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चुनाव के समय राम रहीम को कैसे मिल जाती है पैरोल और फरलो, इन शर्तों पर हुई है रिहाई

राम रहीम को 2017 अगस्त में तो दो शिष्यों के बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, तभी से वो जेल में बंद हैं, इसके बाद उन्हें हत्या के दो अलग-अलग मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, हालांकि वो हाई कोर्ट ने उन्हें एक मामले से बरी कर दिया था.

चुनाव के समय राम रहीम को कैसे मिल जाती है पैरोल और फरलो, इन शर्तों पर हुई है रिहाई
नई दिल्ली:

सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के सदायाफ्ता प्रमुख राम रहीम एक बार फिर पैरोल पर जेल से बाहर आए हैं. वो बलात्कार और हत्या के मामले में अगस्त 2017 में सजा पाने के बाद 11वीं बार जेल से बाहर आए हैं.राम रहीम को पैरोल ऐसे समय मिली है जब हरियाणा में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं.चुनाव के समय उनको पैरोल देने का कांग्रेस ने विरोध किया है. हालांकि राम रहीम को पैरोल देते हुए कुछ शर्तें भी लगाई गई हैं.उन्हें हरियाणा से बाहर रहने को कहा गया है.सुनरियां जेल से रिहा होने के बाद वो उत्तर प्रदेश के बरनावा आश्रम में रहेंगे.

राम रहीम को किन शर्तों पर मिली है पैरोल

प्रशासन ने राम रहीम के लिए शर्तें तो लगाई हैं, लेकिन जेल से बाहर आते है उन्होंने सियासी चाल चल दी है.उनके डेरे ने हरियाणा के हर ब्लॉक के लिए दो दिन की नामचर्चा का आयोजन किया है. यह दो से तीन अक्तूबर तक चलेगी.इस दौरान डेरे के श्रद्धालुओं को इस बात के संकेत दिए जाएंगे कि इस बार के विधानसभा चुनाव में समर्थन किस राजनीतिक पार्टी को करना है.हालांकि डेरे ने कभी यह स्वीकार नहीं किया है कि वो किसी एक दल का समर्थन करता है. 

राम रहीम की पैरोल का कांग्रेस ने विरोध किया है. कांग्रेस ने चुनाव आयोग को एक चिट्‌ठी लिख कर कहा था कि राम रहीम जेल से बाहर आकर चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि हरियाणा में उनके समर्थकों की संख्या सबसे अधिक है. इसलिए उन्हें आचार संहिता के दौरान पैरोल न दी जाए. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राम रहीम पहले भी चुनाव को प्रभावित कर चुके हैं. 

बीजेपी ने बताया अदालत का फैसला

कांग्रेस के इन आरोपों पर बीजेपी का कहना है कि यह अदालत का फैसला है, इसका हरियाणा विधानसभा के चुनाव से कोई लेना-देना नहीं है. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस के लोग राम को नहीं मानते, इसलिए वो इस तरह के फैसलों का विरोध करते हैं. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का कहना है कि कांग्रेस के पास कोई मुद्दा नहीं है.उन्होंने कहा कि पैरोल देना अदालत का अधिकार है. इसका सरकार से कोई लेना देना नहीं है. 

अदालत ने राम रहीम की यह पैरोल शर्तों के साथ दी है. पैरोल के दौरान वो हरियाणा में नहीं रहेंगे.अदालत ने पैरोल के दौरान उनके सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर भी पाबंदी लगाई है. इन शर्तों का उल्लंघन होता पाए जाने पर उनकी पैरोल रद्द कर दी जाएगी.

चुनाव में कब-कब मिली है पैरोल-फरोलो

चुनाव के दौरान पैरोल मिलना राम रहीम के लिए कोई नई बात नहीं है. इससे पहले पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान उन्हें 21 दिन की पैरोल मिली थी. हरियाणा के स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान भी उन्हें एक महीने की पैरोल दी गई थी.आदमपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव से पहले उन्हें अक्टूबर 2022 में 40 दिन की पैरोल मिली. हरियाणा के पंचायत चुनाव से पहले उन्हें एक महीने की पैरोल मिली.हरियाणा के पड़ोसी राजस्थान के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें नवंबर 2023 में 29 दिन की फरलो मिली. वहीं हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान अगस्त में 21 दिन का फरलो मिला. अब मतदान से ठीक दो दिन पहले ही राम रहीम को 20 दिन की पैरोल दी गई है. 

किन मामलों में जेल में बंद हैं


राम रहीम को अदालत ने अगस्त 2017 में दो शिष्याओं से बलात्कार मामले में दोषी ठहराते हुए 20 साल के जेल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद से ही वो रोहतक की सुनरियां जेल में बंद हैं.इसके बाद उन्हें जनवरी 2019 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था. इस मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. वहीं 2021 में रणजीत सिंह हत्याकांड में वो दोषी ठहराए गए. उन्हें उम्रकैद दी गई थी.लेकिन इस मामले में  पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है.

हरियाणा विधानसभा चुनाव का मतदान 5 अक्टूबर को होगा. मतगणना आठ अक्टूबर को कराई जाएगी. 

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