आईएनएक्स मीडिया मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने पी चिदंबरम की बेल याचिका पर सीबीआई को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है. चिदंबरम की तरफ से कोर्ट में बहस कर रहे कपिल सिब्बल ने कहा, हमने न्यायिक हिरासत को चुनौती दी है. साथ ही रेगुलर बेल मांग रहे है. जिस पर जज ने कहा, ''आप यहां क्यों आये हैं?'' जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा, फैक्ट को आप सुन कर न्याय कर सकते है. पहले रेगुलर बेल सुन सकते है.
फिर कोर्ट में जज ने कहा, आपने उसी दिन क्यों नहीं निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी. आप एक ही दिन निचली अदालत से सुप्रीम कोर्ट चले जाते है और यहां निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने में इतना दिन और यहां कह रहे है जल्दी करिए.
कपिल सिब्बल ने कहा, आप जल्दी सुन लीजिए. उस दिन 5.30 बज गए थे और फिर छुट्टी थी. गंभीर मामला है इसलिए आप से रिक्वेस्ट कर रहे है.
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बता दें, तिहाड़ जेल में कैद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का रूख कर दावा किया था कि उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही ‘दुर्भावनापूर्ण ' है और ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध'' को लेकर की गई है. चिदंबरम ने उच्च न्यायालय में एक और याचिका दायर कर पांच सितंबर के निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत उन्हें मामले में 19 सितंबर तक 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. राज्य सभा सदस्य चिदंबरम ने इस आदेश को पूरी तरह से ‘‘बिना कोई कारण का'' बताया है.
Congress leader P Chidambaram's lawyers have also withdrawn their second plea challenging judicial custody of him. Delhi High Court asks Central Bureau of Investigation (CBI) to file status report in the his bail plea case in 7 days. https://t.co/l5UfskYuJn
— ANI (@ANI) September 12, 2019
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चिदंबरम(73) को सीबीआई ने 21 अगस्त को यहां उनके जोरबाग स्थित आवास से गिरफ्तार किया था. उन्होंने निचली अदालत का रूख नहीं किया और नियमित जमानत के लिए सीधे उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह कहते हुए जमानत का अनुरोध किया है कि वह कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं। समाज से वह गहरा ताल्लुक रखते हैं और वह उन्हें राहत दिए जाने के दौरान उच्च न्यायालय द्वारा लगाई जाने वाली सभी शर्तों का पालन करेंगे.
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याचिका में कहा गया है, ‘...जाहिर है कि यह मामला प्रमाणों से संबंधित है। साथ ही, याचिकाकर्ता एक सम्मानीय नागरिक और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री एवं पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री हैं। याचिकाकर्ता मौजूदा सरकार या निचली अदालत के सुरक्षित कब्जे में रखे इस मामले के साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते और ना ही ऐसा करेंगे।'
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