Covid-19 Pandemic: COVID-19 की महामारी के कारण जारी लॉकडाउन के बीच देश में टीबी/तपेदिक (Tuberculosis) की दवाओं की कमी पर स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) ने चिंता जताई है. मंत्रालय ने इस बीमारी की दवाओं पर निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत बताई है, साथ ही राज्य सरकारों से दवा कंपनियों को उत्पादन में मदद करने के लिए कहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से 17 अप्रैल को जारी मेमोरेंडम में कहा गया है, "आपातकालीन उपायों, फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में सीमित मैनपावर और मटेरियल की कमी के कारण भारत की अग्रणी टीबी दवाओं के निर्माताओं की उत्पादन क्षमता प्रभावित हुई है." इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत टीबी रोगियों के उपचार के लिए टीबी की दवाएं आवश्यक हैं. उत्पादन में देरी के कारण क्षेत्र में इन दवाओं की तीव्र कमी हो सकती है. ऐसी स्थिति से टीबी रोगियों के उपचार पर विपरीत असर पड़ सकता है.
गौरतलब है कि कोरोनावायरस संकट और इसके प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन को देखते हुए, अग्रणी निर्माताओं मैकलेड्स फार्मास्युटिकल्स और ल्यूपिन लिमिटेड ने सरकार से कहा है कि सामग्री, श्रम और परिवहन की कमी है. गुजरात, हिमाचल प्रदेश और दमन और दीव, जहां ज्यादातर फैक्टरियां स्थित हैं, से फार्मा कंपनियों के लिए परिवहन सेवाएं उपलब्ध कराने और श्रमिकों व सामग्री की फैक्टरी तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है. टीबी की दवाओं की इस कमी को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्पॉवर्ड ग्रुप और राज्यों को चिट्ठी लिखी है. इस लेटर में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि टीबी दवाओं का निर्यात बंद किया जाना चाहिए. इसके साथ ही मंत्रालय ने एम्पॉवर्ड ग्रुप से अपील की कि राज्यों को निर्देश दिए जाएंजिससे कि प्रोडक्शन साइट तक कर्मचारियों को कोई दिक्कत न हों.
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