- सुरक्षाबलों ने कुख्यात माओवादी कमांडर मादवी हिडमा को मार गिराया, जो कई सशस्त्र हमलों में जिम्मेदार था
- नक्सलियों के खिलाफ व्यापक रणनीतिक घेराबंदी कर सुरक्षा बल लगभग दो सौ किलोमीटर क्षेत्र में शिकंजा कस रहे हैं
- ऑपरेशन में महाराष्ट्र, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के विशेषज्ञ कमांडो शामिल हैं जो नक्सलियों से लड़ने में माहिर हैं
कुख्यात माओवादी कमांडर मादवी हिडमा को सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया है. 43 वर्षीय हिडमा 2013 के दरभा घाटी नरसंहार और 2017 के सुकमा घात सहित कम से कम 26 सशस्त्र हमलों का जिम्मेदार था. आज से 17 दिन पहले एनडीटीवी पावरप्ले के मंच में गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलियों को चेतावनी देते हुए एक करोड़ के इनामी हिडमा के खात्मे की भविष्यवाणी कर दी थी. उन्होंने कहा था कि 31 मार्च 2026 नक्सलवाद के खात्मे की आखिरी तारीख है. पावरप्ले में शाह ने बताया कि पहले नक्सल 130 से ज्यादा जिलों में फैला हुआ था. आज सिर्फ 11 जिले रह गए हैं. इसमें भी नक्सल प्रभावित तीन ही जिले बचे हैं. आज हिडमा के मारे जाने से नक्सलियों के हौंसले पस्त हो गए हैं
#NDTVExclusive | What Union Home Minister Amit Shah (@AmitShah) had said about top Maoist commander Madvi Hidma at #NDTVPowerPlay@rahulkanwal pic.twitter.com/Q1U1TmAOKl
— NDTV (@ndtv) November 18, 2025
कैसे खत्म हुआ हिडमा, सरकार कैसे कर रही नक्सलियों के खिलाफ आखिरी लड़ाई?
- रणनीतिक घेराबंदी: जानकारों के अनुसार, इस बार नक्सलियों के खिलाफ ऐसी घेराबंदी की गई है जो पहले कभी नहीं हुई. सुरक्षा बल लगभग 200 किलोमीटर व्यास के इलाके में अपना शिकंजा कसते जा रहे हैं.
- हाई-लेवल मॉनिटरिंग: इस पूरे ऑपरेशन पर बीजापुर में बैठे सभी उच्च अधिकारी बारीकी से निगाह रखते हैं, जबकि दिल्ली से लेकर छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और तेलंगाना की सरकारें भी इसकी निगरानी कर रही हैं.
- ऑपरेशन में शामिल कमांडो: इस निर्णायक लड़ाई में विभिन्न राज्यों के विशेषज्ञ कमांडो शामिल हैं, जिनमें महाराष्ट्र के C-60, तेलंगाना के ग्रेहाउंड्स, और छत्तीसगढ़ के DRG (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) जवान प्रमुख हैं, जो नक्सली युद्ध में माहिर हैं.
- नक्सली कमांडरों को निशाना: सुरक्षाबलों ने जिन नक्सलियों को घेरा है, उनमें न सिर्फ कमांडर हिडमा टारगेट था बल्कि देवा भी शामिल हैं, बल्कि सीपीआई-माओवादी की सेंट्रल कमेटी, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DSZC), DVCM, ACM, और संगठन सचिव जैसे बड़े स्तर के कैडर भी शामिल हैं.
- बारूदी सुरंगों को हटाना: नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को रोकने के लिए इलाके में बारूदी सुरंगें (IEDs) बिछाई हुई हैं. इन्हें हटाने के लिए सुरक्षा बलों की खास यूनिटों को लगाया गया है जो उन्हें निष्क्रिय कर धीरे-धीरे आगे बढ़ रही हैं.
- दो तरफा रणनीति: सुरक्षा बल दो तरफा रणनीति अपना रहे हैं. एक ओर, करीब दस हजार जवान नक्सलियों पर चारों ओर से लगातार शिकंजा कस रहे हैं. दूसरी ओर, सुरक्षाबलों ने नक्सलियों की रसद की सप्लाई (Logistics) को पूरी तरह से काट दिया है, जिससे वे जंगलों में कमजोर पड़ रहे हैं.
- दुर्गम इलाके में ऑपरेशन: यह ऑपरेशन दुर्गम इलाके में चल रहा है, जहां घने जंगल, नदी, नाले और छुपने की कई जगहें हैं, जिनका फायदा उठाकर नक्सली अब तक हमले करते रहे हैं.
- हवाई निगरानी: नक्सलियों के हर मूवमेंट पर नज़र रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही, मीडियम मशीन गनों से लैस हेलिकॉप्टर भी पूरे इलाके में लगातार गश्त लगा रहे हैं.
- जवानों के लिए रसद सप्लाई: ऑपरेशन में शामिल हजारों जवानों तक रसद और हथियारों की सप्लाई में कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है. आवश्यक सामान और गोला-बारूद समय पर पहुंचाने के लिए हेलिकॉप्टर लगातार उड़ान भर रहे हैं.
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