नानाजी देशमुख (Nanaji Deshmukh) और भूपेन हजारिका (Bhupen hazarika) को मरणोपरांत देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न (Bharat Ratna) मिला है. नानाजी देशमुख (Nanaji Deshmukh) की पहचान एक समाजसेवी और संघ नेता के रूप में रही है तो भारत के गांवों की दशा-दिशा बदलने वाले चित्रकूट में किए उनके प्रयोग से भी पहचान है. भूपेन हजारिका (Bhupen hazarika) ऐसे विलक्षण प्रतिभा के धनी कलाकार रहे जो खुद अपना गीत लिखते थे, संगीत देते थे और उसे गाते भी थे.
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ठुकरा दिया था मंत्री पद
बात 1977 की है, जब जनता पार्टी की सरकार में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने. उन्होंने नानाजी देशमुख (Nanaji Deshmukh) को मंत्री बनने का ऑफर रखा. नानाजी ने यह ऑफर यह कहकर ठुकरा दिया कि 60 वर्ष से अधिक की उम्र के लोगों को सरकार से बाहर रहकर समाजसेवा करनी चाहिए. उन्होंने अपनी जिंदगी चित्रकूट के विकास में लगा दी. वर्ष 2017 में नानाजी देशमुख की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने उनको लेकर कई संस्मरण सुनाए थे. उन्होंने कहा था "एक बार सार्वजनिक प्रोग्राम में जयप्रकाशजी पर हमला हुआ. बगल में खड़े नानाजी ने अपने हाथों पर हमला झेल लिया. इससे उनके हाथ की हड्डियां टूट गईं. मगर जेपी को चोट नहीं लगने दिया.
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भूपेन हजारिका के बारे में जानिए
भूपेन हजारिका (Bhupen hazarika) ऐसे बिरले कलाकारों में रहे जो कि खुद गीत लिखते थे, संगीत देते थे और उसे गाते भी थे. आठ दिसंबर 1926 को असम में जन्मे भूपेन हजारिका का पांच नवंबर 2011 को निधन हो गया था. भूपेन हजारिका के गीतों ने लाखों को दीवाना बनाया. उन्होंने कई गीतों को जादुई आवाज दी. ओ गंगा तू बहती क्यों है... और दिल हूम हूम करे जैसे गीतों ने भूपेन हजारिका को प्रशंसकों को दिलों में हमेशा के लिए बसा दिया. असम का निवासी होने के कारण भूपेन असमिया संस्कृति और संगीत से भी जुड़े रहे. भूपेन हजारिका का जन्म असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ था.
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