पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल (Harsimrat Kaur Badal) ने NDTV से बात करके हुए कहा कि आज केंद्र किसानों से जो बातचीत कर रहा है , अगर पहले की होती तो आज ऐसी स्थिति न होती. कानून बनाने से पहले अकालियों ने कहा था कि किसानों की राय ले लो. हरसिमरत ने कहा कि सरकार को किसानों की बात मानते हुए एमएसपी को कानूनी रूप दे देना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी पार्टी की बात मानी होती तो आज यह समस्या नहीं खड़ी होती. इस कानून के कारण कितने ही किसानों की मौत हुई है. उनकी जान बच सकती थी.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार काम करने के बदले ध्यान भटकाने में लगी हुई है. साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों की मांग मान लेने में सरकार को क्या दिक्कत है? सरकार को हठ त्याग कर किसानों की बात सुननी चाहिए.बादल ने कहा कि प्रधानमंत्री, जब 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब (तत्कालीन प्रधानमंत्री) डॉ.मनमोहन सिंह द्वारा गठित कार्य समिति के अध्यक्ष थे, और उन्होंने जो सबसे बड़ी सिफारिश की थी, वह एमएसपी को एक सांविधिक अधिकार बनाने के लिए थी. आज पीएम हैं और अपनी खुद की सिफारिश को लागू कर सकते हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार किसानों की बात को नहीं सुनना चाहती है. इस ठंड में सरकार की तरफ से उन लोगों पर वाटर कैनन का प्रयोग किया जा रहा है. लेकिन फिर भी किसानों का आंदोलन कमजोर नहीं हो रहा है. गौरतलब है कि SAD ने कृषि कानून के विरोध में केंद्र की एनडीए सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. बताते चले कि कृषि कानून को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी हैं. उन्होंने दोटूक अंदाज में कहा है कि सरकार को इन कानूनों को तुरंत रद्द करना चाहिए और जब तक कानून को खत्म नहीं किया जाएगा, प्रदर्शन जारी रहेगा. इस बीच पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल (Parkash Singh Badal ) ने किसानों के समर्थन में उतरते हुए विरोध स्वरूप अपना पद्म विभूषण अवार्ड लौटा दिया है. बादल ने कहा, 'केंद्र सरकार किसानों के साथ छल कर रही है
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