
फाइल फोटो
हरदा/नई दिल्ली:
रेलवे विभाग ने दावा किया कि मॉनसून संबंधी तैयारियों के बावजूद मध्य प्रदेश में बुधवार को हुए दोहरे ट्रेन हादसे को टाला नहीं जा सकता था क्योंकि रेल की पटरियां नदी तल से सिर्फ 13 फुट उंची थीं, जबकि वर्षा के पानी से उफनती नदी में 36 फुट उंची लहर उठी थी, इसलिए यह दुर्घटना अपनी तरह की एक अनूठी त्रासदी थी।
रेलवे बोर्ड के सदस्य (इंजीनियरिंग) वी.के. गुप्ता ने यहां संवाददाताओं से कहा कि रेल पुल अथवा मॉनसून संबंधी तैयारियों में कोई कमी नहीं थी तथा इस क्षेत्र में बाढ़ को लेकर कोई अलर्ट नहीं था। 28 व्यक्तियों की जान लेने वाले दोहरे ट्रेन हादसे में बचाव अभियान रोक दिया गया।
गुप्ता ने कहा कि बाढ़ के पानी की वजह से दोनों ट्रेन कुछ समय के अंतराल पर पटरी से उतरीं जो अप्रत्याशित था तथा 1870 में इस लाइन के निर्माण के बाद से इस तरह का हादसा कभी नहीं देखा गया।
गुप्ता ने दावा किया कि ‘लाइन का निर्माण नदी तल से 13 फुट उंचाई पर हुआ है तथा पानी की लहर 36 फुट उंची तथा 200 मीटर के दायरे में थी जो अपने आप में अप्रत्याशित है तथा इसे अनूठी घटना कहा जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के हरदा में हुए इस हादसे में दोनों ट्रेन के 17 डिब्बे और एक इंजन पटरी से उतरे तथा बुधवार देर रात तीन और शव मिलने से कुल 28 लोगों की जान गई और कई यात्री घायल हो गए।
मानसून संबंधी तैयारियों का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इसकी कमजोर स्थान के तौर पर शिनाख्त नहीं की गई थी। मानसून संबंधी तैयारियों के लिए सभी स्थापित मानकों का पालन हुआ था।’’ गुप्ता ने कहा कि अचानक आई बाढ़ के बावजूद पुलों को नुकसान नहीं पहुंचा है और रविवार शाम तक एक लाइन पर ट्रेनो की आवाजाही शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन दूसरी लाइन को चालू करने में कुछ और वक्त लगेगा।
डब्ल्यूसीआर के महाप्रबंधक रमेश चंद्र ने पीटीआई को बताया कि प्रथम दृष्टया भारी बारिश को ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह माना जा रहा और विस्तृत जांच के बाद सही कारण का पता चल सकेगा।
रेलवे बोर्ड के सदस्य (इंजीनियरिंग) वी.के. गुप्ता ने यहां संवाददाताओं से कहा कि रेल पुल अथवा मॉनसून संबंधी तैयारियों में कोई कमी नहीं थी तथा इस क्षेत्र में बाढ़ को लेकर कोई अलर्ट नहीं था। 28 व्यक्तियों की जान लेने वाले दोहरे ट्रेन हादसे में बचाव अभियान रोक दिया गया।
गुप्ता ने कहा कि बाढ़ के पानी की वजह से दोनों ट्रेन कुछ समय के अंतराल पर पटरी से उतरीं जो अप्रत्याशित था तथा 1870 में इस लाइन के निर्माण के बाद से इस तरह का हादसा कभी नहीं देखा गया।
गुप्ता ने दावा किया कि ‘लाइन का निर्माण नदी तल से 13 फुट उंचाई पर हुआ है तथा पानी की लहर 36 फुट उंची तथा 200 मीटर के दायरे में थी जो अपने आप में अप्रत्याशित है तथा इसे अनूठी घटना कहा जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के हरदा में हुए इस हादसे में दोनों ट्रेन के 17 डिब्बे और एक इंजन पटरी से उतरे तथा बुधवार देर रात तीन और शव मिलने से कुल 28 लोगों की जान गई और कई यात्री घायल हो गए।
मानसून संबंधी तैयारियों का बचाव करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘इसकी कमजोर स्थान के तौर पर शिनाख्त नहीं की गई थी। मानसून संबंधी तैयारियों के लिए सभी स्थापित मानकों का पालन हुआ था।’’ गुप्ता ने कहा कि अचानक आई बाढ़ के बावजूद पुलों को नुकसान नहीं पहुंचा है और रविवार शाम तक एक लाइन पर ट्रेनो की आवाजाही शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन दूसरी लाइन को चालू करने में कुछ और वक्त लगेगा।
डब्ल्यूसीआर के महाप्रबंधक रमेश चंद्र ने पीटीआई को बताया कि प्रथम दृष्टया भारी बारिश को ट्रेन के पटरी से उतरने की वजह माना जा रहा और विस्तृत जांच के बाद सही कारण का पता चल सकेगा।
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