केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव अपुष्ट आधारों पर रखा गया था. उन्होंने कहा कि इसका एकमात्र उद्देश्य मुख्य न्यायाधीश व दूसरे जजों को डराना था. उन्होंने कहा कि देश के मुख्य न्यायधीश के खिलाफ गलत सोच से लाया गया महाभियोग प्रस्ताव इस बात का उदाहरण है कि वकालत करने वाले सांसद न्यायालय के भीतर के झगड़े को खींच कर संसद तक ला रहे हैं.
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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, संसद अपने कार्य क्षेत्र में सर्वोच्च है. संसद की प्रक्रिया को समीक्षा के लिए न्यायालय में नहीं ले जाया जा सकता. गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने एक दिन पहले ही कांग्रेस सहित सात विपक्षी पार्टियों की ओर से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ दिए गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया था.
वित्त मंत्री जेटली ने मंगलवार को फेसबुक पर अपनी एक पोस्ट में कहा है कि महाभियोग का कोई प्रस्ताव ऐसी बहुत असाधारण परिस्थितियों में ही लाया जाना चाहिये जहां किसी न्यायधीश ने अपने सेवाकाल में 'कोई भारी कसूर' कर दिया हो. ऐसे मामले में आरोप साबित करने के लिए ठोस सबूत होने चाहिए. जेटली ने लिखा कि कानाफूसी और अफवाह को सबूत का दर्जा नहीं दिया जा सकता. जेटली राज्यसभा के नेता भी हैं.
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पोस्ट में उन्होंने कहा, 'यह महाभियोग प्रस्ताव अपुष्ट बातों के आधार पर पेश किया गया था और इसका परोक्ष उद्येश्य भारत के मुख्य न्यायाधीश और सबसे बड़ी अदालत के अन्य जजों में डर पैदा करना था.'
उन्होंने कहा कि दुर्भावना से लाया गया यह प्रस्ताव विफल होना ही था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी यदि किसी मामले में हित देखती हो और न्यायालय की राय उसके माफिक नहीं हो तो वह संबंधित न्यायाधीशों को विवाद में घसीटने और उन्हें विवादास्पद बनाने के काम में माहिर है.
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जेटली ने लिखा है, 'किसी भी राजनीतिक विश्लेषक के लिए यह स्पष्ट था कि संसद में इस महाभियोग प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत नहीं मिलेगा. कांग्रेस पार्टी भी यह जानती थी. उसका उद्देश्य प्रस्ताव को पारित कराना नहीं था बल्कि देश की न्यायपालिका को डराना था.'
कांग्रेस की तरफ से इस तरह के संकेत मिलने कि वह राज्यसभा चेयरमैन के आदेश को अब उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी. जेटली ने कहा कि संसद अपने कामकाज के मामले में सर्वोच्च निकाय है, संसद की प्रक्रिया को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जेटली खुद एक जाने माने वकील हैं. उन्होंने कहा कि इस समय बड़ी संख्या में जाने माने वकील संसद के सदस्य हैं और ज्यादातर राजनीतिक दलों ने उनमें से किसी न किसी को नामित किया है, क्योंकि अदालत और संसद की चर्चाओं में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है. लेकिन इसके साथ इसमें एक पहलू यह भी जुड़ गया है कि 'वकालत करने वाले सांसदों द्वारा अदालत के अंदर के झगड़ों को संसदीय प्रक्रिया में घसीटने की प्रवृत्ति बढ़ी है.'
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उन्होंने कहा, 'भारत के मुख्य न्यायधीश के खिलाफ गलत सोच के साथ महाभियोग का प्रस्ताव लाना इसी प्रवृति का एक उदाहरण है.'
(इनपुट : भाषा)
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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, संसद अपने कार्य क्षेत्र में सर्वोच्च है. संसद की प्रक्रिया को समीक्षा के लिए न्यायालय में नहीं ले जाया जा सकता. गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने एक दिन पहले ही कांग्रेस सहित सात विपक्षी पार्टियों की ओर से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ दिए गए महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया था.
वित्त मंत्री जेटली ने मंगलवार को फेसबुक पर अपनी एक पोस्ट में कहा है कि महाभियोग का कोई प्रस्ताव ऐसी बहुत असाधारण परिस्थितियों में ही लाया जाना चाहिये जहां किसी न्यायधीश ने अपने सेवाकाल में 'कोई भारी कसूर' कर दिया हो. ऐसे मामले में आरोप साबित करने के लिए ठोस सबूत होने चाहिए. जेटली ने लिखा कि कानाफूसी और अफवाह को सबूत का दर्जा नहीं दिया जा सकता. जेटली राज्यसभा के नेता भी हैं.
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पोस्ट में उन्होंने कहा, 'यह महाभियोग प्रस्ताव अपुष्ट बातों के आधार पर पेश किया गया था और इसका परोक्ष उद्येश्य भारत के मुख्य न्यायाधीश और सबसे बड़ी अदालत के अन्य जजों में डर पैदा करना था.'
उन्होंने कहा कि दुर्भावना से लाया गया यह प्रस्ताव विफल होना ही था. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी यदि किसी मामले में हित देखती हो और न्यायालय की राय उसके माफिक नहीं हो तो वह संबंधित न्यायाधीशों को विवाद में घसीटने और उन्हें विवादास्पद बनाने के काम में माहिर है.
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जेटली ने लिखा है, 'किसी भी राजनीतिक विश्लेषक के लिए यह स्पष्ट था कि संसद में इस महाभियोग प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत नहीं मिलेगा. कांग्रेस पार्टी भी यह जानती थी. उसका उद्देश्य प्रस्ताव को पारित कराना नहीं था बल्कि देश की न्यायपालिका को डराना था.'
कांग्रेस की तरफ से इस तरह के संकेत मिलने कि वह राज्यसभा चेयरमैन के आदेश को अब उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी. जेटली ने कहा कि संसद अपने कामकाज के मामले में सर्वोच्च निकाय है, संसद की प्रक्रिया को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जेटली खुद एक जाने माने वकील हैं. उन्होंने कहा कि इस समय बड़ी संख्या में जाने माने वकील संसद के सदस्य हैं और ज्यादातर राजनीतिक दलों ने उनमें से किसी न किसी को नामित किया है, क्योंकि अदालत और संसद की चर्चाओं में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है. लेकिन इसके साथ इसमें एक पहलू यह भी जुड़ गया है कि 'वकालत करने वाले सांसदों द्वारा अदालत के अंदर के झगड़ों को संसदीय प्रक्रिया में घसीटने की प्रवृत्ति बढ़ी है.'
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उन्होंने कहा, 'भारत के मुख्य न्यायधीश के खिलाफ गलत सोच के साथ महाभियोग का प्रस्ताव लाना इसी प्रवृति का एक उदाहरण है.'
(इनपुट : भाषा)
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