चेन्नई: तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने सोमवार को आरोप लगाया कि पूरा देश अयोध्या में रामलला की 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह का उत्सव मना रहा है जबकि यहां राज्य सरकार के नियंत्रण वाले एक श्रीराम मंदिर के पुजारियों और कर्मचारियों को 'दमन' का सामना करना पड़ रहा है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कांचीपुरम में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह की सार्वजनिक स्क्रीनिंग और समारोह को रोकने के लिए 'हिंदुओं से नफरत करने वाली' द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार तमिलनाडु पुलिस का 'दुरुपयोग' कर रही है.
हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने अयोध्या स्थित नवनिर्मित मंदिर में भगवान राम के बाल स्वरूप के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में राज्य के मंदिरों में समारोह आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार करने के भाजपा के आरोपों को खारिज कर दिया.
मुख्यमंत्री स्टालिन ने दावा किया कि जिन लोगों ने कांचीपुरम कामाक्षी मंदिर में ‘भजन' के लिए अनुमति मांगी थी, उन्होंने उल्लेख किया था कि वे कोई सीधा प्रसारण नहीं करेंगे और यह जानकारी सीतारमण ने छिपाई थी.
उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली से लेकर तमिलनाडु तक भाजपा में कोई भी व्यक्ति अफवाह फैलाने से अछूता नहीं है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल रवि के ‘दमन' के आरोप ने ‘द्वेष' को प्रदर्शित किया है, जिससे पता चलता है कि जिन लोगों को भाजपा के कारण उच्च पद मिले, वे ‘‘अफवाह फैलाने वाले व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी'' के रूप में कार्य करते हैं.
उन्होंने पूछा कि जब मंदिर के पुजारियों ने रवि के आरोप को खारिज कर दिया है, तो राज्यपाल के आरोप का राजनीति के अलावा और क्या कारण हो सकता है?
इससे पहले, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने द्रमुक सरकार पर प्राण प्रतिष्ठा संबंधी समारोहों के सार्वजनिक प्रसारण पर 'प्रतिबंध' लगाने का आरोप लगाया. इसकी पृष्ठभूमि में रवि ने यहां एक मंदिर की अपनी यात्रा का जिक्र करते हुए भाजपा के आरोप का समर्थन किया.
राज्यपाल ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर कहा, ''आज (सोमवार) सुबह मैंने चेन्नई के पश्चिम माम्बलम में स्थित श्री कोडंडारामस्वामी मंदिर में दर्शन किये और जन कल्याण के लिए प्रभु श्री राम से प्रार्थना की. यह मंदिर राज्य सरकार के हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के नियंत्रण में है.''
उन्होंने आरोप लगाया, ''पुजारियों और मंदिर के कर्मचारियों के चेहरे पर भय और आशंकाओं के भाव स्पष्ट रूप से देखे जा सकते थे. देश के बाकी हिस्सों में जिस तरह का माहौल है, यह उससे ठीक विपरीत है. पूरे देश में, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन उत्सव का माहौल है जबकि मंदिर परिसर में दमन का माहौल था.''
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