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SIT पर भरोसा रखें, यौन शोषण मामले की जांच CBI को सौंपने की जरूरत नहीं : सिद्धरमैया

मुख्यमंत्री ने राज्य में पिछले कांग्रेस शासन के दौरान सीबीआई को भेजे गए कुछ मामलों का हवाला दिया और पूछा: “लेकिन क्या इन मामलों में किसी को सजा हुई?”

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SIT पर भरोसा रखें, यौन शोषण मामले की जांच CBI को सौंपने की जरूरत नहीं : सिद्धरमैया
मैसुरु:

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को जद (एस) सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन शोषण मामले की जांच कर रहे प्रदेश सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) पर भरोसा जताया और कहा कि जांच को सीबीआई को सौंपने की कोई जरूरत नहीं है.

विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए उन्होंने दावा किया कि भाजपा (जब राज्य में सत्ता में थी) ने कभी एक भी मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को नहीं सौंपा था और एक समय था जब संगठन सीबीआई को ‘भ्रष्टाचार जांच ब्यूरो' के रूप में संदर्भित करता था. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) सुप्रीमो एच.डी. देवेगौड़ा सीबीआई को ‘चोर बचाओ संस्थान' कहते थे और अब उन्हें सीबीआई से प्यार है?

पूर्व मुख्यमंत्री और जद(एस) नेता एच.डी. कुमारस्वामी द्वारा मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने की मांग पर सिद्धरमैया ने कहा, “मामले को सीबीआई को सौंपने की कोई जरूरत नहीं है. मुझे पुलिस (एसआईटी) पर पूरा भरोसा है. वह कानून के मुताबिक जांच करेगी.”

मुख्यमंत्री ने राज्य में पिछले कांग्रेस शासन के दौरान सीबीआई को भेजे गए कुछ मामलों का हवाला दिया और पूछा: “लेकिन क्या इन मामलों में किसी को सजा हुई?”

उन्होंने कहा, “हमारी सरकार कानूनी कार्यवाही और जांच में हस्तक्षेप नहीं करती है. वे (एसआईटी) सही तरीके से जांच कर रहे हैं. न तो अभी, न ही पहले, मैंने किसी पुलिस अधिकारी को कानून से परे या उसके विरुद्ध कुछ करने का निर्देश दिया है. हालांकि, सीबीआई जांच की कोई जरूरत नहीं है. हमारी पुलिस पर भरोसा करना चाहिए.”

सिद्धरमैया ने कहा कि कानून के मुताबिक एसआईटी का गठन किया गया है. उन्होंने कहा, “मुझे अपने पुलिस अधिकारियों पर भरोसा है. वे सच्चाई का पता लगा लेंगे.” मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि न तो वह और न ही उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार मामले की जांच में शामिल हैं.

अपहरण मामले में जद (एस) विधायक एचडी रेवन्ना की गिरफ्तारी में “राजनीतिक हस्तक्षेप” के आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने पूछा, “अगर उन पर लगे आरोप में कोई सच्चाई नहीं है तो उन्होंने अग्रिम जमानत क्यों मांगी? अदालत ने जमानत अर्जी क्यों खारिज कर दी?”

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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