कर्नाटक में सत्‍ता परिवर्तन कांग्रेस के लिए होगी संजीवनी बूटी, बदल सकते हैं राजनीतिक समीकरण

कांग्रेस के हालात इस समय बेहद खराब हैं. बीते कुछ सालों में हिमाचल को छोड़ दें, तो गुजरात, पंजाब, उत्‍तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है.

कर्नाटक में सत्‍ता परिवर्तन कांग्रेस के लिए होगी संजीवनी बूटी, बदल सकते हैं राजनीतिक समीकरण

कर्नाटक में 1985 से कोई भी पार्टी सत्ता में लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बना पाई

नई दिल्‍ली:

कर्नाटक में इस बार किसकी सरकार बनेगी? एग्जिट पोल के नतीजे मिले-जुले परिणाम दिखा रहे हैं. ऐसे में कर्नाटक में ऊंट किस करवट बैठेगा, अभी कह पाना बेहद मुश्किल है. फिर राजनीति में 24 घंटों में समीकरण बदल जाते हैं. हालांकि, कर्नाटक का इतिहास रहा है कि 1985 से कोई भी पार्टी सत्ता में लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बना पाई है. ये कांग्रेस के लिए अच्‍छी खबर है. कर्नाटक में सत्‍ता परिवर्तन कांग्रेस के लिए 'संजीवनी बूटी' साबित होगा. 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर  विपक्षी एकता पर भी इस प्रभाव देखने को मिल सकता है.  
 
कर्नाटक, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे का गृह राज्य है. राज्य में पार्टी की जीत के 2024 आम चुनावों से पहले सांकेतिक मायने भी होंगे. इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. कर्नाटक में 28 लोकसभा सीट हैं, जो कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए काफी मायने रखती हैं. कर्नाटक में अभी भाजपा के पास 25 लोकसभा सांसद हैं, जबकि कांग्रेस के पास केवल 2 लोकसभा सांसद. अगर कांग्रेस कर्नाटक में सत्‍ता में आती है, तो इस संख्‍या में काफी फेरबदल हो सकता है.

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कांग्रेस के हालात इस समय बेहद खराब हैं. बीते कुछ सालों में हिमाचल को छोड़ दें, तो गुजरात, पंजाब, उत्‍तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस की हालत ये है कि विपक्षी मोर्चे में कई दल इसे शामिल करने से भी झिझक रहे हैं. ऐसे में कर्नाटक चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति वाले हैं. कर्नाटक में कांग्रेस से बीजेपी की सीधी टक्कर है. अगर कांग्रेस इस टक्‍कर में बीजेपी को पछाड़ देती है, तो उसका कद राष्‍ट्रीय राजनीति में कुछ ऊपर उठेगा. 

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कर्नाटक में बीजेपी के सामने सत्‍ता बचाने की चुनौती है. कांग्रेस के लिए कर्नाटक की जंग में 'करो या मरो' की स्थिति है. ऐसे में चुनाव प्रचार में दोनों ही पार्टियों में पूरा जोर लगाया. इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा और अमित शाह ने मोर्चा संभाला. तो उधर सोनिया गांधी तक को चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतरना पड़ा. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी कर्नाटक में चुनाव प्रचार किया. अब सभी की निगाहें 13 मई को आने वाले कर्नाटक चुनाव परिणाम पर टिकी हुई हैं. 

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