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20 साल से सूरज पाल नहीं आए, लेकिन भक्‍त आज भी टेकते हैं 'बाबा की कुटिया' पर मत्‍था

उत्‍तर प्रदेश के आगरा में भोले बाबा उर्फ सूरज पाल के घर के बाहर आज भी लोग मत्था टेकते हैं. आज भी लोग घर के बाहर सफाई करते हैं. खास बात यह है कि इस घर में बाबा कभी रहा करते थे, लेकिन करीब 18-20 साल से घर पर ताला लगा हुआ है.

20 साल से सूरज पाल नहीं आए, लेकिन भक्‍त आज भी टेकते हैं 'बाबा की कुटिया' पर मत्‍था
बाबा 20 साल से यहां नहीं आए, लेकिन भक्‍त आते हैं रोज
नई दिल्‍ली:

उत्‍तर प्रदेश के हाथरस हादसे से जुड़े भोले बाबा उर्फ सूरज पाल के प्रति भक्तों की दीवानगी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उनके आगरा में बंद पड़े पुराने घर की चौखट पर आज भी रोजाना भक्‍त मत्‍था टेकने पहुंचते हैं. ये घर पिछले 20 सालों से बंद पड़ा है. इसके गेट पर कई ताले लगे हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद यहां उनके अनुयायी आते हैं. इसे बाबा की कुटिया कहा जाता है. इस कुटिया के आसपास रहने वाले लोग बताते हैं कि लोगों का आना सुबह 4 बजे से शुरू हो जाता है. 

बाबा 20 साल से यहां नहीं आए, लेकिन भक्‍त आते हैं रोज

केदार नगर में कुटिया के करीब रहने वाले बॉबी दिवाकर कहते हैं, "बाबा यहां 20 साल पहले रहते थे. तभी बाबा यहां से चले गए थे. लेकिन आज भी यहां हजारों लोग रोजाना आते हैं. सुबह-सुबह ही लोग यहां पहुंचना शुरू हो जाते हैं. घर के बाहर झाड़ू लगाई जाती है. लोगों की आस्‍था बाबा में काफी है. हालांकि, वह बहुत समय से यहां नहीं आए हैं."

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बाबा की कुटिया पर मत्‍था टेकने 4 बजे से आने लगते हैं भक्‍त

वहीं, केदार नगर में रहने वालीं निशा दुबे कहती हैं, "हमने बाबा जी को सिर्फ एक बार यहां आते हुए देखा है. बाबा की कुटिया में यहां ताला लगा रहता है. लेकिन लोगों में बाबा के प्रति बहुत ज्‍यादा श्रद्धा है. कई महिलाएं दरवाजे के बाहर से ही मत्‍था टेककर चली जाती हैं. सुबह 4 बजे से यहां महिलाओं का आना शुरू होता है, और ये सिलसिला पूरे दिन शाम तक चलता रहता है. हमने तो बाबा को 18-19 सालों से नहीं देखा है."

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हाथरस में एक सत्संग में भगदड़ मचने से 121 लोगों की मौत हो गई है. भगदड़ का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है, लेकिन कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. कहा गया है कि कार्यक्रम स्थल पर गर्मी और उमस के कारण उपस्थित लोगों में बेचैनी पैदा हो गई, जिससे वे घबरा गए और बाहर निकलने की जल्दी में थे, जिसके कारण भगदड़ मच गई. सत्संग समाप्त होते ही लोग बाहर निकलने के लिए दौड़ पड़े. कुछ लोग बाबा के पैर छूने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए दूसरी दिशा में चले गए, जिससे अफरा-तफरी मच गई जो भगदड़ में तब्दील हो गई.
(आईएएनएस इनपुट के साथ...)

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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