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This Article is From Aug 02, 2022

अलकायदा प्रमुख जवाहिरी के 'खात्‍मे' का भारत पर होगा यह असर...

जवाहिरी की भारत के प्रति नफरत जगजाहिर थी, वह भारत के लिए कई बार धमकी जारी कर चुका है.

अलकायदा प्रमुख जवाहिरी के 'खात्‍मे' का भारत पर होगा यह असर...
अमेरिका ने अल कायदा के सरगना अयमान अल ज़वाहिरी को एक एयर स्‍ट्राइक में मार गिराया है
नई दिल्‍ली:

अमेरिका ने अल कायदा (Al Qaeda) के सरगना अयमान अल ज़वाहिरी( Ayman al-Zawahiri)को अफगानिस्तान के काबुल शहर में एक सफल एयरस्ट्राइक में मार गिराया है. जवाहिरी की भारत के प्रति नफरत जगजाहिर थी, वह भारत के लिए कई बार धमकी जारी कर चुका है. जवाहिरी और उनके संगठन ने कई सालों तक कश्‍मीर में 'एंट्री' की कोशिश की लेकिन इसमें उन्‍हें बेहद कम या कोई भी सफलता नहीं मिला. जवाहिरी के संगठन ने इस साल भी भारत को धमकी दी थी. जवाहिरी ने पूर्व में कश्‍मीर की स्थिति की तुलना फलस्‍तीन से की थी. यही नहीं, उसने भारत के समर्थन के लिए सऊदी अरब जैसे देशों की आलोचना भी की थी.  

अल कायदा से संबद्ध आतंकी संगठन, अंसार गजवत-उल-हिंद का गठन वर्ष 2017 में कश्‍मीर में हुआ था लेकिन आतंकी जाकिर मूसा के सफाये के बाद इस संगठन का वजूद ही खत्‍म हो गया था. 2014 में जवाहिरी ने इस्‍लामिक एकता पर  बोलते हुए भारत को लेकर पहला बयान जारी किया था. हिजाब विवाद को लेकर इसी साल, अप्रैल माह में भी उसने बयान जारी किया था. जून माह में एक बयान जारी करके उसने आत्‍मघाती हमलावारों से दिल्‍ली, मुंबई और यूपी में धमाकों को अंजाम देने की चेतावनी दी थी. भारतीय अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि जवाहिरी का मारा जाना भारत में अलकायदा समर्थकों और सहयोगियों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है. हालांकि, उन्होंने तालिबान द्वारा जवाहिरी को काबुल में पनाह दिए जाने पर चिंता जताई और कहा कि मुख्य रूप से भारत को निशाना बनाने वाले आतंकवादी संगठन को भी ऐसी सुविधाएं मिल सकती हैं।

घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि जवाहिरी के मारे जाने से भारत में अलकायदा समर्थकों और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ने की संभावना है.हाल ही में, वे भारत में प्रचार अभियान चला रहे थे और अल-कायदा के संगठनात्मक तंत्र के पुनर्निर्माण की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा कि यह भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) जैसे उसके क्षेत्रीय सहयोगियों के मंसूबों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है. अधिकारियों ने कहा कि तालिबान और अल-कायदा के बीच बेहद घनिष्ठ संबंधों की बात इस तथ्य से स्पष्ट होती है कि जवाहिरी काबुल के एक पॉश इलाके में रह रहा था और अल कायदा-तालिबान के बीच यह करीबी संबंध भारतीय हितों के खिलाफ है.

अधिकारियों ने कहा कि अल-कायदा को पनाह दे रहा तालिबान, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान स्थित संगठनों को भी इस तरह की सुविधाएं दे सकता है, जो मुख्य रूप से भारत को निशाना बनाते हैं. इसके अलावा भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का आकलन है कि तालिबान के भीतर अंतर्कलह तेज हो सकती है क्योंकि अल-कायदा के बहुत करीब माना जाने वाला हक्कानी नेटवर्क जवाहिरी के बारे में जानकारी अमेरिकी अधिकारियों को देने का बदला लेने की कोशिश कर सकता है. भारत के सामने एक चिंताजनक तथ्य यह है कि अल-कायदा से मोहभंग होने की सूरत में इसके सदस्य इस्लामिक स्टेट और उसके क्षेत्रीय सहयोगी इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) से जुड़ सकते हैं. (भाषा से भी इनपुट)

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