उत्तर प्रदेश के हाथरस में सूरज पाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान हुई भगदड़ के लिए कौन जिम्मेदार है? क्या इसके लिए भोले बाबा कसूरवार हैं? क्या भक्तों की लापरवाही इस हादसे की वजह बनी, जिसमें 121 लोगों की जान गई? इन सवालों के जवाब एसआईटी की जांच रिपोर्ट में मिल सकते हैं. हाथरस भगदड़ मामले में यूपी सरकार की तरफ़ से गठित एसआईटी ने जांच रिपोर्ट गृह विभाग को सौंप दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आज ये रिपोर्ट दी गई. 850 पन्नों की ये जांच रिपोर्ट कई चीजों से पर्दा उठा सकती है, क्योंकि इसमें 128 लोगों के बयान दर्ज किये गए हैं.
SIT की रिपोर्ट में 128 लोगों के बयान दर्ज
एसआईटी की जांच रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी सीनियर अफ़सरों के साथ चर्चा करेंगे. इस रिपोर्ट में सिलसिलेवार तरीक़े से बताया गया है कि किस तरह से भगदड़ हुई, क्या इंतज़ाम थे, किसका क्या रोल रहा, घटना के लिए ज़िम्मेदार कौन है. इसमें 128 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं. आगरा की एडीजी अनुपमा कुलश्रेष्ठ और अलीगढ की डिविजनल कमिश्नर चैत्रा वी ने ये रिपोर्ट तैयार की है. समझा जा रहा है कि इसी रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई हो सकती है.
एसआईटी रिपोर्ट को अभी नहीं किया गया सार्वजनिक
अभी तक एसआईटी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है, इसलिए ये बता पाना बेहद मुश्किल है कि इसमें क्या है. मुख्यमंत्री योगी ने घटना के बाद हाथसर पहुंच पीडि़तों का हालचाल जाना था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि बाबा के आयोजक, पुलिस के साथ सहयोग नहीं करते हैं. आयोजन स्थल के अंदर नहीं जाने देते हैं. सारी व्यवस्था वह खुद ही देखते हैं. साथ ही योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि हादसे के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. अब ये माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट के आधार पर सीएम योगी आदित्यनाथ कार्रवाई करना शुरू करेंगे.
हाथरस हादसे की रिपोर्ट के कुछ अंश
- हादसे के लिए आयोजक ज़िम्मेदार, स्थानीय प्रशासन की भी जवाबदेही तय की गई.
- साज़िश से इनकार नहीं, जांच की ज़रूरत, आयोजकों की लापरवाही से हुआ हादसा.
- स्थानीय प्रशासन ने आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया एसडीएम, सीओ, तहसीलदार समेत 6 निलंबित.
- एसआईटी ने चश्मदीदों और साक्ष्यों के आधार पर आयोजकों को दोषी माना. आयोजकों ने तथ्य छुपाकर आयोजन की अनुमति ली.
- तहसील स्तर के अधिकारियों ने आयोजन को गंभीरता से ना लेते हुए ऊपर के अधिकारियों को सूचित तक नहीं किया.
- एसडीएम ने बिना आयोजन स्थल का मुआयना किए अनुमति दी.
- आयोजकों ने तय मनकों का पालन नहीं किया , आयोजन मण्डल के लोगों ने अव्यवस्था फैलाई.
- आयोजकों ने पुलिस के साथ दुर्व्यवहार किया, आयोजन स्थल पर भीड़ नियंत्रित करने के लिए बेरिकेटिंग या पैसेज नहीं बनाया.
न्यायिक आयोग भी कर रहा जांच, 2 महीने में आएगी रिपोर्ट
यहां ये भी ध्यान देने की बात है कि ये एसआईटी जब बनाई गई थी, तो इसे 24 घंटे में जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था. इसमें सिर्फ शुरुआती कारणों का कारण पता लगाने के लिए कहा गया था. इसके आलावा इस मामले की जांच न्यायिक आयोग की टीम भी कर रही है, जिसमें 3 लोग शामिल हैं. इस कमिटी को हादसे की जांच रिपोर्ट दाखिल करने की समय सीमा 2 महीने दी गई है. न्यायिक आयोग बेहद बारीकी से मामले की जांच करेगी. हर उस शख्स से बातचीत करेगी, जो इस सत्संग के आयोजन से जुड़ा हुआ था. इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट न्यायिक आयोग देगी, उसके बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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