स्टेम कोशिका विज्ञान कैसे हमारे प्रजनन को बदल सकता है, क्या यह सुरक्षित है?

ये तकनीक प्रारंभिक भ्रूण से ली गयी स्टेम कोशिकाओं का इस्तेमाल कर सकती है. लेकिन वैज्ञानिकों ने इस पर भी काम किया है कि वयस्क कोशिकाओं को प्लुरिपोटेंट अवस्था में कैसे वापस लाया जाए. इससे अंडाणु या शुक्राणु बनने की संभावना पैदा होती है जो एक जीवित मानव वयस्क से जुड़ी है.

स्टेम कोशिका विज्ञान कैसे हमारे प्रजनन को बदल सकता है, क्या यह सुरक्षित है?

इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस (युग्मक जनन) ‘प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं’’ से शुरू होता है.

मेलबर्न:

(द कन्वरसेशन) ‘इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस' (आईवीजी) नामक तकनीक का उपयोग करके मानव त्वचा कोशिकाओं का अंडाणु और शुक्राणु बनाने में सक्षम होना जल्द ही संभव हो सकता है. इसमें मानव शरीर के बाहर (इन विट्रो) अंडाणु और शुक्राणु की उत्पत्ति शामिल है. आईवीजी एक ऐसी तकनीक है जिससे डॉक्टरों को आपके शरीर से ली गयी किसी भी कोशिका से प्रजनन कोशिकाएं बनाने में मदद मिलेगी. इससे समलैंगिक जोड़ों को बच्चा पैदा करने में मदद मिल सकती है.

सैद्धांतिक रूप से एक पुरुष की त्वचा कोशिका को अंडाणु और एक महिला की त्वचा कोशिका को एक शुक्राणु में बदला जा सकता है. इससे किसी बच्चे के आनुवंशिक रूप से कई माता-पिता होने या केवल एक के होने की संभावना है. कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि आईवीजी का मानव अनुप्रयोग अभी बहुत दूर है. बहरहाल, मानव स्टेम कोशिकाओं पर काम कर रहे वैज्ञानिक इन अवरोधों से पार पाने को लेकर सक्रियता से काम कर रहे हैं. यहां हम ‘इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस' के मानव पहलू के बारे में जानते हैं और क्यों हमें अब इसके बारे में बात करने की जरूरत है.

क्या तकनीक उपलब्ध है?
इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस (युग्मक जनन) ‘प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं'' से शुरू होता है. यह एक प्रकार की कोशिका है जो कई अलग प्रकार की कोशिका में विकसित हो सकती है. इसका उद्देश्य इन स्टेम कोशिकाओं को अंडाणु या शुक्राणु बनाने में सक्षम बनाना है.

ये तकनीक प्रारंभिक भ्रूण से ली गयी स्टेम कोशिकाओं का इस्तेमाल कर सकती है. लेकिन वैज्ञानिकों ने इस पर भी काम किया है कि वयस्क कोशिकाओं को प्लुरिपोटेंट अवस्था में कैसे वापस लाया जाए. इससे अंडाणु या शुक्राणु बनने की संभावना पैदा होती है जो एक जीवित मानव वयस्क से जुड़ी है.

क्षमता 
पहली, इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) को सुव्यवस्थित कर सकती है. अभी अंडाणु प्राप्त करने के लिए बार-बार हार्मोन इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं, एक मामूली सर्जरी करनी पड़ती है और अंडाशय के अति उत्तेजित होने का जोखिम होता है. आईवीजी से ये समस्याएं खत्म हो सकती है.

दूसरा, यह तकनीक कुछ प्रकार के चिकित्सकीय बांझबन को खत्म कर सकती है. उदाहरण के लिए, इसका उपयोग उन महिलाओं के लिए अंडाणु उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है जिनमें अंडाशय काम नहीं कर रहा है या जो जल्दी रजोनिवृत्त हो रही हैं.

तीसरा, इस तकनीक से समलैंगिक जोड़ों को बच्चे पैदा करने में मदद मिल सकती है जो आनुवंशिक रूप से माता-पिता दोनों से जुड़े होंगे.

क्या यह सुरक्षित है?
सावधानीपूर्वक परीक्षण, कठोर निगरानी और इससे जन्मे किसी भी बच्चे पर नजर रखना आवश्यक होगा जैसा कि आईवीएफ समेत अन्य प्रजनन प्रौद्योगिकियों के लिए किया गया है.

हमें फिर भी सरोगेट मां की जरूरत पड़ेगी :

अगर हम प्रत्येक पुरुष साथी की त्वचा कोशिका लेते हैं और एक भ्रूण पैदा करते हैं जो उस भ्रूण को गर्भावस्था के लिए एक सरोगेट (किराये की कोख) की जरूरत पड़ेगी. हमें अब इसके बारे में बातचीत शुरू करने की जरूरत है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)