
जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया. इससे दोनों देशों में तनाव बढ़ गया. भारत के सशस्त्र बलों ने 6-7 मई की रात पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आंतकवादियों के नौ ठिकानों पर हमला किया. पाकिस्तान ने नौ मई को जवाबी हमला किया, जिसे भारत ने नाकाम कर दिया.इसके बाद दोनों देश 10 मई को संघर्ष विराम पर सहमत हुए. उसके बाद से आमतौर पर दोनों देशों की सीमाएं शांत हैं. जब भारत और पाकिस्तान युद्ध जैसे हालात में थे, ठीक उसी समय दुनिया में कुछ बड़ी घटनाएं हो रही थीं. दुनिया में एक नए तरह का वर्ल्ड ऑर्डर आकार ले रहा था. लोगों को एक नया अमेरिका नजर आ रहा. दुनिया में कुछ नए समीकरण जन्म ले रहे थे.आइए जानते हैं कि ये घटनाएं आने वाले समय अंतरराष्ट्रीय राजनीति को किस तरह से प्रभावित करेंगी.
भारत-रूस दोस्ती में नया आयाम
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत और रूस की दोस्ती की बहुत चर्चा होती है. यह दोस्ती आज की नहीं बल्कि सोवियत संघ के जमाने की है. इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि भारत बड़े पैमाने पर रूस से हथियार खरीदता है. अभी पाकिस्तान के साथ तनाव में जिस चीज की सबसे अधिक चर्चा हुई, वह थी एयर डिफेंस प्रणाली एस-400. इसे भारत ने रूस से 40 हजार करोड़ रुपये में खरीदा था. लेकिन भारत की पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई को लेकर रूस की प्रतिक्रिया को बहुत उत्साहजनक नहीं रही. रूस ने भारत-पाकिस्तान से तनाव कम करने की अपील की थी. उसने मध्यस्थता तक की पेशकश की थी. रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा था, ''भारत हमारा रणनीतिक पार्टनर है. पाकिस्तान भी हमारा पार्टनर है. हम दिल्ली और इस्लामाबाद दोनों से संबंधों को तवज्जो देते हैं.''

भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुए तनाव के दौरान मास्को में रूसी और चीनी राष्ट्रपति की मुलाकात हुई.
यह वही रूस था, जिसने कश्मीर और अन्य मसलों को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाए गए भारत विरोधी प्रस्ताव को छह बार वीटो (इसमें सोवियत संघ के वीटो भी शामिल हैं.) किया था. ऐसे में लोगों को रुसी प्रतिक्रिया समझ में नहीं आई. कुछ लोग रूस के इस बदले रुख के पीछे भारत का ही हाथ देखते हैं. उनका मानना है कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में भारत के खुलकर साथ न आने की वजह से रूस नाराज है. हालांकि युद्ध के दौरान पीएम मोदी रूस गए थे. वो यूक्रेन भी गए. ऐसे में माना जा रहा है कि भारत के इस बैलेंसिंग एक्ट को रूस ने गंभीरता से लिया है. इसलिए पाकिस्तान के साथ तनाव में उसने कोई साफ रुख नहीं दिखाया. वहीं जब भारत-पाकिस्तान की सेनाएं आमने-सामने थीं तो नौ मई को राष्ट्रपति पुतिन मॉस्को के रेड स्क्वायर पर द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर सोवियत संघ की जीत की सालगिरह मना रहे थे. इस अवसर पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत 27 देशों के राष्ट्राध्यक्ष उनके साथ थे.
चीन और अमेरिका में व्यापार समझौता
चीन पाकिस्तान का प्रमुख दोस्त है. वहीं रूस भारत का आजमाया हुआ दोस्त है. लेकिन इस बार उसकी प्रतिक्रिया पहले जैसे नहीं थी. वह खुलकर भारत का साथ देने की जगह समस्या को बातचीत से सुलझाने और मध्यस्थता की पेशकश कर रहा था. इस बीच जेनेवा में चीन और अमेरिका एक समझौते पर पहुंच गए. दोनों देशों ने एक-दूसरे पर लगाए भारी टैरिफ में से अधिकांश पर 90 दिन की रोक लगाने पर सहमत हो गए. दोनों देशों ने अपने व्यापार विवादों को हल करने के लिए आगे की बातचीत जारी रखने के समझौते पर सहमति जताई. अमेरिकी प्रतिनिधि के मुताबिक अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 145 फीसदी टैरिफ को कम कर 30 फीसदी और चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर लगने वाली टैरिफ को घटाकर 10 फीसदी करने पर सहमति जताई.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह घोषणा करके सबको चौंका दिया कि अमेरिका अब यमन के हूती विद्रोहियों पर बमबारी नहीं करेगा. उन्होंने करीब दो महीने से अमेरिकी हवाई हमलों को रोकने का आदेश दिया. उन्होंने कहा कि हूती विद्रोहियों ने कहा कि वह अब और लड़ाई नहीं लड़ना चाहते. उन्होंने वचन दिया है कि वह अब समुद्री गलियारे पर जहाजों पर हमला बंद कर देंगे. ट्रंप की यह घोषणा ऐसे समय आई जब ओमान में अमेरिका और ईरान के वार्ताकार चौथे चरण की बातचीत पूरी कर अगले चरण की बातचीत के लिए सहमत हो गए. यह बातचीत ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर हो रही है.
क्या खत्म हो जाएगा रूस-यूक्रेन युद्ध
इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 12 मई को प्रस्ताव दिया कि वो 15 मई को तुर्किए के इस्तांबुल में यूक्रेन से बातचीत कर सकते हैं. यूक्रेन ने इस प्रस्ताव की स्वीकार कर लिया. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि वो इस्तांबुल में पुतिन का इंतजार करेंगे. इस बातचीत में अमेरिका ने भी अपना प्रतिनिधि भेजने का फैसला किया है. यूक्रेन और यूरोपीय नेताओं के 12 मई से बिना शर्त 30 दिन के सीजफायर के ऐलान के बाद रूस ने वार्ता का प्रस्ताव दिया. यह बातचीत उस तुर्की में हो रही है, जो तनाव के समय पाकिस्तान के साथ खुलकर खड़ा रहा. तुर्कीए ने भी भारत के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान को हथियार भी दिए थे.
खाड़ी देशों की यात्रा पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

सऊदी अरब यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया से अमेरिकी पाबंदियां हटाने की घोषणा की.
भारत-पाकिस्तान में तनाव घटने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी पहली विदेश यात्रा पर निकले. वो मंगलवार को सऊदी अरब पहुंचे.वो सऊदी अरब के साथ-साथ क़तर और यूएई की भी यात्रा करेंगे.मंगलवार को उन्होंने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की. इस दौरान दोनों देशों के बीच करीब 142 अरब डॉलर का रक्षा समझौता हुआ. अमेरिका ने इस इतिहास का सबसे बड़ा रक्षा समझौता बताया है.अमेरिका का कहना है कि सऊदी अरब ने 600 अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है.यूएई ने भी अमेरिका में डेढ़ ट्रिलियन डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है. इसी यात्रा पर अमेरिका ने सऊदी अरब की अपील पर सीरिया में लगी पाबंदियों को हटाने की घोषणा की.
बदलती दुनिया में कहां खड़ा है भारत
दुनिया भर में हुए इन राजनीतिक बदलावों पर हमने अंतरराष्ट्रीय मामलों के वरिष्ठ पत्रकार कमर आगा से बात की. उनका कहना था कि दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है. बहु ध्रुवीय दुनिया बन रही है. वो कहते हैं कि इस बीच में अमेरिका कमजोर हुआ है और दूसरे देश मजबूत हुए हैं. लेकिन अमेरिका को यह बात समझ में नहीं आ रही है, वो अभी भी पहले जैसा ही व्यवहार कर रहे हैं. वो कहते हैं कि हालांकि अमेरिका अभी भी सबसे शक्तिशाली और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकिन दूसरे देश भी मजबूत हुए हैं, जैसे भारत, रूस, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, बहरीन, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका. ये सब देश अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी भूमिका देख रहे हैं. इसके साथ ही उन्हें लग रहा है कि अमेरिका उन्हें उभरने नहीं दे रहा है. इसलिए ये देश ब्रिक्स जैसे संगठन को आकार दे रहे हैं.आगा कहते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप को लगा कि टैरिफ लगाकर वो दुनिया को दबा देंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.

भारत में तैनात विभिन्न देशों के सैन्य अताशे को ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देते सेना का खुफिया सेवा के प्रमुख.
भारत की स्थिति के सवाल पर कमर आगा कहते हैं कि वो दोनों तरफ है. इसका मतलब यह हुआ कि उसके रूस से भी अच्छे संबंध हैं और अमेरिका से भी. वह दोनों ध्रुवों के बीच संतुलन साधने की कोशिश करता है. साउथ चाइना सी में वह अमेरिका के साथ है तो ब्रिक्स में रूस और चीन के साथ. भारत के बिना ब्रिक्स कमजोर नजर आता है. इस तरह से भारत संतुलन साध रहा है. इसके साथ ही भारत पिछले काफी समय से संयुक्त राष्ट्र में सुधार और सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की मांग कर रहा है.
अमेरिका और ईरान की बातचीत के सवाल पर कमर आगा कहते हैं कि यह वार्ता किसी नतीजे पर जरूर पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि अमेरिका अब युद्ध नहीं चाहता है. अमेरिका की अर्थव्यवस्था खतरे में है, इसलिए वो अब युद्ध में नहीं फंसना चाहते हैं. इसलिए वो अब घूम-घूमकर पैसा जमा कर रहे हैं. जिससे उनकी अर्थव्यवस्था मजबूत कर रहे हैं.
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