चेन्नई:
आईआईटी मद्रास ने केंद्र सरकार को मिली अज्ञात शिकायत के आधार पर छात्रों के एक ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई की है। शिकायत में कहा गया कि छात्रों के इस ग्रुप ने कैम्पस में उकसाने वाले पैंफलेट और पोस्टर बांटकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ 'घृणा फैलाने' की कोशिश की। अबेंडकर पेरियार स्टूडेंट सर्किल नामक इस छात्र समूह को कहा गया है कि वे न तो ऑडिटोरियम, न आईआईटी का ईमेल और न ही नोटिस बोर्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय को हाल में कथित तौर पर एक शिकायत मिली थी। शिकायत में इस ग्रुप का एक पैंफलेट भी भेजा गया था, जिसमें मोदी सरकार की आलोचना की गई थी। सरकार को भेजे गए अज्ञात खत में आरोप लगाया गया कि अबंडेकर पेरियार स्टडी सर्किल जाति के नाम पर छात्रों के बीच वैमनस्य फैला रहा है और प्रधानमंत्री तथा हिन्दुओं के खिलाफ भी घृणा फैलाने की कोशिश की जा रही है।
मंत्रालय का पत्र मिलने के बाद आईआईटी मद्रास के डीन एम श्रीनिवासन ने कथित तौर पर स्टडी सर्किल को एक सख्त चिट्ठी लिखते हुए 'सुविधाओं के दुरुपयोग' का आरोप लगाया। हालांकि छात्रों के इस ग्रुप ने आरोप को नकारते हुए कहा है कि वे केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का आह्वान नहीं कर रहे थे और संस्थान ने उन्हें सफाई का मौका नहीं दिया और एकतरफा और अलोकतांत्रिक फैसला ले लिया।
स्टडी सर्किल के एक सदस्य अभिनव ने कहा, हमने संविधान का उल्लंघन नहीं किया है। संविधान हमें सरकार और उसकी नीतियों की आलोचना करने की इजाजत देता है। लेकिन आईआईटी प्रशासन लोकतांत्रिक ताकतों का गला घोंटने की कोशिश कर रहा है।
छात्र समूह पर की गई कार्रवाई को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है और यह मुद्दा दिन में ट्विटर के टॉप ट्रेंड्स में शामिल था। एक ट्वीट में कहा गया, "राजनीति में आज नौजवानों की जरूरत है। कृपया भारत के भविष्य को बैन न करें - आईआईटी मद्रास"। एक फेसबुक यूजर ने कमेंट किया, "आजकल ऐसी काफी खबरें आने लगी हैं। आलोचना लोकतंत्र का जरूरी हिस्सा है।"
मानव संसाधन विकास मंत्रालय को हाल में कथित तौर पर एक शिकायत मिली थी। शिकायत में इस ग्रुप का एक पैंफलेट भी भेजा गया था, जिसमें मोदी सरकार की आलोचना की गई थी। सरकार को भेजे गए अज्ञात खत में आरोप लगाया गया कि अबंडेकर पेरियार स्टडी सर्किल जाति के नाम पर छात्रों के बीच वैमनस्य फैला रहा है और प्रधानमंत्री तथा हिन्दुओं के खिलाफ भी घृणा फैलाने की कोशिश की जा रही है।
मंत्रालय का पत्र मिलने के बाद आईआईटी मद्रास के डीन एम श्रीनिवासन ने कथित तौर पर स्टडी सर्किल को एक सख्त चिट्ठी लिखते हुए 'सुविधाओं के दुरुपयोग' का आरोप लगाया। हालांकि छात्रों के इस ग्रुप ने आरोप को नकारते हुए कहा है कि वे केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का आह्वान नहीं कर रहे थे और संस्थान ने उन्हें सफाई का मौका नहीं दिया और एकतरफा और अलोकतांत्रिक फैसला ले लिया।
स्टडी सर्किल के एक सदस्य अभिनव ने कहा, हमने संविधान का उल्लंघन नहीं किया है। संविधान हमें सरकार और उसकी नीतियों की आलोचना करने की इजाजत देता है। लेकिन आईआईटी प्रशासन लोकतांत्रिक ताकतों का गला घोंटने की कोशिश कर रहा है।
छात्र समूह पर की गई कार्रवाई को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है और यह मुद्दा दिन में ट्विटर के टॉप ट्रेंड्स में शामिल था। एक ट्वीट में कहा गया, "राजनीति में आज नौजवानों की जरूरत है। कृपया भारत के भविष्य को बैन न करें - आईआईटी मद्रास"। एक फेसबुक यूजर ने कमेंट किया, "आजकल ऐसी काफी खबरें आने लगी हैं। आलोचना लोकतंत्र का जरूरी हिस्सा है।"
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