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मेरे कंधे पर तिरंगा... ऐतिहासिक जीत के बाद व्हील चेयर पर मैदान में पहुंचीं प्रतीका रावल

प्रतीका, जो बांग्लादेश के खिलाफ भारत के अंतिम ग्रुप-स्टेज मुकाबले के दौरान चोटिल होने से पहले शानदार फॉर्म में थीं, उनकी जगह फाइनल की स्टार शेफाली वर्मा को शामिल किया गया, जिनकी 87 रनों की पारी की बदौलत भारत ने 50 ओवरों में 298/7 का मजबूत स्कोर बनाया. 

मेरे कंधे पर तिरंगा... ऐतिहासिक जीत के बाद व्हील चेयर पर मैदान में पहुंचीं प्रतीका रावल
  • टीम इंडिया ने आईसीसी विमेंस वनडे वर्ल्ड कप में पहली बार खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है
  • फाइनल में भारत ने साउथ अफ्रीका को 52 रनों से हराकर यह प्रतिष्ठित ट्रॉफी अपने नाम की
  • चोटिल खिलाड़ी प्रतीका रावल व्हीलचेयर पर मैदान पर आईं और टीम के साथ जीत का जश्न मनाया
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आईसीसी विमेंस वनडे वर्ल्ड कप में इतिहास रचते हुए टीम इंडिया ने पहली बार यह प्रतिष्ठित खिताब अपने नाम किया है. डीवाई पाटिल स्टेडियम में हुए फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने साउथ अफ्रीका को 52 रनों से करारी शिकस्त देकर यह ऐतिहासिक सफलता हासिल की.

दरअसल, भारत की इस शानदार जीत के बाद चोट के कारण बाहर हुईं खिलाड़ी प्रतीका रावल व्हील चेयर पर मैदान में पहुंचीं और अपनी टीम के साथ जश्न में शामिल हुईं. प्रतीका का इस तरह मैदान में आना, उनकी अदम्य भावना और टीम के प्रति उनके अटूट समर्पण को दर्शाता है. यह नजारा बताता है कि भले ही वह शारीरिक रूप से खेल नहीं पाईं, लेकिन उनका जज़्बा टीम की जीत का उतना ही बड़ा हिस्सा था. खिलाड़ियों ने उन्हें गले लगाया और उन्हें जीत की खुशी में शामिल किया, जो टीम के बीच की गहरी एकजुटता को दिखाता है.

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प्रतीका, जो बांग्लादेश के खिलाफ भारत के अंतिम ग्रुप-स्टेज मुकाबले के दौरान चोटिल होने से पहले शानदार फॉर्म में थीं, उनकी जगह फाइनल की स्टार शेफाली वर्मा को शामिल किया गया, जिनकी 87 रनों की पारी की बदौलत भारत ने 50 ओवरों में 298/7 का मजबूत स्कोर बनाया. 

व्हीलचेयर पर मैदान के किनारे जश्न मनाते हुए अपनी भावनाओं को साझा करते हुए, प्रतीका ने कहा, 'मैं इसे बयां भी नहीं कर सकती. शब्द नहीं हैं. मेरे कंधे पर यह झंडा बहुत मायने रखता है. अपनी टीम के साथ यहां होना. यह अवास्तविक है. चोटें खेल का हिस्सा हैं, लेकिन मैं बहुत खुश हूं कि मैं अभी भी इस टीम का हिस्सा बन सकी. मुझे इस टीम से प्यार है. मैं जो महसूस कर रही हूं उसे बयां नहीं कर सकती. हमने वाकई कर दिखाया! हम इतने लंबे समय में विश्व कप जीतने वाली पहली भारतीय टीम हैं. पूरा भारत इसका हकदार है. सच कहूं तो, इसे देखना खेलने से ज़्यादा मुश्किल था. हर विकेट, हर बाउंड्री - मेरे रोंगटे खड़े कर रही थी. ऊर्जा, दर्शक, भावनाएं - यह अविश्वसनीय था.'

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