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NDTV पड़ताल : राहुल गांधी की अगुवाई में क्या सचमुच 95 चुनाव हारी है कांग्रेस? आखिर क्या है हकीकत

राहुल गांधी ने सितंबर 2022 से जनवरी 2023 के बीच कन्याकुमारी से कश्मीर तक “भारत जोड़ो” पदयात्रा की जिसकी खूब चर्चा हुई. इसके बाद कांग्रेस ने कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में सरकार बनाई और लोकसभा चुनाव में अपने सीटों की संख्या को लगभग दोगुना (52 से 99) कर लिया. 

NDTV पड़ताल : राहुल गांधी की अगुवाई में क्या सचमुच 95 चुनाव हारी है कांग्रेस? आखिर क्या है हकीकत
  • राहुल गांधी ने 2004 में अमेठी से लोकसभा सांसद के रूप में राजनीति की शुरुआत की और कांग्रेस महासचिव बने
  • लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें बढ़ीं लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में चुनाव परिणाम निराशाजनक रहे
  • राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और बीजेपी सरकार पर वोटचोरी का आरोप लगाया जबकि कांग्रेस हार को स्वीकार नहीं कर रही है
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नई दिल्ली:

बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद से राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस और उसके गठबंधन की हार के सिलसिले को लेकर खूब बातें हो रही हैं. एक तरफ कांग्रेस चुनाव नतीजे को “वोटचोरी” बताने में जुटी है तो उसके विरोधी दावा कर रहे हैं कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस अब तक 95 चुनाव हार चुकी है! राहुल गांधी के चुनावी रिपोर्ट कार्ड से जुड़े इस दावे की पड़ताल से पहले हमें राहुल गांधी के सियासी सफ़र पर एक नज़र डालनी होगी. 

राहुल गांधी 2004 में अमेठी से लोकसभा सांसद चुने गए और 2007 में उन्हें कांग्रेस में महासचिव नियुक्त किया गया. महासचिव के तौर पर राहुल गांधी यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के प्रभारी थे. 2013 में राहुल गांधी को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाया गया और 2014 के लोकसभा चुनाव में वो पार्टी की तरफ़ से पीएम पद के अघोषित चेहरा थे. 2017 में  राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया लेकिन वो इस पद पर दो साल ही रहे. 2019 लोकसभा चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया. 2024 में राहुल लोकसभा में नेता विपक्ष बने. 

राजनीति में एंट्री के बाद से ही राहुल गांधी कांग्रेस के स्टार प्रचारक बन गए थे लेकिन जानकार बताते हैं कि उन्होंने 2007 के यूपी विधानसभा चुनाव से पार्टी की चुनावी रणनीति में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू किया. शुरुआत में उनका ध्यान यूपी पर ही केंद्रित रहा. 2009 के लोकसभा चुनाव में राहुल की अगुवाई में यूपी से कांग्रेस के सबसे ज्यादा 21 सांसद चुने गए. हालांकि 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस चौथे स्थान पर रही. 

यूपी के इन दो विधानसभा चुनावों के अलावा कायदे से राहुल का रिपोर्ट कार्ड 2014 के लोकसभा चुनाव से ही बनाया जाना चाहिए. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मात्र 44 सीटें मिली. तब से अब तक कुछ विधानसभा चुनावों को छोड़ कर कांग्रेस चुनाव दर चुनाव लगातार हार का सामना कर रही है. 

राहुल गांधी के करीबी दावा करते हैं कि कि यूपीए सरकार के समय लगे भ्रष्टाचार के आरोप का बोझ राहुल गांधी को ढोना पड़ा. उन्हें वंशवाद का प्रतीक बताया गया और उनके अनुभवहीनता को लेकर सवाल खड़े किए गए. यही नहीं कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी भी एक बड़ी बाधा है. 

बहरहाल, बीते दस से ग्यारह सालों से राहुल गांधी मोदी सरकार और बीजेपी की घेराबंदी करने की कोशिश में जुटे हैं. राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के एक साल बाद 2018 में कांग्रेस ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव जीता. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर बुरी तरह पिट गई. राहुल गांधी ख़ुद अमेठी में अपनी सीट नहीं बचा पाए. राहुल गांधी ने सितंबर 2022 से जनवरी 2023 के बीच कन्याकुमारी से कश्मीर तक “भारत जोड़ो” पदयात्रा की जिसकी खूब चर्चा हुई. इसके बाद कांग्रेस ने कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में सरकार बनाई और लोकसभा चुनाव में अपने सीटों की संख्या को लगभग दोगुना (52 से 99) कर लिया. 

सही मायनों में राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस ने अब तक 3 लोकसभा चुनाव और 60 विधानसभा चुनाव में हार का सामना किया है. यानी कुल मिलाकर 63 चुनाव! इस दौरान कांग्रेस को 9 विधानसभा चुनाव में अपने दम पर जीत मिली और 7 चुनावों में सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने का मौका मिला. इन राज्यों में कमान कांग्रेस की बजाय क्षेत्रीय दलों के पास थी. इस गणित के मुताबिक़ राहुल की सक्रिय भूमिका के दौरान कांग्रेस 3 लोकसभा और 74 विधानसभा चुनाव लड़ी है जिसमें से वो 63 यानी करीब 80 प्रतिशत चुनाव हारी है. 

ये है रिपोर्ट कार्ड: 

लोकसभा चुनाव में कब-कब मिली हार – 2014, 2019, 2024 

विधानसभा चुनाव में कब-कब और किस राज्य में मिली हार:

आंध्र प्रदेश : हार – 2014, 2019, 2024

अरुणाचल प्रदेश: जीत – 2014 ; हार – 2019, 2024

असम: हार – 2016, 2021

बिहार: जीत (गठबंधन) – 2015 ; हार – 2020, 2025

छत्तीसगढ़: जीत – 2018 ; हार – 2023 

गोवा: हार – 2017, 2022 (2017 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन सरकार बनाने से चूक गई )

गुजरात: हार – 2017, 2022

हरियाणा: हार – 2014, 2019, 2024

हिमाचल प्रदेश: हार – 2017; जीत – 2022

झारखंड: हार – 2014 ; जीत (गठबंधन) – 2019, 2024 

कर्नाटक : 2018 में हारे लेकिन जेडीएस के साथ सरकार बनाई जो करीब सवा साल ही चली ; जीत – 2023

केरल: हार – 2016, 2021 

मध्य प्रदेश: जीत – 2018 (2020 में सरकार गिर गई) ; हार –2023

महाराष्ट्र: हार – 2014, 2019, 2024 (2019 में हार के बावजूद शिवसेना के साथ सरकार बनाई जो 2022 तक चली) 

मणिपुर: हार – 2017, 2022 (2017 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन सरकार नहीं बना पाई) 

मेघालय: हार – 2018, 2023 (2018 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी) 

मिजोरम: हार – 2018, 2023

नागालैंड: हार – 2018, 2023

ओडिशा: हार – 2014, 2019, 2024

पंजाब: जीत – 2017 ; हार – 2022

राजस्थान : जीत – 2018 ; हार – 2023

सिक्किम : हार – 2014, 2019, 2024

तमिलनाडु : हार – 2016 ; जीत (गठबंधन) 2021

तेलंगाना : हार –  2014, 2018 ; जीत – 2023

त्रिपुरा : हार – 2018, 2023

उत्तराखंड: हार – 2017, 2022

उत्तर प्रदेश : हार – 2007, 2012, 2017, 2022

पश्चिम बंगाल : हार – 2016, 2021 

दिल्ली : हार – 2015, 2020, 2025

पुडुचेरी : जीत – 2016 ; हार – 2021

जम्मू कश्मीर : हार – 2014 ; जीत (गठबंधन) – 2024

2024 लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की वापसी की उम्मीदों को झटका लगा. दिल्ली में लगातार तीसरी बार उसका खाता नहीं खुला. जम्मू कश्मीर और झारखंड में कांग्रेस गठबंधन की जीत हुई. हालांकि यहाँ कांग्रेस की भूमिका जूनियर पार्टनर की थी. यहां से राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और बीजेपी सरकार पर “वोटचोरी” का आरोप लगाना शुरू कर दिया.

बिहार के नतीजों ने कांग्रेस के होश तो उड़ा दिए हैं लेकिन वो अभी भी वोटचोरी का राग अलाप रही है. देखना होगा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस और राहुल गांधी अपनी रणनीति में कोई बदलाव करते हैं या फिर “आईना” ही साफ़ करने में जुटे रहते हैं! बहरहाल दावों से उलट राहुल गांधी की हार के रिपोर्ट कार्ड में “शतक” अभी बहुत दूर है! 

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