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किरण चौधरी के राज्यसभा जाने से क्या टूट जाएगा बंसीलाल का गढ़? जानिए, तोशाम का समीकरण

Kiran Chaudhary Equation : हरियाणा की राजनीति में तोशाम का वही महत्व है जो उत्तर प्रदेश की गोरखपुर सीट का या बिहार की नालंदा सीट का या महाराष्ट्र की बारामती का. क्या यह बंसीलाल परिवार का गढ़ बचेगा?

किरण चौधरी के राज्यसभा जाने से क्या टूट जाएगा बंसीलाल का गढ़? जानिए, तोशाम का समीकरण
Tosham Politics : तोशाम से किरण चौधरी लगातार चार बार से जीत रहीं हैं.

Bansilal stronghold Tosham Equation : तोशाम...हरियाणा में अपने मंदिरों और पहाड़ों के साथ-साथ बंसीलाल के गढ़ के रूप में भी जाना जाता है. स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे बंसीलाल हरियाणा के चार बार मुख्यमंत्री रहे. तोशाम सीट से उनका रिश्ता ऐसा रहा कि हरियाणा के गठन से अब तक सिर्फ दो बार ही उनका परिवार हारा है. मगर क्या ये गढ़ अब टूटने वाला है?

क्या श्रुति चौधरी को मिलेगा टिकट?

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यह सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है कि हाल ही में बंसीलाल की पुत्रवधु किरण चौधरी भाजपा में शामिल हुईं हैं. भाजपा ने उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बना दिया है. अब तक वही तोशाम की विधायक थीं. उनकी बेटी और पूर्व सांसद श्रुति चौधरी दावेदार तो हैं, लेकिन क्या भाजपा एक ही परिवार के दो लोगों को टिकट देगी?

बंसीलाल के कितने बेटे?

इस बात का जवाब तो भाजपा के टिकटों के ऐलान के बाद ही पता चलेगा, मगर ये तो तय है कि किरण चौधरी और उनकी बेटी को भाजपा का फैसला मान्य होगा. क्योंकि ऐसा हो ही नहीं सकता कि तोशाम को लेकर किरण चौधरी की भाजपा के बड़े नेताओं से बात न हुई हो. आपको बता दें कि बंसीलाल के दो बेटे हैं. एक सुरेंद्र चौधरी, जिनका 2005 में निधन हो गया था और उन्हीं की जगह पर तोशाम का उपचुनाव लड़कर किरण चौधरी विधायक बनीं थीं. फिर 2009, 2014 और 2019 में भी इस सीट पर चुनाव जीता.   

अनिरुद्ध को मिलेगा टिकट?

बंसीलाल के बड़े बेटे का नाम रणबीर सिंह महेंद्रा है. रणबीर के बेटे अनिरुद्ध भी तोशाम से टिकट चाहते हैं. मगर वह अभी कांग्रेस में हैं. कांग्रेस में हुड्डा परिवार से बंसीलाल परिवार का कुछ ठीक नहीं चल रहा. हुड्डा परिवार से टकराव के कारण ही किरण चौधरी को कांग्रेस छोड़ भाजपा में आना पड़ा. तो ऐसे में सवाल है कि क्या भूपेंद्र हुड्डा अनिरुद्ध को तोशाम से टिकट देंगे और वो भी तब जब भाजपा बंसीलाल परिवार को टिकट न दे? 

...तो भाई-बहन लड़ेंगे

यह सवाल इसलिए और उठ रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पहली बार भिवानी लोकसभा सीट पर बंसीलाल परिवार से कोई नहीं था. कांग्रेस ने श्रुति चौधरी का टिकट काटकर राव दान सिंह को दिया था. अब तोशाम में भी ऐसा ही माहौल बनने के चांस हैं. भाजपा में तोशाम से पूर्व विधायक शशी रंजन परमार और अनिल शर्मा जैसे मजबूत दावेदार हैं तो कांग्रेस में जिला परिषद की चेयरमैन अनिता मलिक, राजबीर सिंह लाला, पूर्व कमिश्नर के बेटे संजीत ख्यालिया, पूर्व सांसद जगबीर सिंह के बेटे कमल प्रधान, बिजेंद्र दहिया डाडम, मनेंद्र बागनवाल सहित कई उम्मीदवार हैं. अगर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने बंसीलाल परिवार की तीसरी पीढ़ी को टिकट दिया तो आमने-सामने भाई-बहन होंगे.

बंसीलाल परिवार का दबदबा

तोशाम विधानसभा क्षेत्र से बंसीलाल परिवार 1967 से अब तक सभी 14 चुनावों में लड़ा है. सात चुनाव खुद बंसीलाल ने लड़े और छह बार जीते. चार बार उनके बेटे सुरेंद्र सिंह लड़े और तीन बार जीते. 2005 में उनकी मौत के बाद उपचुनाव में उनकी पत्नी किरण चौधरी ने जीत दर्ज की. इसके बाद 2009, 2014, 2019 में भी जीत दर्ज की. यहीं से जीतकर बंसीलाल चार बार मुख्यमंत्री बने. 

तोशाम की विशेषता

राजनीति के अलावा तोशाम एक धर्म नगरी भी है. यहां पर हरियाणा का सबसे प्राचीन विष्णु मंदिर है. भगवान विष्णु के 8वीं शताब्दी के वामन अवतार की मूर्तियां तोशाम की पहाड़ी से मिले हैं. यह हरियाणा की सबसे धनी ग्राम पंचायत है. इसकी मंदिरों और पहाड़ों के कारण एक अलग पहचान है. यहां बाबा मुंगिपा का मंदिर है. बाबा गोपीनाथ ने अपनी बहन चंद्रावल और मामा भृतहरि के साथ तोशाम की पहाड़ी की यात्रा की थी. गोपीनाथ की बहन चंद्रावल के मूंगे रंग के वस्त्र धारण करने के वजह से इस धाम का नाम बाबा मुंगीपा कहते हैं. 

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