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This Article is From Jun 08, 2024

Explainer: UP में कैसे दलितों के मसीहा बन रहे चंद्रशेखर आजाद?

Nagina Lok Sabha Election Results 2024: मौजूदा हालात में यह कहना गलत नहीं होगा कि एक दलित सीट करिश्मा जरूर कर सकती है. दलित और मुस्लिम बहुल्य नगीना सीट अब तक बीएसपी के पास थी. लेकिन लगता है कि यहां के लोगों का भरोसा मायावती से उठ चुका है. ये लोग अब चंद्रशेखर (Chandra Shekhar Azad) पर भरोसा करने लगे हैं.

Explainer: UP में कैसे दलितों के मसीहा बन रहे चंद्रशेखर आजाद?
Nagina Lok Sabha constituency: दलितों को चंद्रशेखर पर भरोसा क्यों.

चंद्रशेखर आजाद, उत्तर प्रदेश की राजनीति (UP Politics) में वो दलित चेहरा, जिस पर शायद अब दलित समाज को मायावती से ज्यादा भरोसा है. वह दलित राजनीति का नया चेहरा बनकर उभर रहे हैं. बिजनौर की नगीना (आरक्षित) सीट इसी बात का संकेत है. यह सीट जीतकर चंद्रशेखर (Bhim Army Chandrashekhar Azad) ने ये संदेश देने की कोशिश की है, कि वो दलित जो कभी मायावती का कोर वोट बैंक थे, वह उनके पाले में होने लगे हैं या यूं कहें कि उन पर विश्वास जताने लगे हैं. उत्तर प्रदेश वह राज्य है, जहां दलित आबादी करीब 21 फीसदी है. 29 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं, जहां पर दलित वोट (Dalit Vote) 22 से 40 प्रतिशत है. ऐसे में नगीना में सबसे ज्यादा वोट हासिल करने ने एक बात तो साफ है कि चंद्रशेखर आजाद में दलितों को अपना हितैषी दिखने लगा है. यूपी के जातीय समीकरण के बीच चंद्रशेखर का इस सीट को जीतना उनके लिए एक नई ऊर्जा भर देने वाला है. 

चंद्रशेखर पर दलितों को भरोसा?

पहले दलित मायावती का कोर वोट बैंक माने जाते थे, लेकिन पिछले 12 साल से मायावती राजनीति में सक्रिय ही नहीं हैं, जिसकी वजह से यह वोट बैंक छटकने लगा है. इसका असर बीएसपी पर साफ देखा जा सकता है. यही वजह है कि इस लोकसभा चुनाव में बीएसपी खाता तक नहीं खोल सकी. वहीं आजाद समाज पार्टी एक सीट जीतने में कामयाब रही, वो भी दलित सीट नगीना. इसे  उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. तो चंद्रशेखर आजाद के लिए नया आगाज. वह इस जीत से गदगद हैं. नगीना सीट चंद्रशेखर के लिए उम्मीद की वो किरण है, जिसके सहारे वह पूरे राज्य में अपना साम्राज्य फैलाने का सपना देखने लगे हैं. 

  • नगीना में करीब 21 % SC वोटर्स.
  • अनुसूचित जनजाति के वोटर तीन लाख से ज्यादा.
  • मुस्लिम मतदाता 6 लाख.
  • नगीना में 30 फीसदी के करीब हिंदू.
  •  नगीना में मुस्लिम मतदाता 6 लाख.
  • मायावती 1989 में नगीना से जीतकर संसद पहुंचीं.
  • 2014 में नगीना में बीजेपी की जीत.
  • 2019 में नगीना सीट बीएसपी को मिली.
  • 2024 में नगीना सीट आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर के पास.
     

चंद्रशेखर 1 सीट से कैसे करेंगे करिश्मा?

मौजूदा हालात में यह कहना गलत नहीं होगा कि एक दलित सीट करिश्मा जरूर कर सकती है. दलित और मुस्लिम बहुल्य यह सीट अब तक बीएसपी के पास थी. लेकिन अब लगता है कि यहां के लोगों की उम्मीदें मायावती से खत्म हो चुकी हैं. ये लोग अब चंद्रशेखर पर भरोसा करने लगे हैं. इस बात का जीता जागता उदाहरण उनकी इस सीट पर जीत है. नगीना सीट पर चंद्रशेखर ने  512552 वोट हासिल कर बीजेपी और सपा उम्मीदवार को पटखनी दे दी. सपा को यहां 102373 वोट मिले, जबकि बीजेपी को 151473 वोट मिले. इसका बड़ा कारण ये है कि वह मजबूती से दलितों के हक में आवाज उठा रहे हैं. अब यहां के लोगों ने भी उन पर भरोसा जताया है. ये कहना गलत नहीं होगा कि मायावती से दलितों का मोहभंग होने लगा है. चंद्रशेखर ने अकेले दम पर लड़ाई लड़ी और जीत की ट्रॉफी के रूप में नगीना सीट हासिल की है. 

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दलितों को क्यों पसंद आ रहे चंद्रशेखर?

पिछले चुनाव में बीएसपी के गिरिशचंद ने नगीना सीट पर जीत हासिल की थी. लेकिन इस चुनाव में बीएसपी महज 13 हजार वोट ही जीत सकी. वहीं सपा का हाल भी यहां बुरा है. मतलब साफ है कि यहां का दलित वोटर दलित नेता ही चाहता है, जो उनके हक की आज को बुलंद तरीके से उठा सके. एक सीट पर जीत हासिल करने के बाद चंद्रशेखर के हौसलों को नई उड़ान मिली है. एक सीट के बहाने अब वह राज्य की दलित राजनीति में करिश्मा करने का ख्वाब जरूर देख रहे होंगे.

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बता दें कि यूपी के करीब 21 फीसदी दलित वोटर्स री राजनीति की दिशा तय करते है. हार और जीत में इस वोट बैंक का सबसे अहम रोल है. दलित वोटों की इस लिस्ट में नगीना सीट भी शामिल है. भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर 2015 से ही दलित उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए सक्रिय भमिका निभाते रहे हैं. उनकी पार्टी का दावा है कि उसका मकसद जाति पर आधारित हमले और दंगों के खिलाफ आवाज बुलंद करने और दलित बच्चों में शिक्षा का प्रसार करना है.

चंद्रशेखर ने कैसे किया करिश्मा?

चंद्रशेखर दलितों के हक की आवाज को उठाते आए हैं. वह अपने भाषणों और रैलियों में कभी दलितों की मसीहा माने जाने वाली मायावती को निशाने पर लेते रहे हैं. उनका आरोप है कि मायावती ने दलितों के लिए ठीक तरीके से काम ही नहीं किया. इसका खामियाजा दलित समाज भुगत रहा है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि अब वही हैं जो दलितों के हक की आवाज को बुलंद कर सकते हैं और उनके मुद्दों को मुखरता से संसद में उठा सकते हैं. नगीना के दलित और मस्लिमों ने इस बार चंद्रशेखर पर भरोसा तो जताया है. अब उनके सामने इस भरोसे पर खरा उतरने की चुनौती होगी. 

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