
- 1965 में PM लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया था, जो देशभक्ति और एकजुटता का प्रतीक बना.
- PM नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का संदेश देते हुए रक्षा और आर्थिक क्षेत्र में स्वावलंबन पर जोर दिया.
- दोनों नेताओं का संदेश एक- देश की प्रगति के लिए हमें जवानों और किसानों के सामर्थ्य पर विश्वास करना होगा.
निलेश कुमार | वो साल था- 1965. देश एक दोहरे संकट से जूझ रहा था- एक तरफ पाकिस्तान का हमला, जबकि दूसरी तरफ खाद्यान्न की कमी. अमेरिका ने भी खाद्य आपूर्ति रोकने की धमकी दे दी थी. उसी दौर में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 'जय जवान, जय किसान' का नारा दिया. देश के दो सबसे महत्वपूर्ण स्तंभों 'सैनिकों और किसानों' के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने वाला ये नारा देशवासियों में देशभक्ति की भावना जगाने और उन्हें एकजुट करने में सफल रहा. सैनिकों ने वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी और किसानों ने कड़ी मेहनत कर हरित क्रांति ला दी. जवानों ने युद्ध जीता और किसानों ने देश को खाद्यान्न संकट से बाहर निकाल खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भर बनाया.
PM मोदी के भाषण में 'आत्मनिर्भरता' का फुल डोज
गुलामी ने हमें निर्भर बना दिया था. औरों पर हमारी निर्भरता बढ़ती रही. हम सब जानते हैं, आजादी के बाद कोटि कोटि जनों का पेट भरना बड़ी चुनौती थी. लेकिन यही वे किसान हैं, जिन्होंने खून पसीना एक कर देश के अनाज के भंडार भर दिए. देश को आत्मनिर्भर बना दिया. एक राष्ट्र के लिए आत्मसम्मान की सबसे बड़ी कसौटी आज भी उसकी आत्मनिर्भरता है. और मेरे प्यारे देशवासियो, विकसित भारत का आधार भी आत्मनिर्भर भारत है. जो दूसरों पर ज्यादा निर्भर रहता है, उसकी आजादी पर उतना ही बड़ा प्रश्नचिह्न लग जाता है. दुर्भाग्य तब बन जाता है, जब निर्भरता की आदत लग जाए. पता ही नहीं चले कि कब हम आत्मनिर्भरता छोड़ रहे हैं और कब निर्भर हो जाते हैं. यह आदत खतरे से खाली नहीं है. आत्मनिर्भर होने के लिए हर पल जागरूक रहने की जरूरी है. आत्मनिर्भरता का नाता सिर्फ आयात और निर्यात, रुपया, पैसा, पाउंड, डॉलर तक नहीं है. इसका इतना सीमित अर्थ नहीं है. आत्मनिर्भरता का नाता हमारे सामर्थ्य से जुड़ा है. जब आत्मनिर्भरता खत्म होने लगती है, तो सामर्थ्य भी क्षीण होने लगता है. इसलिए अपने सामर्थ्य को बचाए और बनाए रखने लिए आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी है.
PM मोदी का आत्मनिर्भर मंत्र
- मेरी देश के युवाओं से अपील है. इनोवेटिव आइडिया लेकर आएं. अपने आइडिया को मरने मत देना दोस्तो. आज का आपका आइडिया हो सकता है आने वाली पीढ़ी का भविष्य बना दे. मैं आपने साथ खड़ा हूं. मैं आपके लिए काम करने को तैयार हूं. मैं आपका साथी बनकर काम करने को तैयार हूं.
- जो बात कल तक ज्यादा ध्यान में नहीं थी, वह आज केंद्र में है. महत्वपूर्ण खनिजों में आत्मनिर्भरता भारत के लिए भी बेहद जरूरी है.
- अगर हम ऊर्जा के लिए निर्भर न होते, तो वह धन हमारे युवाओं के काम आता, मेरे देश के गरीबों को गरीबी से लड़ने में मदद करता, मेरे देश के किसानों के कल्याण में काम आता, मेरे देश के गांवों की स्थिति बदलने में उपयोगी होता। लेकिन हमें यह धन दूसरे देशों को देना पड़ता है। अब हम इसमें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम कर रहे हैं.
- कोटि कोटि लोगों के बलिदान से स्वतंत्र भारत हो सकता है, तो कोटि कोटि लोगों को संकल्प और पुरुषार्थ और वोकल फॉर लोकल और स्वदेशी के मंत्र के जाप से समृद्ध भारत भी बन सकता है. भारत सबका है. हम वोकल फॉर लोकल को हर जीवन का मंत्र बनाएं. भारत की मिट्टी की महक वाली चीजों को खरीदने का सामूहिक संकल्प लें. देखते ही देखते दुनिया बदल लेंगे
- आज देश तीसरी बड़ी इकॉनमी बनने की दिशा में है. हम दरवाजे खटखटा रहे हैं. हम तेजी से उसे अचीव कर लेंगे. कोई तो दिन होगा कि लालकिले के प्राचीर से यह खबर भी सुनाऊंगा.
- हम सभी उत्पादन के क्षेत्र में लगे हैं. दाम कम, लेकिन दम ज्यादा. हमारे हर प्रॉडक्ट का दम ज्यादा हो, लेकिन दाम कम हो. इस भाव को लेकर आगे बढ़ना है.
- स्वदेशी माल बिकता है का बोर्ड लगाने की सोच वाले दुकानदार आगे आएं. हम स्वदेशी को अपनी मजबूती के लिए उपयोग करें और जरूरत पड़ी तो औरों को मजबूर करने के लिए उपयोग करेंगे. यह हमारी ताकत होनी चाहिए
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आज 2025 में, देश के सामने परिस्थितियां अलग हैं. अमेरिका की भारी टैरिफ की धमकी के बावजूद, भारत झुकने को तैयार नहीं हुआ. किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए भारत ने भारी टैरिफ बर्दाश्त करना बेहतर समझा. आर्थिक चुनौतियां सामने हैं, लेकिन चुनौती का समाधान वही है- आत्मनिर्भरता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से एक बार फिर उसी भावना को जगाया. उनका संदेश भी शास्त्री जी के संदेश की तरह साफ था- भारत को सिर्फ आयात-निर्यात पर निर्भर नहीं रहना है, बल्कि अपने सामर्थ्य पर भरोसा करना है.

किसानों के हितों से समझौता नहीं
अमेरिका चाहता था कि भारत मक्का, सोयाबीन, सेब, बादाम और डेयरी उत्पादों जैसे अपने कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे. वा ये भी चाहता था कि भारत अपने यहां आनुवंशिक रूप से संशोधित (GM) फसलों जैसे मक्का और सोयाबीन को भी आने दे. किसानों के हितों को देखते हुए भारत सरकार ने इन मांगों का कड़ा विरोध किया. इसका मुख्य कारण यह था कि अगर अमेरिका के सस्ते और सब्सिडी वाले कृषि उत्पाद भारतीय बाजार में आते, तो भारत के लाखों छोटे और सीमांत किसानों की आजीविका खतरे में पड़ जाती. भारतीय किसान बड़ी अमेरिकी कंपनियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते.
जब शास्त्रीजी ने अमेरिका को दिया जवाब
1962 के भारत-चीन युद्ध ने देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया था, और जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने, तो देश भयंकर सूखे और खाद्य संकट से जूझ रहा था. इसी दौरान, 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया. भारतीय सेना ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया और 6 सितंबर को पंजाब फ्रंट खोलकर लाहौर के करीब तक पहुंच गई. हमारी बढ़ती ताकत से घबराकर अमेरिका ने युद्धविराम की अपील की और तत्कालीन राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने भारत को लाल गेहूं की आपूर्ति रोकने की धमकी दी. PL-480 योजना के तहत हम इसी पर निर्भर थे.

शास्त्री जी ने अमेरिका की धमकी का दृढ़ता से जवाब दिया, 'आप गेहूं देना बंद कर सकते हैं.' इसके बाद, अक्टूबर 1965 में, दशहरे के दिन उन्होंने दिल्ली के रामलीला मैदान से देश की जनता से एक दिन का उपवास रखने का आह्वान किया. साथ ही, कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए उन्होंने ऐतिहासिक नारा दिया- 'जय जवान, जय किसान.' ये नारा न केवल सैनिकों और किसानों के श्रम और योगदान को दर्शाता था, बल्कि इसने पूरे देश को एकजुट कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया. आज भी ये नारा रैलियों और सभाओं में जोश भरता है, जो इसकी स्थाई प्रासंगिकता को दिखाता है.
2025: आत्मनिर्भरता की नई कहानी
पीएम मोदी ने किसानों को आश्वासन दिया कि भारत उनके हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, खासकर अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते के संदर्भ में. उन्होंने कहा, 'मैं भारत के किसानों, मछुआरों और पशुपालकों की रक्षा के लिए दीवार की तरह खड़ा हूं.' उनका ये बयान 1965 के उस दौर की याद दिलाता है, जब देश के अन्नदाताओं में हौसला भर कर अमेरिका की धमकी के आगे मजबूती से खड़ा किया गया था.
वोकल फॉर लोकल को मंत्र बनाने का आह्वान
पीएम मोदी ने युवाओं से 'वोकल फॉर लोकल' को अपना मंत्र बनाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि यह अब सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि समृद्ध भारत के लिए एक सामूहिक संकल्प होना चाहिए. उन्होंने 'पीएम विकसित भारत रोजगार योजना' की घोषणा की, जिसके तहत पहली नौकरी पाने वाले युवाओं को सरकार की ओर से ₹15,000 की मदद मिलेगी. ये योजना युवाओं को समृद्ध करने में बड़ी भूमिका निभाएगी.
शास्त्रीजी ने अपने समय की चुनौतियों को समझा और 'जय जवान, जय किसान' का मंत्र दिया, वहीं दूसरी ओर पीएम मोदी भी वर्तमान आर्थिक चुनौतियों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को देखते हुए 'आत्मनिर्भर भारत' का मंत्र दे रहे हैं. दोनों नेताओं का संदेश एक ही था- देश की प्रगति, सुरक्षा और सम्मान के लिए हमें अपने जवानों, किसानों और युवाओं के सामर्थ्य पर विश्वास करना होगा. ये मंत्र तब भी देश की आत्मा को जगाने में सफल रहा और अब भी उम्मीद बड़ी है.
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