हार्दिक पटेल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पाटीदार अनामत आंदोलन के दौरान विसनगर विधानसभा सीट से विधायक ऋषिकेश पटेल के ऑफिस में तोड़फोड़ करने के मामले में कोर्ट ने हार्दिक पटेल और लाल जी पटेल को दोषी करार दिया था. अदालत ने दोनों की दो साल की सजा सुनाई है. अदालत ने दोनों आरोपियों को IPC की धारा 147, 148, 149, 427 और 435 के तहत दोषी करार दिया था. अदालत ने दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने फैसले में कहा है कि दोनों से ली गई एक लाख रुपये की जुर्माना राशि को विधायक को मुआवजा के तौर पर दी जाएगी. आपको बता दें कि मेहसाणा के विसनगर में साल 2015 में हुए पाटीदार आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल और 16 अन्य के नेतृत्व में 500 लोगों ने बीजेपी विधायक के दफ्तर पर हमला किया गया था. हार्दिक पटेल और उनके सहयोगियों को अदालत ने वर्ष 2015 के विसनगर दंगा मामले में जमानत दे दी है.
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कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब 25 अगस्त से हार्दिक पटेल सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अपने समुदाय के सदस्यों को आरक्षण की मांग पर जोर देने के लिए वह 25 अगस्त से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह आमरण अनशन उनकी अंतिम जंग होगी. पटेल ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर पोस्ट विडियो संदेश में कहा कि अपने समुदाय के सदस्यों के लिए आरक्षण प्राप्त करना उनकी प्राथमिक चिंता है. उन्होंने कहा, ‘यह हमारी आखिरी लड़ाई है. या तो मैं अपनी जान दे दूंगा या हम आरक्षण प्राप्त करेंगे. इसके लिए हमें आपके समर्थन की जरूरत है. यह लड़ाई आखिरी चरण में आ गई है. यह आमरण अनशन मेरी अंतिम जंग की तरह होगी.’ हार्दिक ने कहा था कि आरक्षण हमारा प्राथमिक मुद्दा है और हम इसके लिए लड़ना जारी रखेंगे. 25 अगस्त को पाटीदार क्रांति दिवस के तौर पर मनाया जाता है और मैं उस दिन से आमरण अनशन पर बैठूंगा. हमें आरक्षण मिलेगा, लेकिन तभी जब हम एक साथ आकर इसके लिए लड़ेंगे. हम आपसी झगड़े की वजह से काफी पीछे होते जा रहे हैं.'
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इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति आर पी धोलारिया ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल की उस याचिका पर सुनवाई से आज खुद को अलग कर लिया जिसमें उन्होंने 2015 में दर्ज देशद्रोह के मामले में अपने आप को आरोप मुक्त करने का अनुरोध किया था. आरोप मुक्त करने की याचिका जब सुनवाई के लिए आई तो न्यायमूर्ति धोलारिया ने कहा, ‘मेरे समक्ष नहीं.’ अब यह मामला सुनवाई के लिए किसी और न्यायाधीश के पास जाएगा. अहमदाबाद अपराध शाखा ने अगस्त 2015 में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा के संबंध में हार्दिक पटेल के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया था. फरवरी में निचली अदालत से देशद्रोह के मामले में आरोप मुक्त किए जाने की याचिका खारिज होने के बाद हार्दिक ने इस साल अप्रैल में उच्च न्यायालय का रुख किया था.
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