शहीद कैप्टन पवन कुमार (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर पम्पोर में एक सरकारी इमारत में छिपे उग्रवादियों के खिलाफ अभियान में सेना के एक अधिकारी कैप्टन पवन कुमार शहीद हो गए।
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि कैप्टन पवन कुमार के पिता राजबीर सिंह ने कहा कि मेरा एक ही बच्चा था और मैंने उसे सेना को, देश को दे दिया। किसी भी पिता के लिए इससे ज्यादा गर्व की बात क्या हो सकती है।
कैप्टन पवन कुमार हरियाणा के जींद से थे और उन्होंने तीन साल पहले ही सेना ज्वाइन की थी। उन्होंने हाल ही में आतंकवादियों के खिलाफ दो सफल ऑपरेशनों में भाग लिया था, जिसमें तीन आतंकवादी मारे गए थे।
तीन साल की सर्विस में उन्होंने साबित किया कि वह बहुत बहादुर और निडर अधिकारी थे, लेकिन उनमें परिपक्वता उम्र से कहीं ज्यादा थी। पम्पोर में एक सरकारी इमारत इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट में घुसे आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान कैप्टन पवन कुमार शहीद हो गए।
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि कैप्टन पवन कुमार के पिता राजबीर सिंह ने कहा कि मेरा एक ही बच्चा था और मैंने उसे सेना को, देश को दे दिया। किसी भी पिता के लिए इससे ज्यादा गर्व की बात क्या हो सकती है।
कैप्टन पवन कुमार हरियाणा के जींद से थे और उन्होंने तीन साल पहले ही सेना ज्वाइन की थी। उन्होंने हाल ही में आतंकवादियों के खिलाफ दो सफल ऑपरेशनों में भाग लिया था, जिसमें तीन आतंकवादी मारे गए थे।
तीन साल की सर्विस में उन्होंने साबित किया कि वह बहुत बहादुर और निडर अधिकारी थे, लेकिन उनमें परिपक्वता उम्र से कहीं ज्यादा थी। पम्पोर में एक सरकारी इमारत इंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट में घुसे आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान कैप्टन पवन कुमार शहीद हो गए।
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