
कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) गुरुवार को उत्तर प्रदेश में हाथरस गैंगरेप (Hathras Gangrape) की पीड़िता के परिवार से मिलने हाथरस जा रहे हैं. वैसे फिलहाल हाथरस में धारा 144 लागू है. प्रशासन ने बताया है कि कोरोनावायरस के चलते यहां पर 1 सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच जिले में धारा 144 लागू है. गैंगरेप और बर्बरता का शिकार हुई 20 साल की पीड़िता की इलाज के दौरान मौत और उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से रात के अंधेरे में परिवार की मौजूदगी के बिना उसका अंतिम संस्कार किए जाने पर पूरे देश में आक्रोश फैला हुआ है.
14 सितंबर को हाथरस के एक गांव में अकल्पनीय दरिंदगी का शिकार हुई पीड़िता की मंगलवार को दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई थी. उसके शरीर में कई फ्रैक्चर आ गए थे, इतनी गंभीर चोटें लगी थीं कि वो पैरालाइज़ हो गई थी. उसके गले में ऐसी चोट आई थी कि उसे सांस लेने में तकलीफ होरही थी. पुलिस ने बताया है कि उसकी जीभ में गहरा कट था, जो गला दबाने के वजह से जीभ बाहर आने के चलते बना होगा.
अपनी बेटी के साथ दरिंदगी और फिर उसे खोने के गम में डूबे परिवार का दुख तब और बढ़ गया जब यूपी पुलिस पीड़िता का शव लेकर उसके गांव पहुंची और जबरदस्ती परिवार को दरकिनार कर उसका अंतिम संस्कार कर दिया. इस घटना को लेकर राज्य की योगी सरकार चारों और से निशाने पर आ गई है.
राहुल और प्रियंका का योगी पर हमला
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लगातार इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमलावर बने हुए हैं. राहुल गांधी ने बुधवार को कहा था कि 'यूपी पुलिस की यह शर्मनाक हरकत दलितों को दबाने और उनको 'उनकी जगह' दिखाने के लिए है. हमारी लड़ाई इसी सोच के खिलाफ है.'
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वहीं प्रियंका गांधी ने सीएम योगी का इस्तीफा मांगा है. बुधवार को प्रियंका ने इस मसले पर एक के बाद एक ट्वीट किए. उन्होंने कहा कि 'यूपी के मुख्यमंत्री जी से कुछ सवाल पूछना चाहती हूं.परिजनों से जबरदस्ती छीन कर पीड़िता के शव को जलवा देने का आदेश किसने दिया था? पिछले 14 दिन से कहां सोए हुए थे आप? क्यों हरकत में नहीं आए? और कब तक चलेगा ये सब? कैसे मुख्यमंत्री हैं आप?'
प्रियंका गांधी ने बुधवार को बताया था कि जब वो पीड़िता के पिता से फोन पर बात कर रही थीं, तभी उसकी मौत की खबर आई. उन्होंने ट्वीट में लिखा, 'मैं हाथरस पीड़िता के पिता के साथ फोन पर बात कर रही थी, तभी उन्हें बताया कि उनकी बेटी गुजर गई. मैंने उन्हें निराशा में रोते हुए सुना.' उन्होंने मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगते हुए आगे लिखा, 'वो मुझे अभी बता ही रहे थे कि वो बस अपनी बच्ची के लिए इंसाफ चाहते हैं. पिछली रात उनसे उनकी बेटी को आखिरी बार घर ले जाने और उसका अंतिम संस्कार करने का हक भी छीन लिया गया. पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा करने के बजाय आपकी सरकार, यहां तक की उसकी मौत के बाद भी उसके हर मानवाधिकार को छीनने में लगी रही. आपके पास मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.'
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