फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर ( Mohammed Zubair) की जमानत याचिका पर पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील वृंदा ग्रोवर ने एफआईआर के तथ्यों को रखा. मामले में सुनवाई पूरी हो गई है. जमानत याचिका पर आदेश कल दो बजे दिया जाएगा. गुरुवार को सुनवाई के दौरान जज ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि जुबैर के ट्वीट की तारीख क्या थी? जवाब में दिल्ली पुलिस की ओर से बताया गया कि यह 2018 का था लेकिन यह एक सतत अपराध (continuing offence) है और इसका असर जून 2022 में भी देखा गया. पुलिस की ओर से कहा गया कि हालांकि वे दलील दे रहे हैं कि फोटो एक फिल्म से है लेकिन शब्दों का अपना महत्व है. "2014 के पहले और 2014 के बाद" यह ट्वीट में जोड़ा गया. यह फिल्म में नहीं था. इसे दुर्भावनापूर्ण इरादे से करने का प्रयास था. इस पर जज ने पूछा, लेकिन मामला क्या है. आपने इस "2014 के पहले और 2014 के बाद" के क्या बताना चाहते हैं. क्या आप कहना चाहते हैं कि यह सरकार की आलोचना है. दिल्ली पुलिस की ओर से जवाब में कहा गया कि यह धर्म से संबंधित है. यदि यह सरकार से जुड़ा होतो तो हम दखल नहीं देते. हनुमान ब्रह्मचारी हैं लेकिन उसने ट्वीट में इसे 'हनीमून' से जोड़ा.
इस पर जज ने कहा कि आप बताइए कि जिनकी भावनाएं आहत हुई हैं उनमें से आपने कितने लोगों के बयान दर्ज़ किए तो दिल्ली पुलिस की ओर से बताया गया कि ज़ुबैर के इस ट्वीट के लगभग 529 रीट्वीट किए गए. ज़ुबैर ने जानबूझकर हनुमान जी का नाम लिखा क्योंकि वो ब्रह्मचारी थे. इस मामले में हमें पता चला है कि ज़ुबैर को अरब देशों जैसे इरान , सिरिया और पाकिस्तान जैसे देशों से पैसा मिला है. हमने FCRA की भी धारा लगाई है. जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि यहां पर मौखिक तौर पर दिल्ली पुलिस कुछ भी कहे लेकिन ये काग़ज़ पर कहीं नहीं साबित कर पाए कि मेरे मुवक्किल ने FCRA क़ानून का उल्लंघन किया है. इस पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि विदेशों से लिए गए फंड पर हमारी जांच चल रही है. जिन लोगों ने पैसा दिया है उनमें से कुछ से हमने संपर्क किया है. इनमें से एक व्यक्ति पिछले 22 साल से साउदी में रह रहा हे. नियम के मुताबिक़ अगर बाहर से आप पैसा ले रहे हैं तो आपको सूचित करना होता है.
वृंदा ग्रोवर ने कहा कि वे साबित कर देंगी कि इस मामले में FCRA का क़ानून लागू नहीं होता. पहले मेरे मुवक्क्लि के ऊपर 153A और 295A लगाया गया बाद में FCRA लगाया गया. जुबैर की ओर से उन्होंने कहा कि मैं स्वीकार कर रहा हूं कि मैंने ट्वीट किया , मैं मान रहा हूं कि मैं ऑल्ट न्यूज़ का को डायरेक्टर हूं. मैने Alt न्यूज़ की वेबसाइट पर साफ़ लिख रखा है कि हम चंदा लेते हैं. वेबसाइट में लिखा है कि हम non profit organisation हैं. हमने वेबसाइट में हमने साफ़ लिखा है कि हम विदेशों से चंदा नहीं लेते. हमने साफ़ लिखा है कि हम FCRA के तहत पंजीकृत नहीं हैं इसलिए हम विदेशों से चंदा नहीं ले सकते. हमने हमने साफ़ लिखा है कि हम सिर्फ़ भारतीय नागरिकों से उनके भारतीय खातों से ही पैसा ले सकते हैं. हमने ये सब साफ़ घोषित कर रखा है हमने जो लोग चंदा देते हैं उनसे PAN नंबर भी मांगा है. हम razor pay के ज़रिए पैसे लेते हैं ये साफ़ हमारी वेबसाइट पर है. razor pay के सीईओ ने साफ़ बयान देकर कहा है कि रेज़र पे के ज़रिए विदेशों से पैसा नहीं लिया गया है. विदेशों से पैसा लेने की बात तो सिर्फ़ दिल्ली पुलिस ने की है. हम तो साफ़ कह रहे हैं कि वेबसाइट पर कि हम विदेशों से चंदा नहीं लेते.Razor pay ने भी बयान देकर ये बात साफ़ किया है कि कोई विदेशी चंदा नहीं लिया जा रहा. जानबूझकर कुछ देशों का नाम लिया जा रहा है. लिखा जा रहा है कि कुछ इस्लामिक देशों से पैसा लिया जा रहा है. अरे विदेशी चंदा तो विदेशी चंदा होता है चाहे वो अमेरिका हो या पाकिस्तान. जानबूझकर कर बार बार इस्लामिक देश लिखा जा रहा है. पेज 92 में एक excel sheet है जहां योगदान (contribution) दिखाया गया है जिसमें एक पाकिस्तान का column बनाया गया है ये इनका formula है ? और कोड नहीं बताया है ? मेरी Personal liberty ख़तरे में है. दिल्ली पुलिस को साबित करना चाहिए कि किसके अकाउंट से, किसके नाम पर किस देश से पैसा लिया गया? इस पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि हमारे पास आईपी एड्रेस हैं जिनसे पैसा लिया गया तब वृंदा ग्रोवर ने कहा कि ये अकाउंट नंबर और अकाउंट का नाम बताने की बजाय बात आईपी एड्रेस पर बात ले आए. जुबैर की ओर से इस दौरान कहा गया, "ये मेरा फ़ोन ज़ब्त करना चाहते हैं. मेरा वो फ़ोन खो गया और उसकी शिकायत भी दर्ज़ करी है. ज़ुबैर का नया फ़ोन पुलिस के पास है. मेरे ख़िलाफ़ इस FIR के बाद मेरे ट्वीट्स को लेकर FIRs की झड़ी लगा दी गई. मेरा फ़ोन और लैपटॉप तक सीज़ कर लिया गया हैऔर जिस फ़ोन से मैने ट्वीट किया वो पहले ही 2021 में खो चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि बेल आरोपी का अधिकार है."
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