- उत्तराखंड में 25 साल में कांग्रेस और BJP दोनों ने राज्य की सत्ता संभाली है, लेकिन कई विकास के लक्ष्य अधूरे हैं
- पलायन, बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा की खराब स्थिति से चिंताएं बनी हुई हैं: हरीश रावत
- स्थानीय आजीविका आधारित विकास मॉडल से ही पलायन को रोका जा सकता है: हरीश रावत
उत्तराखंड 25 साल का हो चुका है. इन 25 सालों में कभी कांग्रेस, तो कभी बीजेपी के पास सत्ता रही. आंदोलन से निकले पर्वतीय राज्य के कई सपने आज भी अधूरे हैं? प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत भी मानते हैं कि प्रयास तो हुए हैं. कुछ क्षेत्रों में राज्य आगे बढ़ा है. मगर लक्ष्य काफी दूर है. पलायन, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाओं की चिंताजनक स्थिति और शिक्षा के स्तर में निरंतर गिरावट चिंता पैदा करती है. नागरिक सुविधाए और कानून व्यवस्था भी कमजोर हुई है.
पहाड़ का पानी और जवानी उसके किसी काम नहीं आ रहा, यह कहावत आज भी सच है. गांव खाली हो रहे हैं. युवा रोजगार के लिए राज्य छोड़ने को मजबूर हैं. हरीश रावत कहते हैं कि पलायन रोकने का सबसे बड़ा उपाय वही है जो उनकी सरकार ने 2014 से 2017 के बीच अपनाया था, यानी स्थानीय आजीविका आधारित विकास मॉडल.
देहरादून से उत्तराखंड का दर्द नहीं समझा जा सकता: रावत
आखिर समाधान क्या है? रावत कहते हैं,'मेरा मानना है कि देहरादून से उत्तराखंड का दर्द नहीं समझा जा सकता. हमें कहीं न कहीं हिमालयी परिवेश में बैठकर राजकाज चलाना पड़ेगा. इस दिशा में मैं राज्यव्यापी सहमति बनाई जानी चाहिए.' इसके अलावा शिक्षा में सुधार, विशेष रूप से तकनीकी शिक्षा पर जोर देना जरूरी है. पर्यटन के लिए नए विजन की जरूरत है.
पहाड़ का एक दर्द प्राकृतिक आपदा का भी है. पिछले साल का जख्म भरता नहीं और नए साल में एक और घाव पहाड़ की देह पर लग जाता है. यह लगातार हो रहा है. रावत जलवायु परिवर्तन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या मानते हैं. वह कहते हैं कि इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव मध्य हिमालयी राज्यों को झेलना पड़ रहा है. हमें राष्ट्रीय नीति के साथ मध्य हिमालयी नीति का सामंजस्य स्थापित करना होगा और पर्यावरणीय मुद्दों पर अधिक संवेदनशील बनना होगा.
कांग्रेस का वक्त बदलेगा: रावत
उत्तराखंड में कांग्रेस पिछले आठ साल से सत्ता से बाहर है. 20 साल में 11 सरकारें देख चुके राज्य में कांग्रेस का भविष्य क्या है? रावत को उम्मीद है कि वक्त बदलेगा. वह कहते हैं 'समय का चक्र फिलहाल भाजपा के पक्ष में है. हम राहुल गांधी के नेतृत्व में उस चक्र को अपनी दिशा की ओर मोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. हमारी सफलता भारत और लोकतंत्र और आमजन के हित में होगी.' भविष्य की भूमिका पर हरीश रावत कहते हैं कि मैं एक उत्साहवर्धक के रूप में अर्थात ढोल बजाकर कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने वाले के रूप में अपनी भूमिका को देखना चाहूंगा. हमारे पास बहुत अच्छे नेता हैं, उन नेताओं को उत्साहित करना मेरा कर्तव्य है.
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