नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें आईटीसी को बाल काटने में हुई गलती के लिए महिला मॉडल को क्षतिपूर्ति के रूप में दो करोड़ रुपये प्रदान करने को कहा गया था. मॉडल ने आईटीसी के स्वामित्व वाले एक होटल में बाल कटाया था.
न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने एनसीडीआरसी के आदेश को चुनौती देने वाली आईटीसी की याचिका पर मॉडल आशना रॉय को नोटिस जारी किया. शीर्ष अदालत ने कहा कि क्षतिपूर्ति की मात्रा भौतिक साक्ष्यों पर आधारित होनी चाहिए, ना कि केवल मांग पर. आयोग ने 21 सितंबर, 2021 को कंपनी को मुआवजे के रूप में मॉडल को दो करोड़ रुपये का भुगतान करने के अपने आदेश की फिर से पुष्टि की थी. आईटीसी की ओर से अपील करने उच्चतम न्ययालय का ताजा निर्देश आया है.
इसके पहले, इस साल फरवरी में उच्चतम न्यायालय ने एनसीडीआरसी के आदेश को रद्द कर दिया था और उपभोक्ता पैनल से कहा था कि मॉडल द्वारा पेश सामग्री को देखने के बाद मामले पर विचार करे. एनसीडीआरसी ने 25 अप्रैल को रॉय द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावित मॉडलिंग और अभिनय अनुबंधों के ई-मेल और आवेदनों पर भरोसा करने के बाद अपने पहले के आदेश की पुष्टि की थी.
मॉडल के मुताबिक वह नयी दिल्ली स्थित होटल आईटीसी मौर्या में 12 अप्रैल, 2018 को ‘हेयर स्टाइल' के लिए पहुंचीं. उन्होंने कहा कि जो ‘हेयरड्रेसर' नियमित रूप से उनके बाल की देखभाल करती थी. वह नहीं थी, इसलिए एक अन्य व्यक्ति को यह काम सौंपा गया. मॉडल ने कहा कि आगाह करने के बावजूद नयी हेयरड्रेसर ने उनका पूरा बाल काट के अलग कर दिया और शीर्ष पर बाल की लंबाई केवल चार इंच रह गई और बाल बमुश्किल कंधे को छू सकते थे.
मॉडल के मुताबिक, बाल काटने में त्रुटि के काण वह अपने सामान्य व्यस्त जीवन को जारी नहीं रख सकती थीं, क्योंकि अब वह सुंदर नहीं दिख रही थीं. उन्होंने कहा कि इससे उन्हें बहुत अपमान और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा. रॉय ने दावा किया कि इस घटना से उनका मॉडलिंग करियर पूरी तरह बर्बाद हो गया और वह अवसाद में चली गईं.
इसके बाद उन्होंने सेवा में कमी के लिये एनसीडीआरसी में शिकायत दायर की और प्रबंधन से लिखित माफी की मांग की. इसके अलावा उन्होंने उत्पीड़न, अपमान तथा मानसिक तनाव, करियर का नुकसान, आय का नुकसान आदि की शिकायत करते हुए तीन करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग की.
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