विशेष राज्य के दर्जे के बारे में पूछे जाने पर बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने सोमवार को कहा कि अभी इसकी चर्चा करने की ज़रूरत नहीं है और उसके बाद उसी वाक्य के दौरान उन्होंने ये भी कहा कि लेकिन मुद्दा बनाने से क्या फ़ायदा .नीतीश कुमार, सोमवार को पहले से तय सवालों का जवाब देने के क्रम में जब विशेष राज्य का दर्जा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ये सब तो हमारा है ही, वो ये सब तो है ही लेकिन अभी कोई चर्चा करने की ज़रूरत नहीं है ये सब हम लोग शुरू से करते ही रहते है , काम भी करते रहते है और जो बिहार को ज़रूरत रहती है उसके लिए डिमांड भी करते है और बात भी करते है लेकिन उन्होंने कहा कि अभी इसको मुद्दा बनाने से क्या फ़ायदा.
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विशेष राज्य का मुद्दा के बारे में अब @NitishKumar का कहना हैं कि अभी इसको मुद्दा बनाने से क्या फ़ायदा और उल्टे सवाल करने वाले पत्रकार को उनकी सलाह थी कि इन सब की चिंता मत कीजिए @ndtvindia @Anurag_Dwary pic.twitter.com/IF6QfQpyza
— manish (@manishndtv) April 18, 2022
इसके बाद नीतीश से कुछ केंद्रीय मंत्रियों के उस बयान के बारे में पूछा गया कि बिहार केंद्र की योजनाओं का लाभ उठाने में अन्य राज्य से पिछड़ जाता है, या यहां केंद्रीय योजनाओं की काफ़ी धीमी गति होती है उस पर नीतीश का कहना था, चलिए ना कौन क्या बयान देता है , हम लोग जितना बिहार के लिए ज़रूरत है, पता ही है ना काम भी करते हैं , मांग भी करते हैं और पूरा ध्यान भी देते हैं और फिर उन्होंने पत्रकार को सलाह भी दे डाली कि ये सब पर ज़्यादा चिंता मत कीजिए .निश्चित रूप से नीतीश लगता है कि विशेष राज्य के मुद्दे पर केंद्र सरकार से अधिक पंगा लेना नहीं चाहते. इसलिए उनके बयान में ऐसी नरमी आयी है .
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वहीं भाजपा के नेताओं का कहना है कि नीतीश ने सही कहा है और उन्हें अब इस वास्तविकता का ज्ञान हो गया है कि मोदी सरकार में दबाव की राजनीति काम नहीं करेगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल के गठन हो या पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्व विद्यालय का दर्जा की मांग हो- उन्हें हमेशा मुंह की खानी पड़ी है.
वहीं राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ विधायक भाई वीरेंद्र का कहना है कि नीतीश का बयान इस बात का सबूत है कि उन्होंने अपनी गद्दी बचाने के लिए इस मुद्दे को तिलांजलि देना बेहतर समझा . भाई वीरेंद्र का कहना था कि नीतीश जातिगत जनगणना के मुद्दे को भी इसलिए आज कल उलझा कर रखे हुए है.
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