मध्य प्रदेश में बर्खास्त की गई महिला जजों के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को आड़े हाथों लिया. आरोप है कि सभी जजों ने खराब प्रदर्शन किया, उनमें से एक गर्भवती थी और जिस अवधि में वह जज थी, उसी दौरान उसका गर्भपात हो गया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया तो उनमें से कुछ को बहाल किया गया, जबकि कुछ की बर्खास्तगी बरकरार रखी गई.जानकारी के मुताबिक, इनमें से एक महिला जज गर्भपात के कारण काफी समय तक परेशान रहीं. आरोप है कि उनकी इस स्थिति पर विचार नहीं किया गया और खराब परफॉर्मेंस का हवाला देते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया गया. इसी मामले पर सुप्रीम में जस्टिस बीवी नागरत्ना और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सुनवाई की और सिविल जजों की बर्खास्तगी को लेकर हाई कोर्ट से जवाब मांगा है.
मंगलवार को मामले की सुनवाई करने वाली दो न्यायाधीशों की पीठ में शामिल न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, "महिला गर्भवती हो गई है और उसका गर्भपात हो गया है. गर्भपात से गुजर रही महिला का मानसिक और शारीरिक आघात. यह क्या है? मैं चाहती हूं कि पुरुषों को भी मासिक धर्म हो। तब उन्हें पता चलेगा कि यह क्या है."
क्या मामला है?
जून 2023 में मध्य प्रदेश सरकार ने असंतोषजनक प्रदर्शन का हवाला देते हुए छह महिला जजों को बर्खास्त कर दिया था. तब ये फैसला राज्य कानून विभाग, एक प्रशासनिक समिति और हाई कोर्ट के जजों की एक बैठक के बाद लिया गया था. इस बैठक में प्रोबेशन अवधि के दौरान इन महिला जजों के प्रदर्शन को असंतोषजनक पाया गया था.
- नवंबर 2023 में उच्चतम न्यायलय ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने फिर से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से एक महीने के भीतर इस मामले पर नए सिरे से विचार करने को कहा.
- इसके बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अगस्त 2024 को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और चार अधिकारियों - ज्योति वरकड़े, सोनाक्षी जोशी, प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी - को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो महिलाओं - अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी - की बर्खास्तगी जारी रही.
- प्रोबेशन पर चल रही महिला जजों की सेवा समाप्ति के आदेश राज्य विधि विभाग ने उच्च न्यायालय की सलाह पर जून 2023 में पारित किए थे. प्रदर्शन रेटिंग में उनके द्वारा निपटाए गए मामलों की संख्या को ध्यान में रखा गया था.
- इस साल अगस्त में पूर्ण न्यायालय ने पुनर्विचार किया और चार न्यायाधीशों को बहाल करने का फैसला किया. लेकिन अदिति कुमार शर्मा का नाम सूची में नहीं था.
- एक रिपोर्ट में, उच्च न्यायालय ने कहा कि 2019-20 के दौरान उनका प्रदर्शन "बहुत अच्छा" और "अच्छा" रेटिंग से गिरकर बाद के वर्षों में "औसत" और "खराब" हो गया.
शर्मा ने उच्च न्यायालय को लिखे अपने नोट में बताया कि जब उनका गर्भपात हुआ, तब वे मातृत्व और शिशु देखभाल अवकाश पर थीं. उन्होंने कहा कि इसे उनके प्रदर्शन का हिस्सा मानना घोर अन्याय होगा. साथ ही, गर्भपात उनके समानता के मौलिक अधिकार और जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है.
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