कथित जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद हैं भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
जासूसी के आरोपों में पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) की अंतरराष्ट्रीय अदालत (ICJ) में 18 फरवरी से सुनवाई होगी. अंतरराष्ट्रीय अदालत की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह सुनवाई द हेग में 18 फरवरी से 21 फरवरी 2019 को होगी. बता दें कि पाकिस्तान की मिलिट्री अदालत ने कुलभूषण जाधव को कथित तौर पर जासूसी के आरोप पिछले साल अप्रैल में फांसी की सजा सुनाई थी. हालांकि भारत की तरफ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मामले को उठाने के बाद पाकिस्तान ने उनकी फांसी पर रोक लगा रखी है.
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अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, 'सुनवाई की अदालत की वेबसाइट के साथ ही ऑनलाइन वेब टीवी, संयुक्त राष्ट्र ऑनलाइन टीवी चैनल पर अंग्रेजी और फ्रेंच में ऑन डिमांग लाइव स्ट्रीमिंग (वीओडी) की जाएगी.' न्यायालय ने 23 जनवरी को भारत और पाकिस्तान को इस मामले में और जानकारी देने के लिये एक समयसीमा दी थी. भारत और पाकिस्तान ने पहले ही अपनी विस्तृत याचिकाएं और प्रतिक्रियाएं विश्व अदालत में दे दी हैं. अपने लिखित वाद में भारत ने जाधव को दूतावास पहुंच मुहैया न कराने पर पाकिस्तान पर वियना संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दलील दी कि संधि यह नहीं कहती कि जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को दूतावास कर्मियों से मुलाकात की इजाजत नहीं दी जाएगी.
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इसकी प्रतिक्रिया में पाकिस्तान ने 13 दिसंबर को अपने जवाब में न्यायालय को बताया कि दूतावास पहुंच पर वियना संधि 1963 सिर्फ वैध यात्रियों पर लागू होती है और गोपनीय अभियान इसमें नहीं आते. पाकिस्तान ने कहा था, 'भारत ने क्योंकि इस बात से इनकार नहीं किया है कि जाधव एक काल्पनिक मुस्लिम नाम वाले पासपोर्ट पर यात्रा कर रहा था ऐसे में उनके पास कहने को कुछ नहीं बचा है.' पाकिस्तान ने कहा कि भारत ने इस बारे में कुछ नहीं बताया कि कैसे 'एक सेवारत नौसेना कमांडर' काल्पनिक नाम से यात्रा कर रहा था. उसने यह भी कहा कि 'जाधव क्योंकि सक्रिय सेवा में था, यह स्वाभाविक है कि वह एक जासूस था जिसे खास मिशन के लिये भेजा गया था.'
हाल ही में पाकिस्तान ने नई सरकार के गठन के बाद हाल ही में कहा था कि जाधव कोई साधारण व्यक्ति नहीं है, क्योंकि वह देश में जासूसी के इरादे से घुसा था और उसने बलूचिस्तान में कई गड़बड़ी वाली गतिविधियां की थीं. भारत ने हालांकि सभी आरोपों को नकार दिया था. पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक, जाधव को तीन मार्च, 2016 को अवैध रूप से ईरान के रास्ते पाकिस्तान में घुसने पर गिरफ्तार किया गया था, जबकि भारतीय अधिकारियों का कहना है कि जाधव का ईरान से अपहरण कर इच्छा के खिलाफ उसे पाकिस्तान ले जाया गया था.
बता दें कि अगस्त महीने में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव के मामले में नई सरकार कोई सख्त फैसला ले सकती है. उन्होंने जाधव को फांसी दिए जाने का संकेत भी दिया था. जियो समाचार की खबर के मुताबिक, कुरैशी ने मुल्तान में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था, 'हम प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे. मुल्क को तैयार रहना चाहिए, क्योंकि हम कुछ सख्त फैसले लेने जा रहे हैं.'
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मंत्री ने आशा जताई थी कि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में यह मुकदमा जीतेगा, जिसकी सुनवाई फरवरी, 2019 में शुरू होगी. आईसीजे द्वारा फरवरी 2019 में जाधव मामले की सुनवाई एक हफ्ते तक चलने की घोषणा के अगले दिन कुरैशी की यह टिप्पणी आई है.
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अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, 'सुनवाई की अदालत की वेबसाइट के साथ ही ऑनलाइन वेब टीवी, संयुक्त राष्ट्र ऑनलाइन टीवी चैनल पर अंग्रेजी और फ्रेंच में ऑन डिमांग लाइव स्ट्रीमिंग (वीओडी) की जाएगी.' न्यायालय ने 23 जनवरी को भारत और पाकिस्तान को इस मामले में और जानकारी देने के लिये एक समयसीमा दी थी. भारत और पाकिस्तान ने पहले ही अपनी विस्तृत याचिकाएं और प्रतिक्रियाएं विश्व अदालत में दे दी हैं. अपने लिखित वाद में भारत ने जाधव को दूतावास पहुंच मुहैया न कराने पर पाकिस्तान पर वियना संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दलील दी कि संधि यह नहीं कहती कि जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को दूतावास कर्मियों से मुलाकात की इजाजत नहीं दी जाएगी.
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इसकी प्रतिक्रिया में पाकिस्तान ने 13 दिसंबर को अपने जवाब में न्यायालय को बताया कि दूतावास पहुंच पर वियना संधि 1963 सिर्फ वैध यात्रियों पर लागू होती है और गोपनीय अभियान इसमें नहीं आते. पाकिस्तान ने कहा था, 'भारत ने क्योंकि इस बात से इनकार नहीं किया है कि जाधव एक काल्पनिक मुस्लिम नाम वाले पासपोर्ट पर यात्रा कर रहा था ऐसे में उनके पास कहने को कुछ नहीं बचा है.' पाकिस्तान ने कहा कि भारत ने इस बारे में कुछ नहीं बताया कि कैसे 'एक सेवारत नौसेना कमांडर' काल्पनिक नाम से यात्रा कर रहा था. उसने यह भी कहा कि 'जाधव क्योंकि सक्रिय सेवा में था, यह स्वाभाविक है कि वह एक जासूस था जिसे खास मिशन के लिये भेजा गया था.'
हाल ही में पाकिस्तान ने नई सरकार के गठन के बाद हाल ही में कहा था कि जाधव कोई साधारण व्यक्ति नहीं है, क्योंकि वह देश में जासूसी के इरादे से घुसा था और उसने बलूचिस्तान में कई गड़बड़ी वाली गतिविधियां की थीं. भारत ने हालांकि सभी आरोपों को नकार दिया था. पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक, जाधव को तीन मार्च, 2016 को अवैध रूप से ईरान के रास्ते पाकिस्तान में घुसने पर गिरफ्तार किया गया था, जबकि भारतीय अधिकारियों का कहना है कि जाधव का ईरान से अपहरण कर इच्छा के खिलाफ उसे पाकिस्तान ले जाया गया था.
बता दें कि अगस्त महीने में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि कथित भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव के मामले में नई सरकार कोई सख्त फैसला ले सकती है. उन्होंने जाधव को फांसी दिए जाने का संकेत भी दिया था. जियो समाचार की खबर के मुताबिक, कुरैशी ने मुल्तान में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था, 'हम प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे. मुल्क को तैयार रहना चाहिए, क्योंकि हम कुछ सख्त फैसले लेने जा रहे हैं.'
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मंत्री ने आशा जताई थी कि पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में यह मुकदमा जीतेगा, जिसकी सुनवाई फरवरी, 2019 में शुरू होगी. आईसीजे द्वारा फरवरी 2019 में जाधव मामले की सुनवाई एक हफ्ते तक चलने की घोषणा के अगले दिन कुरैशी की यह टिप्पणी आई है.
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