गर्म मौसम या मतदाताओं में नहीं उत्साह? क्या कहता है लोकसभा चुनाव के पहले फेज में कम वोटिंग का ट्रेंड

Lok Sabha election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे दौर के मतदान 26 अप्रैल को 13 राज्यों की 89 संसदीय सीटों पर होने हैं. लेकिन जिन इलाकों में मतदान होगा वहां मौसम की मेहरबानी के आसार कम हैं और कई जगह लू चलने की आशंका है.

गर्म मौसम या मतदाताओं में नहीं उत्साह? क्या कहता है लोकसभा चुनाव के पहले फेज में कम वोटिंग का ट्रेंड

प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में लोगों से अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने के लिए कह रहे हैं.

नई दिल्ली:

 Lok Sabha election 2024: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान 26 अप्रैल को होने जा रहे हैं. अधिक से अधिक लोग वोट देने के लिए आएं इसे देखते हुए चुनाव आयोग ने तैयारियों को और तेज़ कर दिया है. मतदाता जागरूकता अभियान चलाने के साथ ही गर्मी के मौसम में मतदाताओं को वोट देने में दिक्कत न आए इसके भी इंतज़ाम किए गए हैं. चुनाव आयोग प्रो एक्टिव हो गया है. क्योंकि पहले दौर में मतदान 2019 के मुक़ाबले कम रहा है. इस दौर में सबसे अधिक सीटों पर वोट डाले गए हैं.

पहले दौर में 19 अप्रैल को जिन 102 सीटों पर मतदान हुआ उनमें से 93 सीटों पर मतदान का प्रतिशत 2019 के मुक़ाबले कम रहा. अगर पहले दौर के मतदान की तुलना करें तो 2019 में इन 102 सीटों पर 70% मतदान हुआ था. वहीं 2024 में 66.1% मतदान दर्ज किया गया है. 

मतदान के कम प्रतिशत ने बढ़ाई परेशानी

एक ओर चुनाव आयोग तो दूसरी ओर राजनीतिक दल भी मतदान का प्रतिशत कम रहने को लेकर सतर्क हो गए हैं. खासतौर पर बीजेपी जिसके पास इन 102 सीटों में से सबसे अधिक 40 सीटें थीं. लेकिन उनमें से 39 सीटों पर मतदान घटा है. दूसरी ओर कांग्रेस के पास 15 सीटें थीं जिनमें से 12 पर मतदान कम हुआ है. डीएमके के पास 24 सीटें थीं जिनमें से 21 पर मतदान घटा है. डीएमके के शासन वाले तमिलनाडु की 39 सीटों पर एक ही साथ 19 अप्रैल को मतदान हो चुका है. अन्य दलों के पास 2019 में 23 सीटें थीं, जिनमें से 21 पर इस बार मतदान कम हुआ है.

पहले दौर में कम वोटिंग क्यों हुई?

मतदान प्रतिशत कम रहने के क्या कारण रहे इसे लेकर बीजेपी में आलाकमान के स्तर तक विचार विमर्श जारी है. क्या चिलचिलाती गर्मी, या क्षेत्रीय मुद्दे इसके लिए ज़िम्मेदार हैं या मतदाताओं की उदासीनता या उत्साह में कमी... इसका नुक़सान किस दल को हो सकता है. 

प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में लोगों से अधिक से अधिक संख्या में मतदान करने के लिए कह रहे हैं. प्रधानमंत्री पहले दौर में कम मतदान को बढ़ी हुई गर्मी से जोड़ कर देख रहे हैं. 2014 में जब बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई थी, तब 2009 के करीब 58 फीसदी के मुकाबले 66 फीसदी मतदान हुआ था.  जबकि 2019 में भी मतदान बढ़कर 67.40 फीसदी हुआ था, अब देखना है कि इस बार मतदान का प्रतिशत बढ़ता है या घटता है.  

दूसरे फेज की वोटिंग से पहले हीटवेव का अलर्ट

लोकसभा चुनाव के लिए दूसरे दौर का मतदान 26 अप्रैल को 12 राज्यों की 88 संसदीय सीटों पर होना है. लेकिन जिन इलाकों में मतदान होगा वहां मौसम की मेहरबानी के आसार कम हैं और कई जगह लू चलने की आशंका है. इनमें पश्चिम बंगाल, बिहार और कर्नाटक जैसे राज्य भी शामिल हैं. मौसम विभाग के ताज़ा पूर्वानुमान के मुताबिक 26 अप्रैल को पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में लू चलने का पूर्वानुमान है. 

उम्मीद है कि मतदान के दूसरे दौर में मतदाता काफ़ी उत्साह के साथ वोट देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करेंगे.

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