले में एक दलित लेखक ने इस साल अप्रैल में एक पुस्तक प्रदर्शनी के दौरान उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. दूसरे मामले में एक युवा लेखक ने मामला दायर किया था जिसमें उस महिला ने कहा था कि फरवरी 2020 में शहर में एक पुस्तक प्रदर्शनी के दौरान चंद्रन ने उसके साथ बहतमीजी की कोशिश की थी.
दोनों ही मामलों में चंद्रन के वकीलों ने आरोपों को मनगढ़ंत बताया है.
अपने 2 अगस्त के आदेश में, अदालत ने कहा था कि आरोपी ने जो जमानत अर्जी पेश की थी असके साथ शिकायतकर्ता की तस्वीर भी दी गई थी. तस्वीरों को देखने से पता चलता है कि वो उत्तेजक कपड़े पहनती है. और यह लगभग असंभव है कि 74 वर्ष की आयु और वो भी शारीरिक रूप से अक्षम एक व्यक्ति कैसे किसी दूसरे के साथ जोर-जबरदस्ती कर सकता है.”
अदालत ने फैसला सुनाlते हुए कहा था कि, "आरोपी द्वारा जमानत अर्जी के साथ पेश की गई तस्वीरों से पता चलता है कि शिकायतकर्ता वास्तव में खुद ऐसे कपड़े पहन रही है जो यौन उत्तेजक हैं. इसलिए धारा 354ए प्रथम दृष्टया आरोपी के खिलाफ नहीं लग सकती है.”
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