लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) ने शुक्रवार को असम विधान सभा (Assam Assembly) के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन गुवाहाटी (Guwahati) में विधायकों को सम्बोधित किया. इस अवसर पर बिरला ने असम के प्राकृतिक सौंदर्य, और सांस्कृतिक विविधता की सराहना की. उन्होंने कहा "कि भारत का लोक तंत्र प्राचीन काल से हमारे आचरण एवं विचारों में समाहित है और इसी कारण भारत को लोक तंत्र की जननी के रूप में पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त है". आज़ादी के अमृत महोत्सव के विषय में बोलते हुए ओम बिरला ने कहा कि देश की 75 वर्षों की यात्रा में भारत का लोकतंत्र निरंतर सशक्त और मजबूत हुआ है.
मुद्दों पर सहमति और असहमति बहस में प्रतिबिंबित हो, व्यवधान में नहीं : ओम बिरला
बिरला ने कहा जनप्रतिनिधियों से लोगों की अपेक्षाएं और आकांक्षाएं भी बढ़ी हैं और इसलिए, जनप्रतिनिधियों के ऊपर जिम्मेदारी है कि वे शासन प्रणाली को अधिक सार्थक, सहभागितापूर्ण, पारदर्शी और समावेशी बनाएं. साथ ही लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता के प्रति और अधिक जवाबदेह बनाएं. ओम बिरला ने हाल में आयोजित पीठासीन अधिकारीयों के सम्मलेन का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी जन प्रतिनिधियों को आगे आने वाले भारत की आज़ादी के शताब्दी वर्ष की कार्ययोजना बनाने पर विचार करना होगा.
विधायिकों के कार्यकरण पर अपने विचार रखते हुए बिरला ने कहा कि लोक तंत्र के मंदिर रुपी विधान सभाओं को कानून बनाते समय सदन में व्यापक चर्चा करनी चाहिये. साथ ही विधायिकों को जनता तथा विभिन्न स्टेकहोल्डर्स की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करते हुए जनता के लिए कल्याणकारी नीतियां बनाने का कार्य करना चाहिए. संसदीय समितियों के विषय में ओम बिरला ने कहा कि समितियां मिनी संसद के रूप में कार्य करती हैं जहाँ दल से ऊपर उठ कर कार्य होता है.
बिरला ने लोकतांत्रिक आचरण पर अपने विचार साँझा करते हुए कहा कि लोकतंत्र वाद-विवाद और संवाद पर आधारित पद्धति है, किन्तु सदनों में निरंतर चर्चा-संवाद नहीं होना सभी जन प्रतिनिधियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है. ओम बिरला ने कहा कि पक्ष-विपक्ष में मतभेद होना, सहमति-असहमति होना स्वाभाविक है, किन्तु असहमति गतिरोध में नहीं बदलनी चाहिए . उन्होंने आगे कहा कि कई बार व्यवधान अनायास नहीं होता, बल्कि नियोजित तरीके से किया जाता है और यह आचरण सभी के लिए चिंता का विषय है.
लोक सभा स्पीकर से मिले ताजिकिस्तान के विदेश मंत्री, संसदीय सहयोग बढ़ाने पर जोर
सदन को चर्चा और संवाद का केन्द्र बनाने पर ज़ोर देते हुए ओम बिरला ने कहा कि जनता कि अपेक्षाओं और आकांक्षाओं पूरा करना जनप्रतिनिधियों का मूलभूत दायित्व होना चाहिए. लोकसभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि सदन को व्यवधान का नहीं चर्चा का केन्द्र बनना होगा और जन प्रतिनिधियों का दायित्व है की लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति जनता की आस्था और विश्वास को कायम रखें. इस अवसर पर ओम बिरला ने असम विधान सभा के ऐप की सराहना की और वन नेशन वन प्लेटफार्म की परिकल्पना की दिशा में इसे एक अच्छा कदम बताया.
इस अवसर पर असम विधानसभा के अध्यक्ष बिश्वजीत दैमारी; असम के मुख्यमंत्री, डॉक्टर हिमंता बिस्वा सरमा ; विधान सभा के उपाध्यक्ष, डॉक्टर नुमोल मोमिन; असम के मंत्रिगण; और असम विधान सभा के सदस्यगण उपस्थित थे.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "विस्तारवाद की नीति के खिलाफ"
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं