"एंकर को ऑफ एयर क्यों नहीं किया जा सकता?": हेट स्पीच मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा

केंद्र सरकार ने हेट स्पीच गंभीर को अपराध बताते हुए कहा कि इसे कोई रंग नहीं दिया जा सकता. सरकार CrPC में व्यापक तंत्र पर शामिल करने पर विचार कर रही है.

हेट स्पीच के खिलाफ याचिकाओं को मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई

नई दिल्‍ली :

सांप्रदायिक आधार पर होने वाली हेट स्पीच के खिलाफ याचिकाओं पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. जस्टिस के एम जोसेफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की बेंच यह सुनवाई कर रही है. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अहम आदेश में दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकार को निर्देश दिया था कि वो आरोपी का धर्म देखें बगैर हेट स्पीच के मामलों में ख़ुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करे और पुलिस इसके लिए औपचारिक शिकायत दर्ज होने का इंतज़ार न करे. कोर्ट ने राज्यों से कार्रवाई का ब्यौरा भी मांगा था.

सुनवाई के दौरान जस्टिस के एम जोसेफ ने पूछा, "जहां तक नफरत की बात है तो अब क्या स्थिति है? नफरत का सामान्य माहौल  क्या है? माहौल पहले से बेहतर हुआ या बदतर हुआ ? इस पर वकील संजय हेगड़े ने कहा, "सामान्य निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता. अब भी अगर कहीं चिंगारी होती है तो सब कुछ भड़क जाता है. पहले तीन मामलों से ये सब शुरू हुआ था. 

वकील निजाम पाशा ने सुदर्शन टीवी के चीफ सुरेश चव्हाणके का बयान पढ़ा और बताया कि त्रिशूल बांटने की घटनाएं हुई हैं. कुछ मामलों में दंगे का आह्वान है. भाषण दिए जाते हैं हिंदुओं को मुसलमानों की दुकानों पर नहीं जाना चाहिए क्योंकि वे लव जिहादी हैं. सोशल मीडिया के आज के युग में- सीमाएं मौजूद नहीं हैं. 21 अक्टूबर का आदेश सभी राज्यों में लागू किया जाए. भाषण दिए जाते हैं, लामबंदी होती है. इसके लिए न्यायालय द्वारा तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है . यूपी द्वारा हलफनामा दाखिल किया गया. इस पर जस्टिस नागरत्ना ने कहा, "आप बहुत सी बातें पढ़ रहे हैं. एफआईआर के लिए अपराध होना चाहिए. इसे एक व्यक्ति के लिए पता लगाया जाना है.हवा में FIR नहीं हो सकती. 

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से पूछा कि हेट स्पीच को रोकने के लिए आपने क्या कदम उठाए हैं ? इस पर उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हमने 118 मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें से 23 स्वत: संज्ञान के मामले हैं, 95 शिकायतों पर आधारित हैं. जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि चार्जशीट उपयुक्त धाराओं के साथ दायर किया जाना चाहिए. ऐसा न हो कि हल्की धाराओं का इस्तेमाल हो. यह एक खतरा है, क्या आरोपियों को गिरफ्तार किया है ? सरकार ने कहा कि हां आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है 

यूपी सरकार ने रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि हमने 581 केस दर्ज किए हैं. 160 मुकदमे स्वत: संज्ञान लेकर दर्ज किए गए. चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है. जहां तक इन मामलों का संबंध है,  हमने देखा है कि जांच  और चार्जशीट में सभी धर्मों पर समान कार्रवाई हुई है. जस्टिस बी वी नागरत्ना ने कहा कि  हमें भारत में स्वतंत्र और संतुलित प्रेस की आवश्यकता है, स्वतंत्र लेकिन संतुलित. उन्‍होंने कहा कि स्वतंत्रता के साथ समस्या यह है कि यह दर्शकों को चकरा देती है. अगर आज़ादी का इस्तेमाल एजेंडे के साथ किया जाता है, तो आप लोगों की सेवा नहीं कर रहे हैं फिर पैसे का पहलू भी है. जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि यह सब भाषण की सामग्री के लिए है.

NBSA की ओर से कहा गया कि हमने 4के मामलों का निपटारा किया है. 72 चैनल हमारे साथ हैं.हम वीडियो हटा देते हैं. यहां कोई शिकायतकर्ता यह नहीं कह रहा है कि वे एनएसबीडीए के आदेश से संतुष्ट नहीं हैं. सुदर्शन, रिपब्लिक टीवी जैसे कुछ चैनल हैं जो हमारी सदस्यता का हिस्सा नहीं है. केंद्र सरकार ने हेट स्पीच को गंभीर अपराध बताते हुए कहा कि इसे कोई रंग नहीं दिया जा सकता. सरकार CrPC में व्यापक तंत्र पर शामिल करने पर विचार कर रही है.

केंद्र सरकार की ओर से ASG केएम नटराज ने कहा, " हेट स्पीच गंभीर अपराध है और इसे कोई रंग नहीं दिया जा सकता. जहां तक केबल और टीवी का मामला है, एक संतुलित तंत्र होना चाहिए. IPC के तहत तंत्र हैं. हम CrPC के लिए व्यापक तंत्र पर विचार कर रहे है. यह समाज के सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करता है. हम सभी हितधारकों से इनपुट इकट्ठा कर रहे हैं.इसके बाद संसद में रखा जाएगा. जस्टिस जोसेफ ने कहा कि अगर आप एंकरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हैं  तो उन्हें पता चल जाएगा कि उन्हें भुगतना होगा. वे ऑफ एयर हो जाएंगे, मौजूदा कानून में कमी है. 

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हेट स्पीच को लेकर कानून लाने की कवायद है. हितधारकों से इनपुट लिए जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और उत्तराखंड के अलावा केस में छ्त्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान को भी शामिल किया है और तीन हफ्ते में जवाब देने को कहा कि क्या कदम उठाए हैं. केंद्र भी बताएगा कि नए कानून को लेकर क्या तैयारी है. मामले को लेकर एक महीने बाद सुनवाई होगी.